भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। शैक्षणिक सत्र 2019-20 में दसवीं-बारहवीं बोर्ड परीक्षा में 40 फीसद से कम परिणाम देने वाले शिक्षकों की 3 व 4 जनवरी को परीक्षा ली जाएगी। इस परीक्षा में 7,910 शिक्षक शामिल होंगे। इस परीक्षा को लेकर प्रदेश भर के शिक्षकों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। विरोध को देखते हुए लोक शिक्षण
संचालनालय (डीपीआइ) ने जबलपुर स्थित मप्र उच्च न्यायालय के अलावा व इंदौर एवं ग्वालियर की खंडपीठ में भी केविएट दायर की है। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त जयश्री कियावत ने निर्देश जारी किए थे।दरअसल, दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में जिन स्कूलों का परीक्षा परिणाम 40 फीसद से कम आया है, उनके शिक्षकों का स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दक्षता मूल्यांकन किया जा रहा है। इसमें शिक्षक किताब देखकर परीक्षा दे सकते हैं। इस बार मिडिल स्कूल के भी 6299 और हाइ व हायर सेकंडरी के 1611 शिक्षकों के दक्षता का आंकलन होगा। इस परीक्षा में भिंड के सबसे ज्यादा 505 शिक्षक शामिल होंगे। इसके बाद बैतूल के 231, आलीराजपुर के 182, अशोक नगर के 119 शिक्षक दक्षता मूल्यांकन में शामिल होंगे, जबकि भोपाल जिले के 35 शिक्षक शामिल होंगे। इस बार सबसे ज्यादा गणित विषय के 1910 शिक्षक शामिल होंगे। परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों को उसी दिन कारण बताओ नोटिस जारी कर उनके खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी। उचित कारण(कोरोना संक्रमण आदि) पाए जाने पर अनुपस्थित शिक्षकों की पुन: परीक्षा ली जाएगी। इसके लिए अलग से परीक्षा तिथि की सूचना दी जाएगी।
बता दें कि पिछले साल भी स्कूल शिक्षा विभाग ने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 30 फीसदी से कम परिणाम लाने वाले स्कूलों के शिक्षकों की परीक्षा दो बार ली थी। दोबारा फेल होने पर प्रदेश के 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी। राजधानी में यह परीक्षा उत्कृष्ट विद्यालय में आयोजित की जाएगी।
गोपनीय रखा जाएगा परिणाम
शिक्षकों की इस परीक्षा में उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन उसी दिन किया जाएगा। परीक्षा परिणाम गोपनीय रखा जाएगा। परीक्षा परिणाम कम होने पर शिक्षकों को दो माह की अवधि दक्षता सुधार के लिए दी जाएगी। जिला स्तर के इन शिक्षकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसके बाद मार्च के पहले सप्ताह में दोबारा परीक्षा होगी। इसमें भी कोई शिक्षक फेल होता है, तो उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी सकती है।
शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध
इस संबंध में मध्य प्रदेश शासकीय अध्यापक संगठन ने परीक्षा के नाम पर बर्खास्त करने की नीति के विरोध में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। संगठन के उपेंद्र कौशल ने मांग की है कि हाइस्कूल व हायर सेकंडरी बोर्ड परीक्षा में 40 फीसद से कम परीक्षा परिणाम लाने वाले स्कूलों के शिक्षकों की परीक्षा लेने के बजाय उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए। परीक्षा लेकर फेल हुए शिक्षकों को बर्खास्त करने की कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। इससे शिक्षकों में निराशा उत्पन्न होती है। वहीं मप्र शिक्षक कांग्रेस ने मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव, लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा। शिक्षक कांग्रेस के प्रतिनिधि राम नरेश त्रिपाठी, सुभाष सक्सेना, निर्मल अग्रवाल सहित अन्य सदस्यों ने परीक्षा निरस्त करने की मांग की है।