ग्वालियर | जीवाजी यूनिवर्सिटी में प्रैक्टिकल, मौखिक परीक्षा और मूल्यांकन
कार्य में लगाए गए शिक्षकों को भुगतान समय पर न होने की शिकायतों के बाद
रजिस्ट्रार प्रो. आनंद मिश्रा ने शनिवार की शाम काे वित्त विभाग के साथ-साथ
ऑडिट से जुड़े अफसरों की बैठक ली।
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पिछड़ा वर्ग के छात्र बन गए सामान्य!
प्रदेश टुडे संवाददाता, जबलपुर : केन्द्र सरकार द्वारा हर साल ली जाने वाली राष्ट्रीय
प्रतिभा खोज परीक्षा में इस बार सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है। परीक्षा
में बैठे पिछड़ा वर्ग छात्रों को उत्तरपुस्तिका में खुद को सामान्य वर्ग का
छात्र लिखना पड़ा। दरअसल विभाग द्वारा बच्चों की जाति अंकित वाले कॉलम में
पिछड़ा वर्ग का कॉलम ही नहीं जोड़ा और इसकी वजह से पिछड़ा परीक्षार्थियों को
खुद को सामान्य बताना पड़ा।
सरकारी स्कूलों को अगले साल मिलेंगे 41 हजार शिक्षक
सरकारी स्कूलों को अगले साल मिलेंगे 41 हजार शिक्षक
भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी स्कूलों को 41 हजार 205 शिक्षक मिले जाएंगे। राज्य सरकार मार्च 2017 से संविदा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके नियम तैयार हो चुके हैं।
भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी स्कूलों को 41 हजार 205 शिक्षक मिले जाएंगे। राज्य सरकार मार्च 2017 से संविदा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके नियम तैयार हो चुके हैं।
कैसे सालों तक टलती रही भर्ती परीक्षा
कैसे सालों तक टलती रही भर्ती परीक्षा
फरवरी 2013 में पहली बार शिक्षकों के 36 हजार पद भरने की घोषणा।
मई-13 में स्कूल शिक्षा विभाग ने नियम बनाना शुरू किया।
फरवरी 2013 में पहली बार शिक्षकों के 36 हजार पद भरने की घोषणा।
मई-13 में स्कूल शिक्षा विभाग ने नियम बनाना शुरू किया।
संविदा शाला शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की नई तारीख , किस वर्ग की परीक्षा कब
भोपाल। साल दर साल टलते टलते मप्र संविदा शाला शिक्षक भर्ती परीक्षा का वक्त वही आ गया जिसका अनुमान शुरू से लगाया जा रहा था। हर साल परीक्षा कराने का वादा करने वाली सरकार, विधानसभा चुनाव से पहले भर्तियां करेगी ताकि इसका चुनावी लाभ उठाया जा सके। बताया जा रहा है कि मार्च 2017 में प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 41 हजार से ज्यादा रिक्त पदों पर यह भर्ती की जाएगी।
Blog Editor : हवस के अड्डे बनते स्कूल
निर्भया कांड के बाद हुई सामाजिक क्रांति के बाद हम सोच रहे थे कि समाज में महिलाएं सुरक्षित हो जाएंगी। महिलाओं के प्रति अपराधों के लिए कानून भी कड़े किए गए लेकिन कुछ भी तो नहीं बदला। आंकड़ों पर गौर करें तो हालात काफी भयावह नजर आते हैं।
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