देहरादून: उत्तराखंड में जिला प्रशासन द्वारा एक 45 साल पुराने सरकारी आदेश को लागू किए जाने से शिक्षा विभाग में हलचल तेज हो गई है। जिला मजिस्ट्रेट के इस फैसले से विशेष रूप से स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों में असमंजस और नाराजगी देखी जा रही है।
क्या है पुराना आदेश?
यह आदेश वर्ष 1981 में जारी किया गया था, जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल से आठ किलोमीटर की परिधि में निवास करना अनिवार्य किया गया है। लंबे समय तक इस नियम का सख्ती से पालन नहीं कराया गया, लेकिन अब इसे दोबारा प्रभावी कर दिया गया है।
शिक्षकों की बढ़ी परेशानी
वर्तमान में बड़ी संख्या में शिक्षक अपने तैनाती स्थल से काफी दूर रहते हैं और रोजाना लंबी दूरी तय कर स्कूल पहुंचते हैं। ऐसे में नए निर्देश के बाद उन्हें स्कूल के नजदीक किराये पर मकान लेना होगा, जिससे उनका आर्थिक बोझ बढ़ सकता है।
क्यों नाराज हैं शिक्षक?
शिक्षकों का कहना है कि अचानक इस आदेश को लागू करना व्यावहारिक नहीं है।
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कई स्कूल ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में स्थित हैं
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आसपास रहने की समुचित व्यवस्था उपलब्ध नहीं है
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परिवार और बच्चों की पढ़ाई के कारण स्थान बदलना कठिन है
इन कारणों से शिक्षक इस निर्णय को अव्यवहारिक बता रहे हैं।
प्रशासन का तर्क
प्रशासन का मानना है कि शिक्षकों के विद्यालय के पास रहने से शिक्षण व्यवस्था में सुधार, समय पर उपस्थिति और आपात स्थिति में त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
आगे क्या होगा?
शिक्षक संगठनों ने इस आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर प्रशासन और शिक्षकों के बीच बातचीत होने की संभावना है।