प्रदेश टुडे संवाददाता, जबलपुर : केन्द्र सरकार द्वारा हर साल ली जाने वाली राष्ट्रीय
प्रतिभा खोज परीक्षा में इस बार सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई है। परीक्षा
में बैठे पिछड़ा वर्ग छात्रों को उत्तरपुस्तिका में खुद को सामान्य वर्ग का
छात्र लिखना पड़ा। दरअसल विभाग द्वारा बच्चों की जाति अंकित वाले कॉलम में
पिछड़ा वर्ग का कॉलम ही नहीं जोड़ा और इसकी वजह से पिछड़ा परीक्षार्थियों को
खुद को सामान्य बताना पड़ा।
हैरानी की बात तो यह है कि जिला शिक्षा विभाग के
अधिकारियों को इस बात की भनक तक नहीं है, उनसे जब इस बारे में जानकारी ली
गई तो सभी ने कहा कि देखकर बताया जायेगा।
यहां पकड़ी गई गलती
पूरे देश में आयोजित हुई राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा की गलती मझौली जनपद के एक परीक्षा केन्द्र में पकड़ी गई। परीक्षा देकर घर लौटे पिछड़ा वर्ग के छात्रों ने परिजनों से बताया कि तीन कालम की जगह मात्र दो कालम सामान्य वर्ग एवं हरिजन वर्ग था, जबकि उत्तरपुस्तिका में लिखा था कि जिस वर्ग के छात्र हैं वे अपने वर्ग में गोला लगाएं, लेकिन पिछड़ा वर्ग का कोई कॉलम नहीं था इसकी वजह छात्र सामान्य वर्ग में ही गोला लगा आए।
पूरे देश में आयोजित हुई राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा की गलती मझौली जनपद के एक परीक्षा केन्द्र में पकड़ी गई। परीक्षा देकर घर लौटे पिछड़ा वर्ग के छात्रों ने परिजनों से बताया कि तीन कालम की जगह मात्र दो कालम सामान्य वर्ग एवं हरिजन वर्ग था, जबकि उत्तरपुस्तिका में लिखा था कि जिस वर्ग के छात्र हैं वे अपने वर्ग में गोला लगाएं, लेकिन पिछड़ा वर्ग का कोई कॉलम नहीं था इसकी वजह छात्र सामान्य वर्ग में ही गोला लगा आए।
खानापूर्ति रही परीक्षा
राष्ट्रीय प्रतिभा खोज एवं मेरिट छात्रवृति चयन परीक्षा महज खाना पूर्ति निकली क्योंकि इस परीक्षा से ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है। परीक्षा पैटर्न की जानकारी सभी विद्यार्थियों को दी जाती है, लेकिन ग्रामीण इलाके बच्चे इससे दूर रह जाते हैं जिसका कारण जिलास्तर के अफसर की उदासीनता है। इनके द्वारा परीक्षा से संबंधित कोई भी जानकारी नहीं दी जाती।
राष्ट्रीय प्रतिभा खोज एवं मेरिट छात्रवृति चयन परीक्षा महज खाना पूर्ति निकली क्योंकि इस परीक्षा से ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है। परीक्षा पैटर्न की जानकारी सभी विद्यार्थियों को दी जाती है, लेकिन ग्रामीण इलाके बच्चे इससे दूर रह जाते हैं जिसका कारण जिलास्तर के अफसर की उदासीनता है। इनके द्वारा परीक्षा से संबंधित कोई भी जानकारी नहीं दी जाती।
छात्रों की उपस्थिति भी कम
परीक्षा के लिए आवेदन तो 14 हजार से अधिक छात्रों ने किया, लेकिन रविवार को जब दोनों परीक्षाएं हुर्इं तो करीब 20 फीसदी यानी 27 सौ छात्र गायब रहे खासबात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्र के परीक्षा केन्द्रों से ज्यादातर छात्र अनुपस्थित रहे। दूसरी ओर परीक्षा में ड्यूटी तैनात शिक्षक इस बात को लेकर हैरान थे कि उन्हें 5 घंटे की नौकरी के बाद सिर्फ 30 मानदेय दिया जायेगा जो बहुत कम था।
परीक्षा में गलती हुई है, तो इसकी जानकारी नहीं है, जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा। शिक्षकों का मानदेय यहां से निर्धारित नहीं होता है। शासन जो निर्धारित करता है, उसी आधार पर मानदेय दिया जाता है।
अरविंद अग्रवाल, परीक्षा प्रभारी डीईओ आॅफिस
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परीक्षा के लिए आवेदन तो 14 हजार से अधिक छात्रों ने किया, लेकिन रविवार को जब दोनों परीक्षाएं हुर्इं तो करीब 20 फीसदी यानी 27 सौ छात्र गायब रहे खासबात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्र के परीक्षा केन्द्रों से ज्यादातर छात्र अनुपस्थित रहे। दूसरी ओर परीक्षा में ड्यूटी तैनात शिक्षक इस बात को लेकर हैरान थे कि उन्हें 5 घंटे की नौकरी के बाद सिर्फ 30 मानदेय दिया जायेगा जो बहुत कम था।
परीक्षा में गलती हुई है, तो इसकी जानकारी नहीं है, जानकारी लेने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा। शिक्षकों का मानदेय यहां से निर्धारित नहीं होता है। शासन जो निर्धारित करता है, उसी आधार पर मानदेय दिया जाता है।
अरविंद अग्रवाल, परीक्षा प्रभारी डीईओ आॅफिस
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