शिक्षक दक्षता परीक्षा निरस्त करने व वन पेंशन स्कीम को लेकर सोमवार को अधिकारी कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन संघर्ष समिति के प्रांतीय महामंत्री एवं जिलाध्यक्ष अशोक
शुक्ला के नेतृत्व में सौंपा गया। इसमें प्रमुखता से मांग की गई कि 0 से 40 प्रतिशत तक रिजल्ट देने वाले शिक्षकों की 3 व 4 जनवरी को होने वाली दक्षता परीक्षा निरस्त की जाए। ज्ञापन में उल्लेख है कि इस प्रकार की परीक्षा शिक्षा विभाग में आयोजित करने का फैसला तर्क संगत नहीं है। सरकारी स्कूलों में कार्यरत समस्त शिक्षक शासन द्वारा आयोजित चयन प्रक्रिया से चयनित होकर शिक्षक बने है। उनकी सेवा शर्तों में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है कि शालाओं का परीक्षा परिणाम कम रहने पर शिक्षकों की दक्षता परीक्षा ली जाएगी। वह अनुत्तीर्ण हुए तो उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की योजना बनाई जाएगी। पिछले वर्षों में भी इसी प्रकार की परीक्षा आयोजित कर 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवा निवृत्ति दे दी गई। जोकि सेवा शर्तों के खिलाफ है।इसी तरह कैचमेंट शालाओं में कार्यरत शिक्षकों की शिक्षक दक्षता परीक्षा सूची में भारी विसंगतियों और अनियमितताओं की शिकायत शिक्षकों द्वारा की गई है। यहां तक कि 40 प्रतिशत से अधिक परीक्षा परिणाम के बावजूद भी प्राचार्यों की दुर्भावना के कारण शिक्षकों के नाम सूची में शामिल किए गए हैं और ऐसे शिक्षकों के नाम जोड दिए जिनका परीक्षा परिणाम 60 प्रतिशत के आस-पास है, इनके नाम तत्काल हटाए जाएं। वहीं दिल्ली सरकार की तर्ज पर संघर्ष समन्वय समिति ने अधिकारी,कर्मचारियों की 1 जनवरी 2005 से जो पेंशन सेवा की बहाली के संदर्भ में सरकार से शीघ्र निर्णय लेने की मांग की गई। ज्ञापन सौंपने वालो में संघर्ष समिति के जिलाध्यक्ष अशोक शुक्ला, कुंजबिहारी गोस्वामी, मयंक ढ़ेंगुला, भावेश वर्मा, राजेश कतरौलिया, उत्तम सिंह निरंजन, महेश सोनी, आनंद गौतम, जगदीश पांचाल, राजेश सेन, प्रभात सिंह बैस, प्रबोधानन्द गोस्वामी, केशव पुरोहित, रामप्रकाश साहू, शहजाद खान, सुरेश यादव, संजीव श्रीवास्तव, द्वारकादास सिंधी, बीएम दुबे, विनोद उपाध्याय, राजेश सेन, बीके शर्मा, अनूप दिवौलिया, राजेश प्रजापति, सुनीत मिश्रा, पीडी रायकवार, यशवंत भद्रसेन, जेपी दांगी, अनिल शुक्ला, रामसिया शर्मा आदि शामिल रहे।