रतलाम। जो
सरकारी स्कूल वर्षों पहले पास के ही दूसरे सरकारी स्कूल में मर्ज हो चुका
है या फिर सरकार ने वहां छात्र संख्या नहीं होने से बंद कर दिया उन स्कूलों
के नाम भी अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना वाली सूची में शामिल कर लिया गया।
इससे हास्यास्पद स्थिति बन गई क्योंकि जो स्कूल वर्षों से न तो कागजों में
है और न ही धरातल पर बचा है।
उनमें शिक्षकों की कमी कहां से दर्शाई जा रही है। हालांकि छात्र संख्या का उल्लेख नहीं किया गया कि किस स्कूल में कितने शिक्षकों की जरुरत है। बंद हो चुके इन स्कूलों में पदों की रिक्तियां बता देने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इस स्थिति में अतिशेष शिक्षक और विभाग दोनों ही परेशान हो रहे हैं।
ऐसे अतिशेष निकले शिक्षक-शिक्षिकाएं
सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या के अनुपात में प्रत्येक 40 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की पदस्थापना तय की गई है। इससे ज्यादा पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाने की प्रक्रिया के तहत सूची तय कर ली गई है। इस पर आपत्तियां मंगाई जा रही है। शहर के प्राथमिक विद्यालयों में ऐसे 20 शिक्षकों की सूची तैयार हैं जो अतिशेष की श्रेणी में आते हैं और इन्हें किसी दूसरे स्कूल में भेजा जाना तय है। पूरे जिले के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की बात की जाए तो 338 शिक्षकों की सूची विभाग ने तैयार की है।
दावे-आपत्तियां भी आगे बढ़ सकती
बंद या मर्ज हो चुके स्कूलों के नाम भी शिक्षकों की आवश्यकता वाले स्कूलों की सूची में दर्ज होने से तय समयावधि में मांगे गए दावे और आपत्तियां की समयावधि भी आगे बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि विभाग ने ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की जो बंद हो चुके हैं फिर भी इनका नाम सूची में शामिल है। सूची में करीब दो दर्जन से ज्यादा नाम सामने आने पर शिक्षा विभाग की तरफ से लोक शिक्षण आयुक्त को पत्र लिखा जा रहा है कि इन स्कूलों के नाम सूची से हटाएं जाएं।
नाम हटवाए जा रहे हैं
जिन स्कूलों को मर्ज या बंद कर दिया गया है उन स्कूलों के नामों को पोर्टल से डीपीसी के माध्यम से हटाया जाना था। नहीं हटाए जाने से उन स्कूलों में शिक्षकों की मांग निकल आई है। हमने पत्र लिख दिया है कि इन स्कूलों के नाम हटाए जाएं जिससे मांग वाले स्कूलों की वास्तविक संख्या सामने आ सके।
अनिल वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
उनमें शिक्षकों की कमी कहां से दर्शाई जा रही है। हालांकि छात्र संख्या का उल्लेख नहीं किया गया कि किस स्कूल में कितने शिक्षकों की जरुरत है। बंद हो चुके इन स्कूलों में पदों की रिक्तियां बता देने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इस स्थिति में अतिशेष शिक्षक और विभाग दोनों ही परेशान हो रहे हैं।
ऐसे अतिशेष निकले शिक्षक-शिक्षिकाएं
सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या के अनुपात में प्रत्येक 40 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की पदस्थापना तय की गई है। इससे ज्यादा पदस्थ शिक्षकों को अतिशेष मानकर हटाने की प्रक्रिया के तहत सूची तय कर ली गई है। इस पर आपत्तियां मंगाई जा रही है। शहर के प्राथमिक विद्यालयों में ऐसे 20 शिक्षकों की सूची तैयार हैं जो अतिशेष की श्रेणी में आते हैं और इन्हें किसी दूसरे स्कूल में भेजा जाना तय है। पूरे जिले के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की बात की जाए तो 338 शिक्षकों की सूची विभाग ने तैयार की है।
दावे-आपत्तियां भी आगे बढ़ सकती
बंद या मर्ज हो चुके स्कूलों के नाम भी शिक्षकों की आवश्यकता वाले स्कूलों की सूची में दर्ज होने से तय समयावधि में मांगे गए दावे और आपत्तियां की समयावधि भी आगे बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि विभाग ने ऐसे स्कूलों की सूची तैयार की जो बंद हो चुके हैं फिर भी इनका नाम सूची में शामिल है। सूची में करीब दो दर्जन से ज्यादा नाम सामने आने पर शिक्षा विभाग की तरफ से लोक शिक्षण आयुक्त को पत्र लिखा जा रहा है कि इन स्कूलों के नाम सूची से हटाएं जाएं।
नाम हटवाए जा रहे हैं
जिन स्कूलों को मर्ज या बंद कर दिया गया है उन स्कूलों के नामों को पोर्टल से डीपीसी के माध्यम से हटाया जाना था। नहीं हटाए जाने से उन स्कूलों में शिक्षकों की मांग निकल आई है। हमने पत्र लिख दिया है कि इन स्कूलों के नाम हटाए जाएं जिससे मांग वाले स्कूलों की वास्तविक संख्या सामने आ सके।
अनिल वर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी