भोपाल।
स्कूलों में ककहरा सिखाने वाले शिक्षक अब तनाव और बीमारियों से दूर रहने
का फंडा भी सिखाएंगे। शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों में भी डायबिटिज तेजी से
पैर पसार रही है। शिक्षक कैंप लगाकर लोगों को तनाव दूर करने के टिप्स
देंगे साथ ही डायबिटिज से बचाने के लिए विशेष योगासन भी सिखाएंगे।
लोक शिक्षण संचालनालय ने इसके लिए प्रदेशभर में पांच सौ से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। इन्हें दिल्ली और बेंगलूरू में विशेष रूप से प्रशिक्षण भी दिया गया है।
हर साल गर्मियों में शिक्षकों के एक मई से 15 जून तक अवकाश रहता था। इस बार सभी शिक्षकों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई है। मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में शिक्षकों के दल बनाए गए हैं। इन शिक्षकों को चार घंटे योग की क्लास लेना होगी। ग्रामीण इलाकों में संकुल स्तर पर कैंप लगेंगे, वहीं शहरों में भी ब्लॉक स्तर पर कैंप लगेंगे। गौलतब है कि प्रदेश में करीब एक लाख शिक्षक व 2.84लाख अध्यापक संवर्ग के कर्मचारी हैं।
पांच जिलों में चलाया गया था पायलेट प्रोजेक्ट
शहर के साथ गांवों की बदलती जीवनशैली से पिछले पांच साल में डायबिटीज मरीजों की संख्या दोगुना तक हो गई है। अब ग्रामीणों में बढ़ते इस बीमारी के मर्ज को शिक्षक दूर करेंगे। स्कूलों में पढ़ाने के साथ वे घर-घर जाकर बीमारी से बचने के लिए टिप्स देते नजर आएंगे। पहले चरण में शिक्षा विभाग ने प्रदेश के चालीस गांवों को इस पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था। इसमें भोपाल के दस गांवों को शामिल किया गया। भोपाल के साथ नीमच, उज्जैन, ग्वालियर और उमरिया के चालीस गांवों में पदस्थ शिक्षकों को शिक्षा विभाग योग की दिल्ली में विशेष ट्रेनिंग भी दिलाई है।
घर-घर करेंगे सर्वे
ये शिक्षक पहले अपने विद्यालय वाले गांवों में घर-घर जाकर सर्वे करेंगे। जो ग्रामीण इस बीमारी से पीडि़त होंगे। उन्हें योग के जरिए बीमारी से दूर रहने की टिप्स दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के एक सर्वे के अनुसार अकेले भोपाल में ही डायबिटीज के मरीजों की संख्या ढाई लाख से ज्यादा है। वहीं प्रदेश में 6.9 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं। 2040 तक 14 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में होंगे। गांवों में भी यह बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। पांच साल पहले तक महज तीन प्रतिशत लोग ही इससे प्रभावित थे। 2016 में 6 प्रतिशत ग्रामीण इसका शिकार हो चुके हैं।
इनका कहना है...
योग के जरिए डायबिटीज पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इससे जीनवचर्या में भी परिवर्तन आता है।
डॉ. आरएच लता, क्षेत्रीय समन्वयक, विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान केंद्र
लोक शिक्षण संचालनालय ने इसके लिए प्रदेशभर में पांच सौ से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी लगाई है। इन्हें दिल्ली और बेंगलूरू में विशेष रूप से प्रशिक्षण भी दिया गया है।
हर साल गर्मियों में शिक्षकों के एक मई से 15 जून तक अवकाश रहता था। इस बार सभी शिक्षकों की छुट्टियां निरस्त कर दी गई है। मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिले में शिक्षकों के दल बनाए गए हैं। इन शिक्षकों को चार घंटे योग की क्लास लेना होगी। ग्रामीण इलाकों में संकुल स्तर पर कैंप लगेंगे, वहीं शहरों में भी ब्लॉक स्तर पर कैंप लगेंगे। गौलतब है कि प्रदेश में करीब एक लाख शिक्षक व 2.84लाख अध्यापक संवर्ग के कर्मचारी हैं।
पांच जिलों में चलाया गया था पायलेट प्रोजेक्ट
शहर के साथ गांवों की बदलती जीवनशैली से पिछले पांच साल में डायबिटीज मरीजों की संख्या दोगुना तक हो गई है। अब ग्रामीणों में बढ़ते इस बीमारी के मर्ज को शिक्षक दूर करेंगे। स्कूलों में पढ़ाने के साथ वे घर-घर जाकर बीमारी से बचने के लिए टिप्स देते नजर आएंगे। पहले चरण में शिक्षा विभाग ने प्रदेश के चालीस गांवों को इस पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था। इसमें भोपाल के दस गांवों को शामिल किया गया। भोपाल के साथ नीमच, उज्जैन, ग्वालियर और उमरिया के चालीस गांवों में पदस्थ शिक्षकों को शिक्षा विभाग योग की दिल्ली में विशेष ट्रेनिंग भी दिलाई है।
घर-घर करेंगे सर्वे
ये शिक्षक पहले अपने विद्यालय वाले गांवों में घर-घर जाकर सर्वे करेंगे। जो ग्रामीण इस बीमारी से पीडि़त होंगे। उन्हें योग के जरिए बीमारी से दूर रहने की टिप्स दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के एक सर्वे के अनुसार अकेले भोपाल में ही डायबिटीज के मरीजों की संख्या ढाई लाख से ज्यादा है। वहीं प्रदेश में 6.9 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं। 2040 तक 14 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में होंगे। गांवों में भी यह बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। पांच साल पहले तक महज तीन प्रतिशत लोग ही इससे प्रभावित थे। 2016 में 6 प्रतिशत ग्रामीण इसका शिकार हो चुके हैं।
इनका कहना है...
योग के जरिए डायबिटीज पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इससे जीनवचर्या में भी परिवर्तन आता है।
डॉ. आरएच लता, क्षेत्रीय समन्वयक, विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान केंद्र