इंदौर. 9वीं
से 12वीं कक्षा के स्कूल 1 जून से शुरू करने के आदेश ने शिक्षकों के लिए
बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। अब तक मूल्यांकन के काम में जुटे शिक्षक इस
बार गर्मी की छुट्टियां भी नहीं मना सकेंगे। स्कूल खुलने से पहले तक नए
बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए मई में ही प्रवेश प्रक्रिया निपटाना चुनौती
बन गया है।
विगत कुछ वर्षों से स्कूलों में
नया सत्र 15 जून से शुरू हो रहा है। इससे पूर्व 1 जुलाई से ही नए सत्र की
शुरुआत होती थी। 15 जून से शुरू होने वाले सत्र के लिए सरकारी स्कूलों के
शिक्षक जून के पहले सप्ताह से प्रवेश प्रक्रिया निपटाने में लग जाते थे।
स्कूल चलो अभियान के तहत शिक्षकों का जिम्मा आस-पड़ोस के क्षेत्र में रहने
वाले उन बच्चों को एडमिशन दिलाना है, जो किसी भी कारण से पढ़ाई अधूरी छोड़
चुके हैं। प्राथमिक स्तर के स्कूलों में नए बच्चों को भी प्रवेश दिलाने की
जिम्मेदारी रहती थी। इस बार हाई व हायर सेकंडरी के स्कूल दो महीने से
परीक्षा और मूल्यांकन के काम में ही जुटे है। ये शिक्षक रिजल्ट तैयार होने
के बाद राहत की उम्मीद कर रहे थे। मगर, लोक शिक्षण संचालनालय ने 1 जून से
स्कूलों में सत्र शुरू करने के आदेश जारी कर दिए। यानी मई में भी शिक्षकों
को आराम नहीं मिलेगा। वे हर कार्यदिवस पर स्कूलों में पहुंचकर एडमिशन का
काम निपटाएंगे। 1 जून से स्कूल खुलने के आदेश से शिक्षकों में नाराजगी भी
है। उनका कहना है, सालभर स्कूल में पढ़ाने के साथ समय-समय पर निर्वाचन की
ड्यूटी निभाना पड़ती है। 15 जून से स्कूल खुलने पर मई माह में ही थोड़ा
सुकून मिलता था। इस बार मई में भी भीषण गर्मी में स्कूलों में पूरे समय
उपस्थित रहना होगा।
जिला शिक्षा अधिकारी सुधीर
कौशल का कहना है, 1 जून से सत्र शुरू करने का निर्णय शासन का है। सभी
स्कूलों में इसका पालन अनिवार्य रूप से किया जाएगा। नए सत्र की एडमिशन
प्रक्रिया मई माह में ही पूरी कर ली जाएगी। जिन बच्चों के रिजल्ट नहीं
आएंगे उन्हें प्रावधिक रूप से प्रवेश देंगे।