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नए सेटअप में फिट नहीं हुए तो आधे स्कूलों के 45 फीसदी शिक्षकों कर दिया अतिशेष, अब कह रहे पढ़ाते रहेंगे

- 635 स्कूलों में पदस्थ 1762 शिक्षक, 320 स्कूलों के 727 को किया अतिशेष
- तीन साल पहले की सर्विस बुक को आधार मान कर सूची जारी करने का शिक्षक भुगत रहे खामियाजा
- दावा-आपत्ति का आखिरी दिन मानकर बीईओ, डीईओ कार्यालय भटकते रहे अतिशेष हुए शिक्षक

जबलपुर। सरकारी स्कूलों में विषय और छात्र संख्या के हिसाब से शिक्षक और अध्यापक रखने के लिए इन दिनों चल रही शिक्षक, अध्यापकों की ऑनलाइन युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से हड़कंप मचा हुआ है। जल्दबाजी के चक्कर में शिक्षा विभाग के आला अफसरों ने तीन साल पुरानी सर्विस बुक को आधार मानकर उसी में अतिशेष का फार्मूला फिट कर दिया। नतीजा ये हुआ कि जिले के 635 मिडिल स्कूलों में से 50 प्रतिशत स्कूलों के शिक्षक अतिशेष की जद में आ गए। स्कूलों में पदस्थ 1762 शिक्षक, अध्यापकों में से 45 फीसदी शिक्षकों को अतिशेष में डाल दिया गया। शिक्षकों के विरोध के बाद अब विभाग कह रहा है कि ऐसा प्रावधान भी किया जा रहा है कि जिन स्कूलों में विषयमान के हिसाब से शिक्षक नहीं हैं उनमें अतिशेष को रखा जाएगा। जिन स्कूलों में विषय के शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हो पाएगी वहां अभी जो शिक्षक हैं वे ही पढ़ाते रहेंगे।
हंगामा मचा तो 26 तक बढ़ाई दावा-आपत्ति की तारीख
- चौतरफा हुए विरोध को देखते हुए शिक्षा विभाग ने सोमवार को फिर एक नई गाइडलाइन जारी की।
- भृत्यों को सूची में शामिल करने पर सफाई दी गई है कि भृत्य को शिक्षक न मानें वे वहीं पदस्थ रहेंगे।
- 26 मई तक बढ़ाई दावा-आपत्ति लगाने की तारीख।
- 5 जून तक संकुल प्राचार्य मान्य आपत्तियों को एजुकेशन पोर्टल में अपडेट करेंगे।,
- 9 जून को आपत्तियों को निराकरण कर फायनल सूची का प्रकाशन पोर्टल पर किया जाएगा।
- 12 से 17 जून तक अतिशेष शिक्षकों को स्कूलों का विकल्प चुनने मौका मिलेगा।
- 22 जून को काउंसलिंग कर अतिशेष शिक्षकों की नई पदस्थापना सूची जारी कर दी जाएगी।
- 27 जून तक शिक्षकों को पदभार ग्रहण करना होगा।
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0- आखिरी दिन दावा-आपत्ति लगाने ऐसे भटके
स्कूल में दो शिक्षक, एक ब्लाइंड वे भी अतिशेष
शा.मिडिल स्कूल बम्हौरी पनागर में छात्र संख्या 48 है। यहां दो शिक्षक ही पदस्थ हैं। एक रजनी बुंदेला और प्रभारी हेडमास्टर समशेर खान। समशेर खान दोनों आंखों से देख नहीं सकते। फिर भी गाइडलाइन को दरकिनार कर इन्हें भी अतिशेष कर दिया गया। सोमवार को दावे-आपत्ति लगाने समशेर खान डीईओ,बीईओ कार्यालय के चक्कर लगाते रहे।
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स्कूल में 4 शिक्षक,1 प्यून, पांचों अतिशेष
शा.मिडिल स्कूल पड़वार में 78 छात्रों को पढ़ाने 4 शिक्षक और पानी पिलाने एक प्यून पदस्थ है। अतिशेष करने की होड़ में चारों शिक्षक सहित प्यून को भी अतिशेष कर दिया गया। खास बात ये है कि किशोरीलाल नामदेव अगले माह 30 जून को रिटायर हो रहे वे भी अतिशेष की जद में आ गए हैं।
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ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित शिक्षक का बढ़ा दर्द
मिडिल स्कूल डोली, खुख्खम में पदस्थ प्रणव साहू ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से ग्रसित हैं। 2 बार ऑपरेशन के भी हो चुका। स्कूल में 3 शिक्षक हैं फिर भी इन्हें अतिशेष में डाल दिया गया। गंभीर बीमारी से पीड़ित शिक्षक जब से अतिशेष हुए है उनका दर्द और भी बढ़ गया है।
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सरकारी स्कूलों के ऐसे हैं हाल
1- 5 प्रतिशत ही हैं अंग्रेजी के शिक्षक, विज्ञान वाले ही पढ़ाएंगे
विसंगति- विषयमान के हिसाब से बनाए गए नए सेटअप में पहले तीन गणित, अंग्रेजी और समाजिक अध्ययन विषय के शिक्षक जरूरी किए गए हैं, लेकिन स्कूलों में करीब 5 प्रतिशत शिक्षक ही अंग्रेजी लिट्रेचर में बीए किए हैं। मतलब यहां विज्ञान के शिक्षक ही अंग्रेजी पढ़ाते रहेंगे।
2- 30 प्रतिशत स्कूलों में विषय विशेष के शिक्षक नहीं
विसंगति - 35 छात्र संख्या के मान से 175 छात्र संख्या वाले स्कूलों में ही 5 विषय के शिक्षक पदस्थ हो पाएंगे, लेकिन 30 प्रतिशत स्कूलों में विशेष विषय के शिक्षक ही नहीं हैं।
3- 50 प्रतिशत स्कूलों में तय से कम संख्या
विसंगति- सरकारी स्कूलों में 100 छात्र पर 3 शिक्षक, 105 पर एक हेडमास्टर और 3 शिक्षक जरूरी है। लेकिन 50 प्रतिशत स्कूलों में तय छात्र संख्या के मान से शिक्षक नहीं। कहीं 100 स्कूलों में 2 शिक्षक हैं तो कहीं 105 छात्र संख्या वाले स्कूलों में पदस्थ 3 शिक्षक में से एक को प्रभारी हेडमास्टर बना दिया गया है।
4- 40 फीसदी ही हिन्दी के शिक्षक
विसंगति - स्कूलों में अंग्रेजी की तरह हिन्दी के शिक्षक भी करीब 40 फीसदी है। विभाग का मानना है कि हिन्दी विषय कोई भी पढ़ा लेगा। इसलिए भी हिन्दी विषय भी नए सेटअप के प्रथम तीन में शामिल नहीं किए गए।
5- 2 फीसदी गाइडलाइन भी नहीं रखा ध्यान
विसंगति- अतिशेष की सूची तैयार बनाने से पहले 2 फीसदी गाइडलाइन का भी ध्यान नहीं रखा। यही वजह है कि गाइडलाइन के बाद भी ब्लाइंड, दिव्यांग, एक शिक्षक वाले स्कूल यहां तक की प्यून को भी अतिशेष बना दिया।
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सरकार ने अपनी ही गाइडलाइन खुद तोड़ी
1- गाइडलाइन में 104 छात्र संख्या वाले स्कूल के नियमित हेडमास्टर सहित 3 शिक्षक जरूरी है। हेडमास्टर नियमित नहीं अतिशेष माने जाएंगे। शहपुरा निची स्कूल में 114 शिक्षक हैं। फिर भी हेडमास्टर के नियमित पद पर पदस्थ धनीराम मेहरा को अतिशेष कर दिया गया।
2- गाइडलाइन में स्पष्ट हैं जहां विज्ञान के शिक्षक अंग्रेजी पढ़ाते हैं तो वहां विज्ञान के शिक्षकों को अंग्रेजी विषय के शिक्षक के रूप में पदस्थ कर देंगे। पर विषय के नए सेटअप में विज्ञान का पद शामिल ही नहीं किया।
3- युक्तियुक्तकरण की गाइडलाइन में साफ है कि जिन मिडिल स्कूलों में पहले से सहायक अध्यापक, शिक्षक पदस्थ हैं। वहां विषयमान के स्नातक योग्यताधारी शिक्षक, अध्यापक को मिडिल स्कूल पदस्थ किया जाएगा। मिडिल स्कूलों के हायर सेकेण्डरी योग्यताधारी शिक्षकों को प्राइमरी स्कूलों में पदस्थ करेंगे, लेकिन प्राइमरी स्कूल के अतिशेष की काउंसलिंग हुई ही नहीं। 

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