मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने कोरोना काल में शासकीय और निजी विद्यालयों में शिक्षण सत्र, शिक्षण शुल्क प्रबंधन और शिक्षकों के हितों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किए जाने को लेकर दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई में शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल से शपथ पत्र पर जवाब तलब किया है।
न्यायाधीश एससी शर्मा और न्यायाधीश शैलन्द्र शुक्ला की युगलपीठ ने आज जारी अपने आदेश में कहा कि इससे पहले भी निजी और शासकीय विधायालयों को अध्यापन कार्य में नियोजित शिक्षकों, इन विद्यालय में अध्यनरत विद्यार्थियों और इन विद्यार्थियों के अभिभावकों का हित संरक्षित किए जाने के आदेश जारी किए गए थे। जिसका पालन किया जाना चाहिए।
अदालत ने इसी क्रम में याचिककर्ता द्वारा एक प्रतिष्ठित निजी विद्यालय के द्वारा शिक्षकों को रहने के दिए गए स्थान को खाली कराए जाने, शिक्षकों को रहने के लिए दिए गए स्थान के एवज में किराया मांगे जाने और शिक्षकों को प्रतिमाह अदा किए जाने वाला तय वेतन का पूरा भुगतान नहीं किए जाने पर आज नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने इस निजी विद्यालय के संचालकों को आगामी दस नवंबर तक जनवरी 2020 से आज तक का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया है।
याचिका में राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, इंदौर जिला कलेक्टर, इंदौर जिला शिक्षा अधिकारी, किराया नियंत्रक प्राधिकारी, प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड स्कूल्स और एक अन्य निजी स्कूल का पक्षकार बनाया गया है।