इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। नियमित नहीं आने वाले बच्चों तक पहुंचना, बसाहट में जाकर कक्षाएं लगाना, कोरोना काल में चलता-फिरता पुस्तकालय बनाकर बच्चों को सिखाना और बच्चों के लिए मन से कार्य करना ही एक शिक्षक का दायित्व होता है। इसके लिए समर्पण भाव की जरूरत है। मध्यप्रदेश की प्रगति में शिक्षकों का रचनात्मक योगदान है।
यह बात राज्य शिक्षा केंद्र और शिक्षक संदर्भ समूह की ऑनलाइन संगोष्ठी में शिक्षिका उषा दुबे ने कही। इनके नवाचार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में सराहना कर चुके हैं। सिंगरौली के अशोक शुक्ला ने कहा कि मध्यप्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की जरूरत बताई। मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त प्रो. नलिनी जुनेजा ने कहा कि फाउंडेशन स्टेज की उन्नाति को बढ़ावा देना चाहिए। टीचर्स यूनियन की भूमिका व्यावसायिक विकास पर नहीं होगी तो शिक्षक उन बुलंदियों को नहीं छू पाएगा। शिक्षक संघ के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री हरीश मारण ने कहा कि पलायन कर गए मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई बड़ी जिम्मेदारी है।
मध्य प्रदेश शिक्षक संघ टीकमगढ़ के जिलाध्यक्ष जगदीश दुबे ने कहा कि अभावों के बावजूद शिक्षकों ने शिक्षा की नींव रखी है। राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षक सुभाष यादव ने कहा कि दक्षता के साथ यदि छात्रों को पढ़ाया जाए तो अध्यापन रोचक हो सकता है। इंदौर की नमिता दुबे ने शिक्षकों की समस्याएं साझा कीं।