मध्यप्रदेश सरकार पहली से लेकर 8वीं तक की क्लास 31 मार्च तक बंद करने के आदेश जारी कर चुकी है, जबकि 9वीं से लेकर 12वीं तक की क्लास जल्द खोले जाने की बात की जा रही है। यह कब तक खुलेंगी, किसी को पता नहीं है। ऐसे में अब निजी स्कूल संचालक सरकार के खिलाफ मुखर हो गए हैं। प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर करीब दो लाख स्कूल हैं। उन्होंने स्कूल संचालन के लिए एक प्रस्ताव बनाया है और वे चाहते हैं कि सरकार उस पर रजामंदी करके संचालन की अनुमति दे।
स्कूल संचालकों और उससे जुड़े शिक्षकों और स्कूल स्टाफ का दर्द क्या है? ऐसे ही सवालों के बारे में एसोसिएशन ऑफ अन-एडेड प्राइवेट स्कूल्ज मध्यप्रदेश एवं सहोदय ग्रुप के सचिव विनी राज मोदी ने बातचीत की। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल में गाइड लाइन का पालन किया जाएगा, लेकिन सरकार निर्णय नहीं ले पा रही। हम सरकार और बच्चों के अभिभावकों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि बच्चों के भविष्य के लिए स्कूल का खुलना और बच्चों का परीक्षा देना जरूरी है।
जानिए, संचालक क्या चाहते हैं
सवाल : आज की प्रेस कांफ्रेंस करने का उद्देश्य है?
जवाब : सरकार ने खुद ही स्कूल बंद करने का निर्णय ले लिया है। 9वीं से लेकर 12वीं तक का जल्द खोलने की बात हो रही है, लेकिन कब खोले जाएंगे इसका निर्णय नहीं हुआ। सवाल उठता है कि सभी तरह की व्यवस्थाएं खुल चुकी हैं, सिर्फ स्कूल पर ही पाबंदी क्यों?
सवाल : यदि स्कूल खुलते हैं, तो क्या व्यवस्था रहेगी?
जवाब :
केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार पूरी व्यवस्था होगी। कमेटी बनाई गई
है। यह बच्चों के सोशल डिस्टेंसिंग पर नजर रखेगी। गेम्स या स्पोर्ट्स के
पीरियड नहीं होंगे। बसों में 50% क्षमता के साथ बच्चों को लाया जाएगा।
इसमें कुछ खर्चा बढ़ेगा।
सवाल : खर्च बढ़ेगा, तो उसका भार किस पर होगा?
जवाब : इसका खर्च दोनों पर ही आएगा। स्कूल के साथ अभिभावकों को भी कुछ खर्च उठाना पड़ेगा।
सवाल : 50% के साथ स्कूल खुलने पर पढ़ाई कैसे की जाएगी?
जवाब :
ज्यादातर स्कूलों में खुले में पढ़ाया जाएगा। रूम में आधे बच्चों को ही
बैठाया जाएगा। दो शिफ्ट में स्कूल लगाए जा सकेंगे। खुले रूम रखे जाएंगे। हर
दो लेक्चर के बाद 15 मिनट का ब्रेक करेंगे।
सवाल : पेरेंट्स को कैसे विश्वास दिलाना चाहेंगे, ताकि वे बच्चों को स्कूल भेजें?
जवाब :
कहीं-कहीं न छोटे बच्चों को लेकर अभिभावकों की चिंता समझ आती है, लेकिन
उन्हें भी समझना होगा कि 9 महीने सभी बच्चे ट्रेंड हो चुके हैं। सभी इस बात
को समझने लगे हैं। बच्चों पर विश्वास करना होगा। उन्हें सिखाना जरूरी है।
यहां शिक्षक हैं उन्हें देखने के लिए।
सवाल : क्या शासन ने स्कूल खोले जाने का समय दिया है?
जवाब :
सरकार सिर्फ जल्द खोले जाने की बात कर रही है, लेकिन निर्णय नहीं ले रही।
सरकार को ही विश्वास दिलाना होगा, लेकिन सरकार को खुद ही विश्वास नहीं है।
कोरोना अब रहने वाला है और उसके साथ रहना सीखना होगा।
सवाल : ऑन लाइन क्लास से बच्चों की पढ़ाई का कितना नुकसान हुआ है?
जवाब :
ऑन लाइन क्लास से भरपाई नहीं की जा सकती। जो बच्चे ध्यान दे रहें हैं,
उनके साथ हम भी लगातार मेहनत कर रहे हैं, लेकिन जो ध्यान ही नहीं दे रहे।
वो कहीं न कहीं पीछे हैं। कम से कम 90 दिन का शैक्षणिक समय दिया जाए। हम
शासन के सामने 10 मांगे रखी हैं। बच्चों के भविष्य को देखते हुए अब सरकार
को निर्णय करना है।