भोपाल. स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हर स्कूल में शिक्षक पहुंचाने की व्यवस्था में निचले स्तर के अधिकारी रोड़े अटका रहे हैं। जिलों में काम करने वाले अधिकारी सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। अतिशेष शिक्षकों की सूची एक बार फिर विवादों में आ रही है।
अब एक एेसा मामला सामने आया है कि एक सहायक शिक्षक को विधवा बताकर अतिशेष होने से बचाया गया है। जबकि, उनके पति शासकीय सेवा में हैं।
सूची में रिटायर्ड शिक्षकों के नाम भी शामिल हैं। शिक्षकों के कार्यस्थल को गलत बताया गया है। इसके अलावा जहां अतिशेष की गणना की जानी चाहिए वहां नहीं की गई। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सूची जारी करने के बाद दावे आपत्ति दर्ज करने के लिए दो दिन का समय दिया था। शिक्षकों को बुधवार तक ऑनलाइन आपत्ति दर्ज करानी थी। कई शिक्षक सर्वर की दिक्कत आने के कारण आपत्ति दर्ज नहीं करा सके।
इस तरह की खामियां आ रहीं सामने
दामखेड़ा ईजीएस में पदस्थ सहायक शिक्षक कल्पना सरते के पति शासकीय सेवा में कार्यरत हैं। सूची में विधवा बताकर अतिशेष से बचाया गया है। इनके पति स्कूल शिक्षा विभाग में ही कार्यरत हैं।माध्यमिक शाला गांधीनगर स्कूल में दो प्रधान अध्यापक कामिनी शर्मा व सुमन उपाध्याय पदस्थ हैं। नियमानुसार एक होना चाहिए। दोनों में से किसी को सरप्लस नहीं बताया गया है। यूडीटी सुलोचना बकड़कर की पदस्थापना हायर सेकंडरी कन्या स्टेशन में है। लेकिन प्राथमिक शाला कन्या स्टेशन में बताकर सरप्लस किया गया। प्राथमिक शाला कन्या स्टेशन में सहायक शिक्षक साहेबलाल पाली 1 जनवरी 2015 से पदस्थ हैं। जबकि सूची में दिनांक 1 जनवरी 2010 बताया गया है। जोकि गलत है।
प्रदेश प्रवक्ता जीतेंद्र शाक्य ने कहा कि पिछले चार महीने से कार्रवाई चल रही है। बार-बार शासन दिशा-निर्देश बदल रही है। इसके कारण शिक्षक मानसिक दबाव में हैं, जिससे वे काम नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षक दावे आपत्ति भी दर्ज नहीं करा सके हैं।
आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय नीरज दुबे ने कहा कि शासन स्तर पर जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से भेजी जाती है। जो जानकारी मिली है उसकी अनुसार सूची जारी की गई है। यदि जानकारी गलत है तो उस पर संज्ञान लेकर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सूची में सुधार कराया जाएगा।
अब एक एेसा मामला सामने आया है कि एक सहायक शिक्षक को विधवा बताकर अतिशेष होने से बचाया गया है। जबकि, उनके पति शासकीय सेवा में हैं।
सूची में रिटायर्ड शिक्षकों के नाम भी शामिल हैं। शिक्षकों के कार्यस्थल को गलत बताया गया है। इसके अलावा जहां अतिशेष की गणना की जानी चाहिए वहां नहीं की गई। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सूची जारी करने के बाद दावे आपत्ति दर्ज करने के लिए दो दिन का समय दिया था। शिक्षकों को बुधवार तक ऑनलाइन आपत्ति दर्ज करानी थी। कई शिक्षक सर्वर की दिक्कत आने के कारण आपत्ति दर्ज नहीं करा सके।
इस तरह की खामियां आ रहीं सामने
दामखेड़ा ईजीएस में पदस्थ सहायक शिक्षक कल्पना सरते के पति शासकीय सेवा में कार्यरत हैं। सूची में विधवा बताकर अतिशेष से बचाया गया है। इनके पति स्कूल शिक्षा विभाग में ही कार्यरत हैं।माध्यमिक शाला गांधीनगर स्कूल में दो प्रधान अध्यापक कामिनी शर्मा व सुमन उपाध्याय पदस्थ हैं। नियमानुसार एक होना चाहिए। दोनों में से किसी को सरप्लस नहीं बताया गया है। यूडीटी सुलोचना बकड़कर की पदस्थापना हायर सेकंडरी कन्या स्टेशन में है। लेकिन प्राथमिक शाला कन्या स्टेशन में बताकर सरप्लस किया गया। प्राथमिक शाला कन्या स्टेशन में सहायक शिक्षक साहेबलाल पाली 1 जनवरी 2015 से पदस्थ हैं। जबकि सूची में दिनांक 1 जनवरी 2010 बताया गया है। जोकि गलत है।
प्रदेश प्रवक्ता जीतेंद्र शाक्य ने कहा कि पिछले चार महीने से कार्रवाई चल रही है। बार-बार शासन दिशा-निर्देश बदल रही है। इसके कारण शिक्षक मानसिक दबाव में हैं, जिससे वे काम नहीं कर पा रहे हैं। शिक्षक दावे आपत्ति भी दर्ज नहीं करा सके हैं।
आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय नीरज दुबे ने कहा कि शासन स्तर पर जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से भेजी जाती है। जो जानकारी मिली है उसकी अनुसार सूची जारी की गई है। यदि जानकारी गलत है तो उस पर संज्ञान लेकर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सूची में सुधार कराया जाएगा।