सिलवानी.
शिक्षा विभाग के बाबुओं एवं जिम्मेदार अधिकारियों ने एक साथ एक ही पद पर
नियुक्त अध्यापकों को अलग अलग वेतन देकर छठवें वेतनमान की गणित गड़बड़ा दी
है। अध्यापकों को लंबे संघर्ष के बाद छठवां वेतनमान मिला है, जिसके
निर्धारण में बाबुओं एवं अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी की जा रही है।
वेतनमान लगने के बाद अध्यापकों का वेतन पहले से भी कम हो गया है। कई अध्यापकों द्वारा वेतन निर्धारण में बरती गई लापरवाही के चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। सबसे बड़ी लापरवाही ये है कि जूनियर का वेतन ज्यादा और सीनियर का कम निर्धारित किया गया है। 2003 में नियुक्त अध्यापक का वेतन 34 हजार 135 और तीन साल बाद 2006 में संविदा शिक्षक वर्ग 2 के रूप में नियुक्त होकर अध्यापक बने शिक्षकों का वेतन 35 हजार 530 दिया जा रहा है।
कैसी-कैसी गड़बड़ी
सिलवानी विकासखण्ड के सभी 6 संकुलों द्वारा एक ही पद पर एक साथ नियुक्त अध्यापकों का अपनी मर्जी से अलग-अलग तरह से वेतन का निर्धारण किया गया है। जबकि संकुल व्यवस्था समाप्त हुए एक वर्ष होने को है। इतना ही नहीं संकुल केन्द्र बाउमा विद्यालय सिलवानी के लेखापाल ने 2003 में नियुक्त 3 अध्यापकों को 34 हजार 135 तथा 1 अध्यापक को 39 हजार 735 वेतन दिया है। ऐसी ही अनेक विसंगतियां नजर आ रही हैं। खास बात यह है कि छठवे वेतनमान के बाद अध्यापकों को पहले से मिल रहे वेतन में 4 से 5 हजार की कमी आई है। बाउमावि सिलवानी में पदस्थ 1998 के आजाद कुमार राय वरिष्ठ अध्यापक को 39 हजार 828, नंदकिशोर शर्मा वरिष्ठ अध्यापक को 39 हजार 828 वेतन मिला। जबकि इसी परिसर में कउमावि में पदस्थ 1998 के ही महेश गोपाल दुबे वरिष्ठ अध्यापक को 43 हजार 673, नर्वदा प्रसाद शिल्पी वरिष्ठ अध्यापक को 42 हजार 390 वेतन दी गई। इसी तरह कउमा में पदस्थ 1998 में नियुक्त मंजूलता श्रीवास्तव अध्यापक को 38 हजार 745 तथा इसी परिसर के बाउमावि में कार्यरत 1998 में नियुक्त रजनी चौरसिया अध्यापक का वेतन 35 हजार 643 बनाया गया है। इसके अलावा अन्य के वेतन निर्धारण में कई तरह की विसंगतियां पाई गई हैं। जिससे सीनियर अध्यापकों को कम और जूनियर अध्यापकों को ज्यादा वेतन मिल रहा है।
अध्यापकों का नवीन वेतन मान के निधरिण के लिए वरिष्ठ कार्यालय से जिला स्तरीय कमेटी बनाई गई है। त्रुटि होने पर कमेटी के निर्देशानुसार संशोधित वेतन दिया जाएगा।
नरेश रघुवंशी, ब्लाक शिक्षा अधिकरी
वेतनमान लगने के बाद अध्यापकों का वेतन पहले से भी कम हो गया है। कई अध्यापकों द्वारा वेतन निर्धारण में बरती गई लापरवाही के चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। सबसे बड़ी लापरवाही ये है कि जूनियर का वेतन ज्यादा और सीनियर का कम निर्धारित किया गया है। 2003 में नियुक्त अध्यापक का वेतन 34 हजार 135 और तीन साल बाद 2006 में संविदा शिक्षक वर्ग 2 के रूप में नियुक्त होकर अध्यापक बने शिक्षकों का वेतन 35 हजार 530 दिया जा रहा है।
कैसी-कैसी गड़बड़ी
सिलवानी विकासखण्ड के सभी 6 संकुलों द्वारा एक ही पद पर एक साथ नियुक्त अध्यापकों का अपनी मर्जी से अलग-अलग तरह से वेतन का निर्धारण किया गया है। जबकि संकुल व्यवस्था समाप्त हुए एक वर्ष होने को है। इतना ही नहीं संकुल केन्द्र बाउमा विद्यालय सिलवानी के लेखापाल ने 2003 में नियुक्त 3 अध्यापकों को 34 हजार 135 तथा 1 अध्यापक को 39 हजार 735 वेतन दिया है। ऐसी ही अनेक विसंगतियां नजर आ रही हैं। खास बात यह है कि छठवे वेतनमान के बाद अध्यापकों को पहले से मिल रहे वेतन में 4 से 5 हजार की कमी आई है। बाउमावि सिलवानी में पदस्थ 1998 के आजाद कुमार राय वरिष्ठ अध्यापक को 39 हजार 828, नंदकिशोर शर्मा वरिष्ठ अध्यापक को 39 हजार 828 वेतन मिला। जबकि इसी परिसर में कउमावि में पदस्थ 1998 के ही महेश गोपाल दुबे वरिष्ठ अध्यापक को 43 हजार 673, नर्वदा प्रसाद शिल्पी वरिष्ठ अध्यापक को 42 हजार 390 वेतन दी गई। इसी तरह कउमा में पदस्थ 1998 में नियुक्त मंजूलता श्रीवास्तव अध्यापक को 38 हजार 745 तथा इसी परिसर के बाउमावि में कार्यरत 1998 में नियुक्त रजनी चौरसिया अध्यापक का वेतन 35 हजार 643 बनाया गया है। इसके अलावा अन्य के वेतन निर्धारण में कई तरह की विसंगतियां पाई गई हैं। जिससे सीनियर अध्यापकों को कम और जूनियर अध्यापकों को ज्यादा वेतन मिल रहा है।
अध्यापकों का नवीन वेतन मान के निधरिण के लिए वरिष्ठ कार्यालय से जिला स्तरीय कमेटी बनाई गई है। त्रुटि होने पर कमेटी के निर्देशानुसार संशोधित वेतन दिया जाएगा।
नरेश रघुवंशी, ब्लाक शिक्षा अधिकरी