शिक्षा विभाग और अध्यापकों की लड़ाई सोमवार को जिला प्रशासन तक पहुंच गई।
शिक्षकों ने एडीएम मीनाक्षी सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए शिक्षा विभाग द्वारा
आदेश की कंडिकाओं का पालन नहीं करने के साथ वेतन गणना में हुई त्रुटियों
से अवगत कराया।
इस पर एडीएम ने मामले के संबंध में साक्ष्य लेकर आने के साथ रिकवरी की जांच प्रशासनिक समिति गठित कर करवाने का आश्वासन दिया। शिक्षकों ने समिति में संवर्ग के तीनों वर्ग से 1-1 सदस्य शामिल करने की मांग भी की।
सोमवार दोपहर करीब 12.30 बजे कलेक्टोरेट परिसर में अध्यापकों ने एडीएम मीनाक्षी सिंह से चर्चा की। इसमें शिक्षकों ने बताया कि बीईओ व अन्य कर्मचारी हमें भृत्य के बराबर मानते हुए इस संबंंध में बात तक नहीं कर रहे। अब प्रशासनिक स्तर पर इसकी जांच होने पर ही वस्तुस्थिति सामने आ पाएगी। इस दौरान शिक्षकों ने बताया कि वेतन गणना में त्रुटि, आदेश की कंडिकाओं के पालन नहीं होने से हर शिक्षक के वेतन में 5-7 हजार रुपए का अंतर आ रहा है।
दो माह से विभागीय स्तर पर कर रहे थे प्रयास
संघर्ष समिति के दिनेश पालीवाल ने बताया कि हम पिछले दो माह से विभागीय स्तर पर परेशानी को हल करने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन विभाग के अधिकारी व बाबू हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं। जबकि विभाग द्वारा की गई गड़बड़ियों के कई साक्ष्य हमारे पास हैं। वेतन विसंगति दूर करने के लिए प्रशासन को अवगत कराया है। जरूरत पड़ी तो न्यायालय में भी जाएंगे।
इस पर एडीएम ने मामले के संबंध में साक्ष्य लेकर आने के साथ रिकवरी की जांच प्रशासनिक समिति गठित कर करवाने का आश्वासन दिया। शिक्षकों ने समिति में संवर्ग के तीनों वर्ग से 1-1 सदस्य शामिल करने की मांग भी की।
सोमवार दोपहर करीब 12.30 बजे कलेक्टोरेट परिसर में अध्यापकों ने एडीएम मीनाक्षी सिंह से चर्चा की। इसमें शिक्षकों ने बताया कि बीईओ व अन्य कर्मचारी हमें भृत्य के बराबर मानते हुए इस संबंंध में बात तक नहीं कर रहे। अब प्रशासनिक स्तर पर इसकी जांच होने पर ही वस्तुस्थिति सामने आ पाएगी। इस दौरान शिक्षकों ने बताया कि वेतन गणना में त्रुटि, आदेश की कंडिकाओं के पालन नहीं होने से हर शिक्षक के वेतन में 5-7 हजार रुपए का अंतर आ रहा है।
दो माह से विभागीय स्तर पर कर रहे थे प्रयास
संघर्ष समिति के दिनेश पालीवाल ने बताया कि हम पिछले दो माह से विभागीय स्तर पर परेशानी को हल करने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन विभाग के अधिकारी व बाबू हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं। जबकि विभाग द्वारा की गई गड़बड़ियों के कई साक्ष्य हमारे पास हैं। वेतन विसंगति दूर करने के लिए प्रशासन को अवगत कराया है। जरूरत पड़ी तो न्यायालय में भी जाएंगे।