अपनी परीक्षाओं में अव्यवस्थाओं को लेकर सुर्खियों में चल रहे महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय छतरपुर का एक और कारनामा सामने आया है। सोमवार को बीएड में लेंग्वेज ऑफ केरीकुलम एक्टिविटी विषय का पेपर देने आए विद्यार्थियों को सिर्फ हिंदी अनुवाद में पेपर थमा दिया।
इसका अंग्रेजी अनुवाद था ही नहीं। अंग्रेजी भाषा में तैयारी कर आए विद्यार्थियों ने इसकी शिकायत की। हल्ला मचाया। दरअसल परीक्षा दे रहे अधिकांश छात्र इंग्लिश मीडियम के थे। लेंग्वेज के पेपर में हिंदी अनुवाद में कई शब्द इतने जटिल थे, जिनका अर्थ सही-सही कोई नहीं लगा सका। शिक्षक भी इसका सही-सही अर्थ नहीं बना सके। आखिर में वही हुआ जो अब तक छतरपुर विवि की परीक्षाओं में होता आया है। उचित निर्णय का आश्वासन सभी को दिया गया और सभी से परीक्षा करा ली गई। मजबूरी में छात्रों ने पेपर हल कर दिया। आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में चल रही बीएड परीक्षा में सोमवार को करीब 350 विद्यार्थी शामिल हुए। छतरपुर यूनिवर्सिटी की परीक्षा में इस प्रकार की लापरवाही का यह पहला मौका नहीं है। पिछले ही दिनों आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में ही बीएससी फर्स्ट सेमेस्टर के छात्रों को थर्ड सेमेस्टर का पेपर थमा दिया था। इससे पहले भी आउट ऑफ सिलेबस पेपर कराने की शिकायतें आई हैं। वहीं बीना में एमए इतिहास के पेपर में कई त्रुटियां सामने आई थीं। पेपर डेढ़ घंटे की देरी से होने, पेपर की जगह फोटो कॉपी देने जैसे मामले भी सामने आए हैं। आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीएस रोहित ने बताया कि बीएड में अंग्रेजी भाषा के पेपर में हिंदी का पेपर थमा दिया गया था। इसकी शिकायत छतरपुर विवि के कुलसचिव को भेज दी है। उन्होंने छात्र हित में उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।
छतरपुर विश्वविद्यालय का एक और कारनामा
कॉलेजों से सीसीई, प्रैक्टिकल और सेमिनार के अंक समय से नहीं आना आज की समस्या नहीं है। इस संबंध में हम नोटिस तक निकाल चुके हैं, लेकिन कई कॉलेज इसके बाद भी नहीं सुधरे हैं। चंद छात्रों के फेर में हजारों छात्रों का रिजल्ट अटका रहता है, लिहाजा हमने तय किया है कि बार-बार सूचना एवं एक तय अवधि के बाद भी जिन कॉलेज से नंबर नहीं आते, उनका इंतजार नहीं करते हुए हम शेष के रिजल्ट जारी कर देते हैं। -प्रो. दिवाकर शर्मा, परीक्षा नियंत्रक
सीसीई, प्रैक्टिकल, सेमिनार आदि होने, उसके रिजल्ट आदि आने के बाद हमारे द्वारा समय से अंक भेजे जाते हैं। इसका रिकॉर्ड भी रखा जाता है। इसके बाद भी कोई समस्या आ रही है, तो हम उसे प्रमुखता से दिखवाएंगे। - डॉ. जीएस रोहित, प्राचार्य, आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज
दो कक्षाओं के छात्र फेल, कॉलेज का दावा नंबर भेजे थे : बीबीए तीसरे और पांचवें सेमेस्टर के सेमिनार के नंबर नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों के रिजल्ट में सेमिनार में शून्य अंक मिलना बताया जा रहा है। फिलहाल अंकसूची तो नहीं बनी है, लेकिन विवि से छात्रों को यह जानकारी लगी है। छात्रों ने विवि से इसका पूछा तो उन्होंने कहा कि कॉलेज से नंबर नहीं मिले। राजवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि पहले दूसरे और अब तीसरे सेमेस्टर में लगातार अंक नहीं भेजने के कारण सेमिनार में शून्य मिला है। कॉलेज वालों ने बताया कि हम समय से नंबर भेज चुके हैं, इसकी पावती भी है। दिखा दी जाएगी।
टूट गई सब्र की इंतिहा
छात्र दीपक दांगी ने वर्ष 2013 में बीबीए प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा दी। सेशनल में भी उपस्थित रहा, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उसके सेशनल के नंबर नहीं भेजे। मार्कशीट में अनुपस्थित लिखा आया। 2015 में उसने फिर से परीक्षा दी, इसमें भी उसे सभी में अनुपस्थित बता दिया। इस साल उसने फिर से परीक्षा दी, कॉलेज प्रबंधन ने फिर से अनुपस्थित कर दिया। तीनों बार छात्र ने फीस भरी, सेशनल दिए, लेकिन अंक विवि नहीं पहुंचने के कारण इस बार भी एबसेंट बता कर फेल घोषित कर दिया। कॉलेज में छात्र ने संपर्क किया तो बताया कि हमने हर साल नंबर भेजे हैं, पावती भी है।
टूट गई सब्र की इंतिहा
छात्र दीपक दांगी ने वर्ष 2013 में बीबीए प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा दी। सेशनल में भी उपस्थित रहा, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उसके सेशनल के नंबर नहीं भेजे। मार्कशीट में अनुपस्थित लिखा आया। 2015 में उसने फिर से परीक्षा दी, इसमें भी उसे सभी में अनुपस्थित बता दिया। इस साल उसने फिर से परीक्षा दी, कॉलेज प्रबंधन ने फिर से अनुपस्थित कर दिया। तीनों बार छात्र ने फीस भरी, सेशनल दिए, लेकिन अंक विवि नहीं पहुंचने के कारण इस बार भी एबसेंट बता कर फेल घोषित कर दिया। कॉलेज में छात्र ने संपर्क किया तो बताया कि हमने हर साल नंबर भेजे हैं, पावती भी है।
इसका अंग्रेजी अनुवाद था ही नहीं। अंग्रेजी भाषा में तैयारी कर आए विद्यार्थियों ने इसकी शिकायत की। हल्ला मचाया। दरअसल परीक्षा दे रहे अधिकांश छात्र इंग्लिश मीडियम के थे। लेंग्वेज के पेपर में हिंदी अनुवाद में कई शब्द इतने जटिल थे, जिनका अर्थ सही-सही कोई नहीं लगा सका। शिक्षक भी इसका सही-सही अर्थ नहीं बना सके। आखिर में वही हुआ जो अब तक छतरपुर विवि की परीक्षाओं में होता आया है। उचित निर्णय का आश्वासन सभी को दिया गया और सभी से परीक्षा करा ली गई। मजबूरी में छात्रों ने पेपर हल कर दिया। आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में चल रही बीएड परीक्षा में सोमवार को करीब 350 विद्यार्थी शामिल हुए। छतरपुर यूनिवर्सिटी की परीक्षा में इस प्रकार की लापरवाही का यह पहला मौका नहीं है। पिछले ही दिनों आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में ही बीएससी फर्स्ट सेमेस्टर के छात्रों को थर्ड सेमेस्टर का पेपर थमा दिया था। इससे पहले भी आउट ऑफ सिलेबस पेपर कराने की शिकायतें आई हैं। वहीं बीना में एमए इतिहास के पेपर में कई त्रुटियां सामने आई थीं। पेपर डेढ़ घंटे की देरी से होने, पेपर की जगह फोटो कॉपी देने जैसे मामले भी सामने आए हैं। आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीएस रोहित ने बताया कि बीएड में अंग्रेजी भाषा के पेपर में हिंदी का पेपर थमा दिया गया था। इसकी शिकायत छतरपुर विवि के कुलसचिव को भेज दी है। उन्होंने छात्र हित में उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है।
छतरपुर विश्वविद्यालय का एक और कारनामा
कॉलेजों से सीसीई, प्रैक्टिकल और सेमिनार के अंक समय से नहीं आना आज की समस्या नहीं है। इस संबंध में हम नोटिस तक निकाल चुके हैं, लेकिन कई कॉलेज इसके बाद भी नहीं सुधरे हैं। चंद छात्रों के फेर में हजारों छात्रों का रिजल्ट अटका रहता है, लिहाजा हमने तय किया है कि बार-बार सूचना एवं एक तय अवधि के बाद भी जिन कॉलेज से नंबर नहीं आते, उनका इंतजार नहीं करते हुए हम शेष के रिजल्ट जारी कर देते हैं। -प्रो. दिवाकर शर्मा, परीक्षा नियंत्रक
सीसीई, प्रैक्टिकल, सेमिनार आदि होने, उसके रिजल्ट आदि आने के बाद हमारे द्वारा समय से अंक भेजे जाते हैं। इसका रिकॉर्ड भी रखा जाता है। इसके बाद भी कोई समस्या आ रही है, तो हम उसे प्रमुखता से दिखवाएंगे। - डॉ. जीएस रोहित, प्राचार्य, आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज
दो कक्षाओं के छात्र फेल, कॉलेज का दावा नंबर भेजे थे : बीबीए तीसरे और पांचवें सेमेस्टर के सेमिनार के नंबर नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों के रिजल्ट में सेमिनार में शून्य अंक मिलना बताया जा रहा है। फिलहाल अंकसूची तो नहीं बनी है, लेकिन विवि से छात्रों को यह जानकारी लगी है। छात्रों ने विवि से इसका पूछा तो उन्होंने कहा कि कॉलेज से नंबर नहीं मिले। राजवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि पहले दूसरे और अब तीसरे सेमेस्टर में लगातार अंक नहीं भेजने के कारण सेमिनार में शून्य मिला है। कॉलेज वालों ने बताया कि हम समय से नंबर भेज चुके हैं, इसकी पावती भी है। दिखा दी जाएगी।
टूट गई सब्र की इंतिहा
छात्र दीपक दांगी ने वर्ष 2013 में बीबीए प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा दी। सेशनल में भी उपस्थित रहा, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उसके सेशनल के नंबर नहीं भेजे। मार्कशीट में अनुपस्थित लिखा आया। 2015 में उसने फिर से परीक्षा दी, इसमें भी उसे सभी में अनुपस्थित बता दिया। इस साल उसने फिर से परीक्षा दी, कॉलेज प्रबंधन ने फिर से अनुपस्थित कर दिया। तीनों बार छात्र ने फीस भरी, सेशनल दिए, लेकिन अंक विवि नहीं पहुंचने के कारण इस बार भी एबसेंट बता कर फेल घोषित कर दिया। कॉलेज में छात्र ने संपर्क किया तो बताया कि हमने हर साल नंबर भेजे हैं, पावती भी है।
टूट गई सब्र की इंतिहा
छात्र दीपक दांगी ने वर्ष 2013 में बीबीए प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा दी। सेशनल में भी उपस्थित रहा, लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उसके सेशनल के नंबर नहीं भेजे। मार्कशीट में अनुपस्थित लिखा आया। 2015 में उसने फिर से परीक्षा दी, इसमें भी उसे सभी में अनुपस्थित बता दिया। इस साल उसने फिर से परीक्षा दी, कॉलेज प्रबंधन ने फिर से अनुपस्थित कर दिया। तीनों बार छात्र ने फीस भरी, सेशनल दिए, लेकिन अंक विवि नहीं पहुंचने के कारण इस बार भी एबसेंट बता कर फेल घोषित कर दिया। कॉलेज में छात्र ने संपर्क किया तो बताया कि हमने हर साल नंबर भेजे हैं, पावती भी है।