इंदौर, नगर प्रतिनिधि। सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर की
नियुक्तियों में फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए पद हासिल करने की बात जांच में
साबित हो गई है। उच्चशिक्षा विभाग की जांच समिति ने प्रोफेसर बन चुके 60 से
ज्यादा उम्मीदवारों के दस्तावेजों को फर्जी या गलत माना है।
कमेटी ने संबंधित प्रोफेसरों और अफसरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की सिफारिश करते हुए पीएससी की चयन प्रक्रिया पर भी संदेह जताया है।
दरअसल, 2009 में उच्चशिक्षा विभाग ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में 385 पदों पर प्रोफेसर की सीधे भर्ती की थी। आमतौर पर कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन होता है, लेकिन विभाग ने खाली पदों के अधीन बरसों बाद सीधे नियुक्तियां की थीं। चयन की जिम्मेदारी पीएससी को दी गई थी। पीएससी की प्रक्रिया के बाद 256 पदों पर नियुक्तियां भी दे दी गईं।
2014 में 103 प्रोफेसरों के खिलाफ एनएसयूआई के पूर्व प्रवक्ता पंकज प्रजापति ने कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित विभाग में शिकायत दर्ज कराने को कहा था। इसके बाद प्रजापति व अन्य ने उच्चशिक्षा विभाग को 103 प्रोफेसरों की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत की।
पीएससी ने यूं मापदंड बदलकर पहुंचाया फायदा
शिकायत के बाद उच्चशिक्षा विभाग ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने जांच के बाद उच्चशिक्षा को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में पीएससी पर संदेह जाहिर करते हुए कहा गया है कि उसने विज्ञापन जारी होने के बाद अनुभव प्रमाणपत्र को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया और अनुदान प्राप्त गैरसरकारी कॉलेजों के अनुभव को भी मान्य करने का संशोधन किया। इसी का फायदा उठाकर कई अयोग्य उम्मीदवार भी प्रोफेसर बन बैठे। कमेटी ने इसे नियमविरुद्ध मानते हुए कहा है कि ऐसी पूरी जानकारी विज्ञापन में दी जाना चाहिए। यदि बाद में संशोधन जरूरी था तो पूरी प्रक्रिया निरस्त कर फिर से आवेदन मंगवाने थे।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
- कई प्रोफेसरों द्वारा पेश अनुभव प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। पीएससी ने उनकी प्रामाणिकता की जांच की जरूरत भी नहीं समझी।
- जिस विषय में पीएचडी नहीं है, उस विषय में उम्मीदवारों का प्रोफेसर पद पर चयन किया गया।
- कुछ तो ऐसे थे जिन्हें पहले चयनित कर लिया गया और उन्हें पीएचडी उपाधि बाद में मिली जबकि यह अनिवार्य योग्यता में शामिल थी।
- कुछ उम्मीदवारों के संविदा शिक्षक के अनुभव प्रमाणपत्र भी स्वीकार किए गए। यूजीसी के दिशा-निर्देश के मुताबिक चार साल पीजी में पढ़ाने का अनुभव भी पीएससी ने नकार दिया।
- 2 से ज्यादा संतान वाले उम्मीदवारों को भी चयन कर नियुक्ति दी गई।
रिपोर्ट मिली है
जांच रिपोर्ट मिली है। हम कानूनी राय लेकर आगे की कार्रवाई करेंगे। -आशीष उपाध्याय, प्रमुख सचिव उच्चशिक्षा
कमेटी ने संबंधित प्रोफेसरों और अफसरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की सिफारिश करते हुए पीएससी की चयन प्रक्रिया पर भी संदेह जताया है।
दरअसल, 2009 में उच्चशिक्षा विभाग ने प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में 385 पदों पर प्रोफेसर की सीधे भर्ती की थी। आमतौर पर कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन होता है, लेकिन विभाग ने खाली पदों के अधीन बरसों बाद सीधे नियुक्तियां की थीं। चयन की जिम्मेदारी पीएससी को दी गई थी। पीएससी की प्रक्रिया के बाद 256 पदों पर नियुक्तियां भी दे दी गईं।
2014 में 103 प्रोफेसरों के खिलाफ एनएसयूआई के पूर्व प्रवक्ता पंकज प्रजापति ने कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित विभाग में शिकायत दर्ज कराने को कहा था। इसके बाद प्रजापति व अन्य ने उच्चशिक्षा विभाग को 103 प्रोफेसरों की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत की।
पीएससी ने यूं मापदंड बदलकर पहुंचाया फायदा
शिकायत के बाद उच्चशिक्षा विभाग ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने जांच के बाद उच्चशिक्षा को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में पीएससी पर संदेह जाहिर करते हुए कहा गया है कि उसने विज्ञापन जारी होने के बाद अनुभव प्रमाणपत्र को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया और अनुदान प्राप्त गैरसरकारी कॉलेजों के अनुभव को भी मान्य करने का संशोधन किया। इसी का फायदा उठाकर कई अयोग्य उम्मीदवार भी प्रोफेसर बन बैठे। कमेटी ने इसे नियमविरुद्ध मानते हुए कहा है कि ऐसी पूरी जानकारी विज्ञापन में दी जाना चाहिए। यदि बाद में संशोधन जरूरी था तो पूरी प्रक्रिया निरस्त कर फिर से आवेदन मंगवाने थे।
ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
- कई प्रोफेसरों द्वारा पेश अनुभव प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। पीएससी ने उनकी प्रामाणिकता की जांच की जरूरत भी नहीं समझी।
- जिस विषय में पीएचडी नहीं है, उस विषय में उम्मीदवारों का प्रोफेसर पद पर चयन किया गया।
- कुछ तो ऐसे थे जिन्हें पहले चयनित कर लिया गया और उन्हें पीएचडी उपाधि बाद में मिली जबकि यह अनिवार्य योग्यता में शामिल थी।
- कुछ उम्मीदवारों के संविदा शिक्षक के अनुभव प्रमाणपत्र भी स्वीकार किए गए। यूजीसी के दिशा-निर्देश के मुताबिक चार साल पीजी में पढ़ाने का अनुभव भी पीएससी ने नकार दिया।
- 2 से ज्यादा संतान वाले उम्मीदवारों को भी चयन कर नियुक्ति दी गई।
रिपोर्ट मिली है
जांच रिपोर्ट मिली है। हम कानूनी राय लेकर आगे की कार्रवाई करेंगे। -आशीष उपाध्याय, प्रमुख सचिव उच्चशिक्षा