नीमगांव की शासकीय हाईस्कूल में दो माह पहले तक 60-70 प्रतिशत बच्चों की
उपस्थिति से बढ़कर अब 95 फीसदी उपस्थिति हो गई है। यह संभव हुआ है स्कूल
स्टॉफ की एक पहल से।
उन्होंने रोजाना पांच पालकों से मोबाइल, वाट्स एप पर संपर्क और रूबरू मिलकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। स्कूल लगने से पहले रोजाना डेढ़ घंटे का अलग से पीरियड लेकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। स्टॉफ का लक्ष्य स्कूल का 100 प्रतिशत रिजल्ट लाना है।
स्कूल में अधिकांश गरीब के घर बच्चे पढ़ते हैं
स्कूल में अधिकांश मजदूर और आदिवासी वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। बच्चे बार-बार समझाइश के बाद भी स्कूल नहीं जाते थे। परेशान स्कूल प्राचार्य सुखराम झिंझोरे ने स्टॉफ के साथ मिलकर योजना तैयार की। उन्होंने रोजाना पांच-पांच पालकों से संपर्क शुरू किया। इसमें बच्चों की आदत, पढ़ाई और उनकी कमियों पर चर्चा की। इसके बाद पालकों को भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। बच्चों को पालक घर पर पढ़ाने लगे और स्कूल भी भेजने लगे। कक्षा 9वीं में 59 और 10वीं में 21 बच्चे हैं।
अंग्रेजी, गणित के लिए एक्स्ट्रा क्लास
9वीं और 10वीं के बच्चों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की कठिनाइयों को दूर करने स्कूल शुरू होने से पहले रोजाना डेढ़ घंटे एक्स्ट्रा क्लास लगती है। प्राचार्य ने बताया सप्ताह में दो-दो दिन एक्स्ट्रा क्लास में विषय के शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। इससे ग्रामीण छात्रों की पढ़ाई के स्तर में सुधार हो रहा है।
उन्होंने रोजाना पांच पालकों से मोबाइल, वाट्स एप पर संपर्क और रूबरू मिलकर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। स्कूल लगने से पहले रोजाना डेढ़ घंटे का अलग से पीरियड लेकर बच्चों को पढ़ाया जाता है। स्टॉफ का लक्ष्य स्कूल का 100 प्रतिशत रिजल्ट लाना है।
स्कूल में अधिकांश गरीब के घर बच्चे पढ़ते हैं
स्कूल में अधिकांश मजदूर और आदिवासी वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं। बच्चे बार-बार समझाइश के बाद भी स्कूल नहीं जाते थे। परेशान स्कूल प्राचार्य सुखराम झिंझोरे ने स्टॉफ के साथ मिलकर योजना तैयार की। उन्होंने रोजाना पांच-पांच पालकों से संपर्क शुरू किया। इसमें बच्चों की आदत, पढ़ाई और उनकी कमियों पर चर्चा की। इसके बाद पालकों को भी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। बच्चों को पालक घर पर पढ़ाने लगे और स्कूल भी भेजने लगे। कक्षा 9वीं में 59 और 10वीं में 21 बच्चे हैं।
अंग्रेजी, गणित के लिए एक्स्ट्रा क्लास
9वीं और 10वीं के बच्चों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की कठिनाइयों को दूर करने स्कूल शुरू होने से पहले रोजाना डेढ़ घंटे एक्स्ट्रा क्लास लगती है। प्राचार्य ने बताया सप्ताह में दो-दो दिन एक्स्ट्रा क्लास में विषय के शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। इससे ग्रामीण छात्रों की पढ़ाई के स्तर में सुधार हो रहा है।