इंदौर। पैर की एक अंगुली नहीं होने पर पुलिस की भर्ती से मीनल तिवारी को बाहर कर दिया था। लेकिन हौसलों से आसमान को भी नापा जा सकता है। बस इसी तर्ज पर मीनल ने प्रयास किया और विभाग ने इसे कांस्टेबल के लिए सिलेक्ट कर लिया।
छिंदवाड़ा की रहने वाली मीनल तिवारी ने ग्रेजुएशन के बाद सरकारी नौकरी के लिए संघर्ष शुरू किया। इसी बीच घर वालों के दवाब में उसने सगाई कर ली। हालांकि घरवालों ने सरकारी नौकरी की तैयारी करते रहने के लिए भी सपोर्ट किया। इन सब के बीच में मीनल ने संविदा शिक्षक वर्ग 3 की परीक्षा भी पास कर ली। लेकिन डीएड नहीं होने से उसे सिलेक्शन में रिजेक्ट कर दिया गया। मीनल के हौसले बुलंद थे इसलिए जिंदगी में कुछ करने की कोशिश जारी रही। परिवार के कारण वे इसी बीच शादी के बंधन में बंध गई। लेकिन, ससुरालियों ने शादी के एक हफ्ते बाद ही दहेज के लिए उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। प्रताड़ना के बाद वे वापिस छिंदवाड़ा पहुंची और अपना अध्ययन जारी रखा।
छः अंगुली वाला कर सकता है तो 4 वाला क्यों नहीं
मीनल को पुलिस परीक्षा से इसलिए आउट कर दिया गया था क्योंकि उनके एक पैर की एक अंगुली नहीं थी। इस स्थिति में उन्होंने हार नहीं मानी और संघर्ष जारी रखा। जाकर अफसरों से मिली और बात समझाने की कोशिश की। देर सवेर लेकिन अफसरों ने उनकी बात समझी। आज मीनल कांस्टेबल की परीक्षा में सिलेक्ट हो गई हैं और मध्यप्रदेश के पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज इंदौर में ट्रेनिंग कर रही हैं। मीनल का संघर्ष समाज में युवतियों के लिए एक मिसाल है।
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