जीवाजी विश्वविद्यालय में निरंकुशता बढ़ती 
जा रही है। यहां के आला अधिकारी चहेतों को लाभ पहुंचाने खुलकर मनमर्जी चला 
रहे हैं। नियम-कायदों का एक तरफ पटक दिया है। 
जेयू प्रशासन का ऐसा ही एक और कारनामा सामने आया है। जिसमें पहले तो संविदा शिक्षकों को नियम विरुद्ध गेस्ट फैकल्टी बना दिया है,जब इनके मानदेय पर लेखा विभाग ने आपत्ति ठोक दी तो इसे भी दरकिनार करते हुए उन्हें भुगतान करा दिया गया।
बता दें कि जेयू में ऐसा पहली बार हुआ है जब संविदा शिक्षकों का कार्यकाल खत्म होने के बाद सीधे अतिथि शिक्षक के रूप में रखा गया है। नियमों की बात करें तो अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अलग से विज्ञापन निकाला जाता है,जिसके तहत विज्ञापन में उल्लेखित किए गए विभागों के लिए आवेदन करने वालों के फार्मों की स्क्रूटनी होती है। पात्रता रखने वालों के इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस पूरी प्रक्रिया को बायपास करते हुए रजिस्ट्रार ने संविदा शिक्षकों को सीधे अतिथि शिक्षक का नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। यही नहीं अप्रैल से लेकर अभी तक का प्रति पीरियड के हिसाब से उन्हें मानदेय भी दे दिया गया है। जबकि इनके मानदेय की फाइल पर फायनेंस कंट्रोलर ने कड़ी आपत्ति लगाई थी। जिसमें कहा था कि संविदा शिक्षकों को सीधे अतिथि शिक्षक नहीं बनाया जा सकता है। अतिथि शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया अलग है,उसे इस प्रकरण में नहीं अपनाया गया है। इसलिए इन्हें नियमानुसार मानदेय नहीं दिया जा सकता। बावजूद इसके कुलसचिव ने एफसी की आपत्ति को काटते हुए चहेते शिक्षकों को मानदेय का भुगतान करा दिया।
31 मार्च को खत्म हो गया था कार्यकाल
जेयू के अलग-अलग विभागों में पिछले जनवरी माह संविदा के अधार पर करीब 30 असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति की गई थी। जिन्हें प्रति माह 25 हजार फिक्स मासिक सैलरी पर रखा गया। जिसका भुगतान यूजीसी से मिली अनुदान राशि किया गया। उच्च शिक्षा विभागी ने नियुक्तिों की अनुमति में जो शर्त लगाई,उसके अनुसार 31 मार्च को इन संविदा शिक्षकों का कार्यकाल खत्म हो गया। बावजूद इसके कुलपति ने इनको नहीं हटाते हुए संविदा शिक्षक के रूप में रखने फाइल बढ़ा दी।
जेयू प्रशासन का ऐसा ही एक और कारनामा सामने आया है। जिसमें पहले तो संविदा शिक्षकों को नियम विरुद्ध गेस्ट फैकल्टी बना दिया है,जब इनके मानदेय पर लेखा विभाग ने आपत्ति ठोक दी तो इसे भी दरकिनार करते हुए उन्हें भुगतान करा दिया गया।
बता दें कि जेयू में ऐसा पहली बार हुआ है जब संविदा शिक्षकों का कार्यकाल खत्म होने के बाद सीधे अतिथि शिक्षक के रूप में रखा गया है। नियमों की बात करें तो अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अलग से विज्ञापन निकाला जाता है,जिसके तहत विज्ञापन में उल्लेखित किए गए विभागों के लिए आवेदन करने वालों के फार्मों की स्क्रूटनी होती है। पात्रता रखने वालों के इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस पूरी प्रक्रिया को बायपास करते हुए रजिस्ट्रार ने संविदा शिक्षकों को सीधे अतिथि शिक्षक का नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। यही नहीं अप्रैल से लेकर अभी तक का प्रति पीरियड के हिसाब से उन्हें मानदेय भी दे दिया गया है। जबकि इनके मानदेय की फाइल पर फायनेंस कंट्रोलर ने कड़ी आपत्ति लगाई थी। जिसमें कहा था कि संविदा शिक्षकों को सीधे अतिथि शिक्षक नहीं बनाया जा सकता है। अतिथि शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया अलग है,उसे इस प्रकरण में नहीं अपनाया गया है। इसलिए इन्हें नियमानुसार मानदेय नहीं दिया जा सकता। बावजूद इसके कुलसचिव ने एफसी की आपत्ति को काटते हुए चहेते शिक्षकों को मानदेय का भुगतान करा दिया।
31 मार्च को खत्म हो गया था कार्यकाल
जेयू के अलग-अलग विभागों में पिछले जनवरी माह संविदा के अधार पर करीब 30 असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति की गई थी। जिन्हें प्रति माह 25 हजार फिक्स मासिक सैलरी पर रखा गया। जिसका भुगतान यूजीसी से मिली अनुदान राशि किया गया। उच्च शिक्षा विभागी ने नियुक्तिों की अनुमति में जो शर्त लगाई,उसके अनुसार 31 मार्च को इन संविदा शिक्षकों का कार्यकाल खत्म हो गया। बावजूद इसके कुलपति ने इनको नहीं हटाते हुए संविदा शिक्षक के रूप में रखने फाइल बढ़ा दी।