भोपाल। मध्यप्रदेश के शासकीय मिडिल और प्रायमरी स्कूलों में खाली पड़े शिक्षकों के पद नए शिक्षण सत्र में भी नहीं भर पाए हैं। अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले हजारों शिक्षक इन दिनों बेरोजगार बैठे हैं। अपनी नियुक्ति के इंतजार में हर दिन आदेश का इंतजार कर रहे हैं। 
उन्हें उम्मीद है कि जुलाई माह में इसी शिक्षण सत्र में उन्हें नियुक्ति दी जा सकती है। मध्यप्रदेश में 55 हजार अतिथि शिक्षक हैं।
मध्यप्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं होने के कारण वहां ताले डालने तक की नौबत आ गई है।
देखें मध्यप्रदेश के रायसेन की स्थिति
राजधानी से लगे रायसेन जिले में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं। शिक्षा विभाग यहां प्रत्येक साल खाली पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से वैकल्पिक इंतजाम करता है। लेकिन शैक्षणिक सत्र 2017-18 शुरू हो गया और अब तक शासन के शिक्षा विभाग ने प्रायमरी और मिडिल स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश नहीं दिए। जिले भर के सरकारी प्राथमिक, माध्यमिक और हायर सेकंडरी शिक्षकों के 2500 से अधिक पद खाली पड़े है। इन खाली पदों पर पिछले तीन सालों से भर्ती नहीं हुई है।
ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग को स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को रखकर काम चलाना पड़ रहा है। रायसेन के गैरतगंज ब्लाक में मिडिल और प्रायमरी स्कूलों की संख्या 281 है। यहां पढ़ाई का जिम्मा अतिथि शिक्षकों पर ही रहता है। प्रायमरी स्कूलों में भी 10 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। जिला शिक्षा अधिकारी रायसेन एसपी त्रिपाठी भी कहते हैं कि अतिथि शिक्षकों को दोबारा रखने के लिए नए आदेश फिलहाल नहीं आए हैं। आदेश के बाद ही स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को रखा जा सकेगा।
अनूपपुर के अतिथि शिक्षक बोले हमें प्राथमिकता दो
मध्यप्रदेश के सभी जिलों में कई बेरोजगार युवा हैं जो अतिथि शिक्षक बनकर सालभर अपने परिवार का पेट पालते हैं। अनूपपुर में भी ऐसे कई शिक्षक हैं जो फिलहाल बेरोजगार बैठे हैं। मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था पिछले आठ सालों से चल रही है। एक शिक्षण सत्र के लिए रिक्त शिक्षक के पद पर अतिथि शिक्षकों को पदस्थ किया जाता है। शिक्षकों की कमी के बावजूद अतिथि शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही है। यहां के शिक्षकों ने जिला पंचायत के सीईओ से मुलाकात कर मांग की है कि पिछले कार्यकाल में हमारी शतप्रतिशत उपस्थिति देख हमें वरीयता दी जाए।
265 बच्चों पर सिर्फ दो शिक्षक
देवास जिले के ग्राम ओंकारा में माध्यमिक विद्यालय में कक्षा कक्षा 6 से 8वीं तक 160 छात्र हैं। जबकि हाईस्कूल में 9वीं में 70 और 10वीं में 35 हैं। माध्यमिक विद्यालय के भवन में 3 ही कक्ष है, इसलिए कक्षा 9वीं एवं 10वीं सुबह की पारी में लगाई जाती है, जबकि 6वीं से 8वीं तक की कक्षाएं दोपहर में लगती हैं। शिक्षकों की कमी के कारण सुबह से शाम तक समय देना पड़ता है। शासन के नियमानुसार हाईस्कूल में 6 शिक्षक और माध्यमिक विद्यालय में 4 शिक्षक होना चाहिए। लेकिन, 6वीं से 10वीं तक 265 विद्यार्थियों पर मात्र 2 शिक्षक ही पदस्थ हैं। विकासखंड खातेगांव के बीईओ श्रीकिशन उईके मानते हैं कि स्कूलों में शिक्षक की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। लेकिन शासन से अतिथि शिक्षक रखने के आदेश नहीं आए हैं।
राजधानी में चाहिए 250 अतिथि शिक्षक
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकंडरी मिलाकर लगभग एक हजार सरकारी स्कूल हैं। ये 55 संकुल केंद्रों के अंतर्गत हैं। शहरी क्षेत्र में तो शिक्षक ज्यादा है। समस्या बैरसिया और फंदा ग्रामीण में है। यहां हर साल स्कूलों में 250 से 300 अतिथि शिक्षकों की जरूरत पड़ती ही है। इसमें भी अतिथि शिक्षकों की सूची तैयार कर पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है। मसलन कोई नियमित शिक्षक 8 से ज्यादा दिनों तक अवकाश पर रहता है तो उसके स्थान पर अतिथि शिक्षक को पढ़ाने के लिए बुला लिया जाता है।
उन्हें उम्मीद है कि जुलाई माह में इसी शिक्षण सत्र में उन्हें नियुक्ति दी जा सकती है। मध्यप्रदेश में 55 हजार अतिथि शिक्षक हैं।
मध्यप्रदेश के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं होने के कारण वहां ताले डालने तक की नौबत आ गई है।
देखें मध्यप्रदेश के रायसेन की स्थिति
राजधानी से लगे रायसेन जिले में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं। शिक्षा विभाग यहां प्रत्येक साल खाली पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से वैकल्पिक इंतजाम करता है। लेकिन शैक्षणिक सत्र 2017-18 शुरू हो गया और अब तक शासन के शिक्षा विभाग ने प्रायमरी और मिडिल स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के आदेश नहीं दिए। जिले भर के सरकारी प्राथमिक, माध्यमिक और हायर सेकंडरी शिक्षकों के 2500 से अधिक पद खाली पड़े है। इन खाली पदों पर पिछले तीन सालों से भर्ती नहीं हुई है।
ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग को स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को रखकर काम चलाना पड़ रहा है। रायसेन के गैरतगंज ब्लाक में मिडिल और प्रायमरी स्कूलों की संख्या 281 है। यहां पढ़ाई का जिम्मा अतिथि शिक्षकों पर ही रहता है। प्रायमरी स्कूलों में भी 10 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। जिला शिक्षा अधिकारी रायसेन एसपी त्रिपाठी भी कहते हैं कि अतिथि शिक्षकों को दोबारा रखने के लिए नए आदेश फिलहाल नहीं आए हैं। आदेश के बाद ही स्कूलों में अतिथि शिक्षकों को रखा जा सकेगा।
अनूपपुर के अतिथि शिक्षक बोले हमें प्राथमिकता दो
मध्यप्रदेश के सभी जिलों में कई बेरोजगार युवा हैं जो अतिथि शिक्षक बनकर सालभर अपने परिवार का पेट पालते हैं। अनूपपुर में भी ऐसे कई शिक्षक हैं जो फिलहाल बेरोजगार बैठे हैं। मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था पिछले आठ सालों से चल रही है। एक शिक्षण सत्र के लिए रिक्त शिक्षक के पद पर अतिथि शिक्षकों को पदस्थ किया जाता है। शिक्षकों की कमी के बावजूद अतिथि शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही है। यहां के शिक्षकों ने जिला पंचायत के सीईओ से मुलाकात कर मांग की है कि पिछले कार्यकाल में हमारी शतप्रतिशत उपस्थिति देख हमें वरीयता दी जाए।
265 बच्चों पर सिर्फ दो शिक्षक
देवास जिले के ग्राम ओंकारा में माध्यमिक विद्यालय में कक्षा कक्षा 6 से 8वीं तक 160 छात्र हैं। जबकि हाईस्कूल में 9वीं में 70 और 10वीं में 35 हैं। माध्यमिक विद्यालय के भवन में 3 ही कक्ष है, इसलिए कक्षा 9वीं एवं 10वीं सुबह की पारी में लगाई जाती है, जबकि 6वीं से 8वीं तक की कक्षाएं दोपहर में लगती हैं। शिक्षकों की कमी के कारण सुबह से शाम तक समय देना पड़ता है। शासन के नियमानुसार हाईस्कूल में 6 शिक्षक और माध्यमिक विद्यालय में 4 शिक्षक होना चाहिए। लेकिन, 6वीं से 10वीं तक 265 विद्यार्थियों पर मात्र 2 शिक्षक ही पदस्थ हैं। विकासखंड खातेगांव के बीईओ श्रीकिशन उईके मानते हैं कि स्कूलों में शिक्षक की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। लेकिन शासन से अतिथि शिक्षक रखने के आदेश नहीं आए हैं।
राजधानी में चाहिए 250 अतिथि शिक्षक
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्राइमरी, मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकंडरी मिलाकर लगभग एक हजार सरकारी स्कूल हैं। ये 55 संकुल केंद्रों के अंतर्गत हैं। शहरी क्षेत्र में तो शिक्षक ज्यादा है। समस्या बैरसिया और फंदा ग्रामीण में है। यहां हर साल स्कूलों में 250 से 300 अतिथि शिक्षकों की जरूरत पड़ती ही है। इसमें भी अतिथि शिक्षकों की सूची तैयार कर पढ़ाने के लिए बुलाया जाता है। मसलन कोई नियमित शिक्षक 8 से ज्यादा दिनों तक अवकाश पर रहता है तो उसके स्थान पर अतिथि शिक्षक को पढ़ाने के लिए बुला लिया जाता है।