सरकारी स्कूलों के नियमित और व्यवस्थित संचालन के लिए कलेक्टर द्वारा बरती
जा रही सख्ती का असर शनिवार को सिरोंज में दिखाई दिया। पुरानी जेल बिल्डिंग
परिसर में आयोजित बैठक में एसडीएम और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शाला
प्रभारियों को स्कूल संचालन को लेकर तमाम हिदायत दे डाली।
हालांकि इस बैठक में शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका।
जिले भर के सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर कलेक्टर अनिल सुचारी द्वारा विगत दिनों विदिशा में आयोजित बैठक में शिक्षा अधिकारियों और जनशिक्षकों को दिशा-निर्देश दिए थे। इसके बाद से वे खुद भी लगातार ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का दौरा कर रहे हैं। कलेक्टर की इस सख्ती का असर क्षेत्र में भी दिखाई देने लगा है। शनिवार को बीआरसी ने क्षेत्र के सभी शाला प्रभारियों की बैठक आयोजित की। बैठक में एसडीएम बृजेश शर्मा तथा तहसीलदार कमल सिंहसार भी शामिल हुए। एसडीएम ने सभी शाला प्रभारियों को स्कूल का नियमित संचालन करने की बात कहते हुए कार्य में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की बात भी कही। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। बैठक को संबोधित करते हुए बीआरसी ने बेस लाइन टेस्ट से जुड़ी जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि बच्चों की दक्षता में सुधार के लिए हर संभव प्रयास करना होंगे। बच्चे क्षतिग्रस्त स्कूलों में न पढ़ें। यदि कोई स्कूल क्षतिग्रस्त हो शाला संचालन में परेशानी हो रही हो या फिर कहीं पर मध्यान्ह भोजन वितरण सुचारू नहीं चल रहा है तो शाला प्रभारी समय पर जानकारी दें।
पूर्व बीआरसी ने बताई हकीकत
बैठक में पूर्व बीआरसी तथा वर्तमान में माध्यमिक शाला टोरी के प्रधानाध्यापक मनोज शर्मा को भी बोलने का मौका दिया गया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम लोग कई काम बहाना बनाकर करना ही नहीं चाहते। यह स्थिति गलत है। सरकार ने जिस काम के लिए हमें रखा है उसे करना चाहिए। हम उन बच्चों को पढ़ा रहे हैं जो पढ़ने की स्थिति में नही हैं। बावजूद इसके अधिकांश बच्चे स्कूल में आकर पढ़ना चाहते हैं। हमें इन हालातों को समझना होगा। उन्होंने नोटबंदी का उदाहरण देकर बताया कि कई बार सरकार जो तय करती है उसे पूरा करती ही है। इसलिए हमें सरकार की मंशा समझ कर काम करना ही होगा।
शौचालय की सफाई के लिए आना चाहिए फंड
बैठक में एसडीएम श्री शर्मा ने स्कूलों की साफ-सफाई पर विशेष तौर पर ध्यान देने की बात कही। जब वे यह बात कह रहे थे तो शिक्षक सतीष श्रीवास्तव ने खड़े होकर और स्कूलों के शौचालय की स्थिति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा स्कूलों की साफ-सफाई के लिए कोई फंड नहीं दिया जाता। इसके बाद भी परिसर की सफाई तो हो जाती है लेकिन शौचालय की सफाई कैसे होगी। शौचालय की सफाई के लिए फंड आना चाहिए। एसडीएम ने उन्हें यह कहकर बैठा दिया कि इस संबंध में बाद में बात करेंगे। बैठक में 300 से ज्यादा शिक्षक शामिल हुए लेकिन उनके बैठने के लिए पर्याप्त प्रबंध नहीं किए गए थे। बैठक स्थल पर न तो पंखे का प्रबंध किया गया था और न ही माइक का। आवाज नहीं आने की वजह से शिक्षक अपनी बातों में लगे रहे।
हालांकि इस बैठक में शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका।
जिले भर के सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार को लेकर कलेक्टर अनिल सुचारी द्वारा विगत दिनों विदिशा में आयोजित बैठक में शिक्षा अधिकारियों और जनशिक्षकों को दिशा-निर्देश दिए थे। इसके बाद से वे खुद भी लगातार ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का दौरा कर रहे हैं। कलेक्टर की इस सख्ती का असर क्षेत्र में भी दिखाई देने लगा है। शनिवार को बीआरसी ने क्षेत्र के सभी शाला प्रभारियों की बैठक आयोजित की। बैठक में एसडीएम बृजेश शर्मा तथा तहसीलदार कमल सिंहसार भी शामिल हुए। एसडीएम ने सभी शाला प्रभारियों को स्कूल का नियमित संचालन करने की बात कहते हुए कार्य में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की बात भी कही। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो ही शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। बैठक को संबोधित करते हुए बीआरसी ने बेस लाइन टेस्ट से जुड़ी जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि बच्चों की दक्षता में सुधार के लिए हर संभव प्रयास करना होंगे। बच्चे क्षतिग्रस्त स्कूलों में न पढ़ें। यदि कोई स्कूल क्षतिग्रस्त हो शाला संचालन में परेशानी हो रही हो या फिर कहीं पर मध्यान्ह भोजन वितरण सुचारू नहीं चल रहा है तो शाला प्रभारी समय पर जानकारी दें।
पूर्व बीआरसी ने बताई हकीकत
बैठक में पूर्व बीआरसी तथा वर्तमान में माध्यमिक शाला टोरी के प्रधानाध्यापक मनोज शर्मा को भी बोलने का मौका दिया गया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम लोग कई काम बहाना बनाकर करना ही नहीं चाहते। यह स्थिति गलत है। सरकार ने जिस काम के लिए हमें रखा है उसे करना चाहिए। हम उन बच्चों को पढ़ा रहे हैं जो पढ़ने की स्थिति में नही हैं। बावजूद इसके अधिकांश बच्चे स्कूल में आकर पढ़ना चाहते हैं। हमें इन हालातों को समझना होगा। उन्होंने नोटबंदी का उदाहरण देकर बताया कि कई बार सरकार जो तय करती है उसे पूरा करती ही है। इसलिए हमें सरकार की मंशा समझ कर काम करना ही होगा।
शौचालय की सफाई के लिए आना चाहिए फंड
बैठक में एसडीएम श्री शर्मा ने स्कूलों की साफ-सफाई पर विशेष तौर पर ध्यान देने की बात कही। जब वे यह बात कह रहे थे तो शिक्षक सतीष श्रीवास्तव ने खड़े होकर और स्कूलों के शौचालय की स्थिति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा स्कूलों की साफ-सफाई के लिए कोई फंड नहीं दिया जाता। इसके बाद भी परिसर की सफाई तो हो जाती है लेकिन शौचालय की सफाई कैसे होगी। शौचालय की सफाई के लिए फंड आना चाहिए। एसडीएम ने उन्हें यह कहकर बैठा दिया कि इस संबंध में बाद में बात करेंगे। बैठक में 300 से ज्यादा शिक्षक शामिल हुए लेकिन उनके बैठने के लिए पर्याप्त प्रबंध नहीं किए गए थे। बैठक स्थल पर न तो पंखे का प्रबंध किया गया था और न ही माइक का। आवाज नहीं आने की वजह से शिक्षक अपनी बातों में लगे रहे।