Recent

Recent News

स्कूल शिक्षा विभाग ने माना 4 हजार से ज्यादा प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक ही नहीं

स्कूल शिक्षा विभाग ने माना है कि प्रदेश में वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग के 4224 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं, जहां कोई भी शिक्षक पदस्थ नहीं हैं। इन शालाओं में 9 हजार 500 से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। इसके साथ ही 13 हजार 536 प्राइमरी स्कूलों में 17 हजार से अधिक शिक्षकों की आवश्यकता है।
प्रदेश में 17 हजार 273 प्राइमरी या मिडिल स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्रों की निश्चित संख्या के मुकाबले अधिक शिक्षक पदस्थ हैं। इसलिए युक्तियुक्त करण कर खाली पड़े स्कूलों में शिक्षकों को पहुंचाया जाएगा। इससे स्कूलों में शिक्षकों व छात्रों का अनुपात भी सही हो सकेगा।

आयुक्त लोक शिक्षण नीरज दुबे ने स्कूल शिक्षा विभाग में इस समय चल रही युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया को सही बताया है और उन्होंने इस संबंध में स्थिति भी स्पष्ट की है। उनका कहना है कि युक्ति युक्तकरण प्रक्रिया से करीब 20 हजार अतिशेष पदों की पूर्ति उन प्राइमरी स्कूलों में हो सकेगी, जहां पर शिक्षक कम हैं अथवा पदस्थ ही नहीं है। आयुक्त लोक शिक्षण ने बताया कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य ऐसे स्कूलों में जहां शिक्षकों की संख्या, छात्र संख्या के अनुपात में अधिक है, वहां से छात्रों के अनुपात में कम शिक्षकों वाले स्कूलों में भेजना है।

39 में से 20 हजार ही भरे जा सकेंगे

पूर्व में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण जिला स्तर पर होता रहा है, लेकिन ज्यादातर जिले ऐसे थे जहां युक्तियुक्तकरण का कार्य प्रभावी ढंग से नहीं हुआ। इसी बात को देखते हुए स्कूलों में इस प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का निर्णय लिया गया। ऑनलाइन प्रक्रिया से प्राप्त आंकड़ों से पता लगा कि प्रदेश में नामांकन के आधार पर प्राइमरी स्कूलों में करीब 39 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। ग्रामीण क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों में 1860 हेडमास्टर और 15 हजार 186 शिक्षक अतिशेष हैं। नगरीय क्षेत्र के प्राइमरी स्कूलों में 330 हेडमास्टर और 3063 शिक्षक अतिशेष हैं। जबकि प्रदेश के 2491 मिडिल स्कूलों में 4051 शिक्षक अतिशेष चिह्नित किए गए हैं। इस तरह युक्ति युक्तकरण से प्राइमरी स्कूलों में कुल 20 हजार अतिशेष शिक्षकों की ही पूर्ति हो सकेगी।

तो अतिथि रखे जा सकते हैं...

इस बीच समग्र प्राचार्य एवं व्याख्याता संघ के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश शर्मा ने आयुक्त लोक शिक्षण को ज्ञापन देकर अतिथि शिक्षकों को नियुक्त कर स्कूलों की व्यवस्था में सुधार की मांग की है। उनका कहना है कि राजधानी के ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में ही सैकड़ों शिक्षकों की कमी है। जबकि प्रदेशभर के स्कूलों में तो शिक्षकों की कमी का आंकड़ा 30 हजार से भी ज्यादा है।

Facebook

Comments

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();