होलकर साइंस कॉलेज के 1968 बैच के एल्युमिनाई ने साझा की यादें
इंदौर। पहले न कोचिंग संस्थाएं थीं न तकनीकी सुविधाएं... किसी भी विषय को सिर्फ पढ़ने के बजाय पूरी तरह से समझने पर जोर दिया जाता था, शिक्षक कक्षा के बाद भी घंटों तक विद्यार्थियों की जिज्ञासाएं शांत करते थे लेकिन अब पूरा एजुकेशन सिस्टम ही बदल गया है।
इंदौर। पहले न कोचिंग संस्थाएं थीं न तकनीकी सुविधाएं... किसी भी विषय को सिर्फ पढ़ने के बजाय पूरी तरह से समझने पर जोर दिया जाता था, शिक्षक कक्षा के बाद भी घंटों तक विद्यार्थियों की जिज्ञासाएं शांत करते थे लेकिन अब पूरा एजुकेशन सिस्टम ही बदल गया है।