अनूपपुर. जिले के विकासखण्ड अनूपपुर में विगत वर्ष २००५-०६ में भारी शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला हुआ था. जिससे कई अधिकारी/कर्मचारियों पर कडी कार्यवाही हुई थी लेकिन अभी भी जनपद पंचायत अनूपपुर के लगभग १०-१२ फर्जी शिक्षक नौकरी करके अपना वेतन ले रहे हैं और समय-समय पर प्रमोशन लाभ भी इन्हें मिल रहा है.
इतना ही नहीं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के यहां से जो वरीयता सूची का प्रकाशन किया गया है वहां से भी इन्हें बराबर लाभ मिल रहा है जबकि इन शिक्षकों की याचिका न्यायालय द्वारा निरस्त कर दी गई है.
सूत्रों से जानकारी के मुताबिक वर्ष २००६ में ५२ शिक्षाकर्मी वर्ग-३ एवं वर्ग-२ में भर्ती की गई थी, जिसकी शिकायत पश्चात सूक्ष्म जांच कराते हुए जिले के तत्कालीन कलेक्टर के के खरे के आदेशानुसार ५२ शिक्षाकर्मियों को फर्जी करार देते हुए सभी को पद से बर्खास्त कर दिया गया था. जिसे लेकर जनपद पंचायत अनूपपुर के शिक्षाकर्मियों ने बर्खास्तगी आदेश को मान्नीय उच्च न्यायालय जबलपुर में चुनौती दिये थे. जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा पृथक-पृथक सभी शिक्षाकर्मियों को बर्खास्तगी आदेश पर स्थगन आदेश प्रसारित किया गया था. मामले से जुडे सूत्रों के अनुसार कुछ शिक्षाकर्मियों के प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन था लेकिन मान्नीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा वांट आफ प्रासीक्यूसन खारिज कर दिया गया जिससे शिक्षाकर्मियों के स्थगन आदेश स्वमेव निरस्त हो गया.
लेकिन सहायक आयुक्त के कार्यालय ने आज तक शिक्षाकर्मियों को अभी तक पद से पृथक न कर उन्हें नियमित वेतन दिया जा रहा है. ज्ञातव्य है कि जिले के सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी विगत कई वर्षों से कुंभकरणीय नींद में सो रहे हैं. उन्हें यह जानकारी नहीं है कि कौन से शिक्षक वैध है या अवैध. अगर विगत १० वर्षों से जनपद पंचायत अनूपपुर शिक्षाकर्मी भर्ती की उच्चस्तरीय जांच की जाये तो निश्चित ही महाव्यापम घोटाला साबित होगा. लोगों ने आरोप लगाया है कि वंशीधर पटेल प्राथमिक शाला छिल्पा, उदित नारायण प्रा.शाला छलका टोला, पप्पू पनिका प्रा.शा. डोंगरी टोला, भरतलाल पटेल प्रा.शा.अमहा टोला, कुलदीप सिंह कवर, भूषन लाल केवट के साथ अन्य कई शिक्षकों की याचिका मान्. उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा खरिज कर दी गई थी फिर भी इन पर जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई.
सहायक आयुक्त आदिवासी विकास द्वारा उन्हें शासन द्वारा निर्धारित वेतन दिया जा रहा है और उन्हें लगातार पदोन्नति का तोहफा दिया जा रहा है. जिले में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास कार्यालय की पूरी व्यवस्था सुविधा शुल्क पर निर्भर हो रही है. विकासखण्ड अनूपपुर, कोतमा, जैतहरी, पुष्पराजगढ के सैकडों ऐसे अध्यापक हैं जो संलग्रीकरण कराकर मनचाहे स्थानों पर अपनी नियुक्ति कराकर लाभ ले रहे हैं. शिक्षाकर्मी भर्ती काण्ड हो या मध्यान्ह भोजन, स्कालर सीप वितरण या अन्य मामले जहां लगातार भ्रष्टाचार, अर्थिक अनियमितता को अंजाम देते हुए शासकीय खजाना को खाली किया जा रहा है जो जांच का विषय है.
गौरतलब है कि शिक्षाकर्मी भर्ती काण्ड को लेकर जब शिक्षकों ने न्याय पाने के लिए मान्. उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो कई शिक्षकों को न्याय मिला लेकिन लगभग १०-१२ शिक्षकों की याचिका मान्. न्यायालय द्वारा खारिज किया जा चुका है फिर भी उक्त शिक्षक पद में रहकर शासकीय सेवा में कार्य रत हैं जो गंभीर अपराध की श्रेणी माना जा रहा है. फिर भी सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग एवं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है.
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