भोपाल। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में वर्षों से लंबित बैकलॉग पदों को अब तक संशोधित नहीं किए जाने को लेकर सरकार की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। हजारों रिक्त पदों के बावजूद भर्ती प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाने से अभ्यर्थियों में नाराजगी और असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
क्या है बैकलॉग पदों का मामला
सरकारी स्कूलों में शिक्षक और अन्य शैक्षणिक पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। इन पदों का सही आकलन और संशोधन जरूरी है ताकि नई भर्तियों का रास्ता साफ हो सके, लेकिन यह प्रक्रिया अब तक अधूरी है।
संशोधन में क्यों हो रही देरी
विशेषज्ञों और विभागीय सूत्रों के अनुसार बैकलॉग पदों के संशोधन में कई अड़चनें सामने आ रही हैं—
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विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी
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वित्तीय स्वीकृति और बजट से जुड़ी प्रक्रियाएं
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योग्यता और आरक्षण मानकों में संभावित बदलाव
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लंबी प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया
इन कारणों से बैकलॉग पदों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
छात्रों और शिक्षा व्यवस्था पर असर
बैकलॉग पदों के कारण—
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कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी बनी हुई है
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एक शिक्षक पर कई कक्षाओं का बोझ बढ़ गया है
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विद्यार्थियों की पढ़ाई और सीखने के स्तर पर असर पड़ रहा है
शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो शैक्षणिक गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
अभ्यर्थियों में बढ़ती नाराजगी
भर्ती की प्रतीक्षा कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि बैकलॉग पदों का समय रहते संशोधन हो जाए, तो हजारों युवाओं को नौकरी मिलने का अवसर मिल सकता है। लगातार देरी से युवाओं का भरोसा कमजोर हो रहा है।
सरकार की ओर से क्या कहा गया
सरकारी सूत्रों के अनुसार बैकलॉग पदों की समीक्षा पर काम चल रहा है और विभिन्न स्तरों पर चर्चा जारी है। दावा किया जा रहा है कि प्रक्रिया पूरी होते ही भर्ती से जुड़े निर्णय लिए जाएंगे।
आगे क्या उम्मीद
शिक्षा जगत से जुड़े जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में—
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बैकलॉग पदों की संशोधित सूची जारी हो सकती है
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भर्ती प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश सामने आएंगे
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शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए तेज कदम उठाए जाएंगे