मध्य प्रदेश में ई-अटेंडेंस प्रणाली को लेकर शिक्षकों में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्वालियर सहित कई जिलों में शिक्षकों को नवंबर माह का वेतन तो जारी कर दिया गया है, लेकिन ई-अटेंडेंस को लेकर लिए जा रहे अंडरटेकिंग (शपथ पत्र) के विरोध में शिक्षकों ने 18 दिसंबर से आंदोलन शुरू करने की घोषणा कर दी है।
वेतन मिला, लेकिन नाराजगी बरकरार
शिक्षकों का कहना है कि वेतन मिलना उनका अधिकार है, इसे किसी शर्त से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। नवंबर का वेतन जारी होने के बावजूद ई-अटेंडेंस को लेकर प्रशासन के रवैये से शिक्षक संतुष्ट नहीं हैं। शिक्षकों का आरोप है कि उनसे जबरन अंडरटेकिंग भरवाई जा रही है, जो अनुचित है।
ई-अटेंडेंस व्यवस्था पर सवाल
ई-अटेंडेंस सिस्टम में तकनीकी खामियों को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। नेटवर्क समस्या, मोबाइल ऐप की गड़बड़ी और समय पर उपस्थिति दर्ज न होने जैसी परेशानियों के कारण शिक्षकों को मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है। इसके बावजूद कार्रवाई का डर दिखाकर अंडरटेकिंग लेने से आक्रोश और बढ़ गया है।
18 दिसंबर से आंदोलन का एलान
शिक्षक संगठनों ने साफ कहा है कि यदि ई-अटेंडेंस और अंडरटेकिंग की अनिवार्यता वापस नहीं ली गई, तो 18 दिसंबर से चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। इसमें धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन और कार्य बहिष्कार जैसे कदम भी शामिल हो सकते हैं।
शिक्षकों की प्रमुख मांगें
शिक्षकों की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
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ई-अटेंडेंस की अनिवार्यता पर पुनर्विचार
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अंडरटेकिंग की बाध्यता समाप्त की जाए
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तकनीकी खामियों को दूर किया जाए
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शिक्षकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित हो
शिक्षकों का कहना है कि वे शिक्षा के प्रति पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं, लेकिन बार-बार नए नियम थोपे जाने से उनका मनोबल टूट रहा है।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में ई-अटेंडेंस को लेकर शिक्षक और सरकार आमने-सामने नजर आ रहे हैं। नवंबर का वेतन जारी होने के बाद भी विवाद खत्म नहीं हुआ है। यदि समय रहते संवाद के जरिए समाधान नहीं निकाला गया, तो 18 दिसंबर से शुरू होने वाला आंदोलन शिक्षा व्यवस्था पर असर डाल सकता है।