जबलपुर. शिक्षकों
को अब ई-अटेंडेंस से कोताही बरतना महंगा साबित होगा। शासन एवं शिक्षा
विभाग द्वारा अगले माह से ई-अटेंडेंस व्यवस्था को शिक्षकों के वेतन से
जोडऩे की तैयारी शुरू कर दी गई है। शिक्षकों की अटेंडेंस को विभाग के सर्वर
पर लोड किया जाएगा। यह सर्वर ट्रेजरी से जुड़ा होगा। जहां से शिक्षकों के
उपस्थिति एवं अनुपस्थिति की पूरी जानकारी दर्ज होगी। सर्वर पर लोड हुई
अटेंडेंस के अनुसार ही ट्रेजरी से अब बिल बनेंगे। शिक्षक के तीन दिन
अनुपस्थित या देरी से आने पर एक दिन का वेतन काटा जाएगा। प्रमुख सचिव एवं
स्कूल चले हम अभियान के जिला प्रभारी शेखर शुक्ला ने डीईओ सतीश अग्रवाल एवं
डीपीसी आरपी चर्तुवेदी को हाल ही में जबलपुर आगमन पर सख्त हिदायत दी थी कि
ई-अटेंडेंस को स्कूलों में सख्ती से पालन कराया जाए। यदि जो शिक्षक नहीं
मानते हैं तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। लेकिन दोनों ही
अधिकारियों ने आदेशों को हवा में उड़ा दिया। किसी भी शिक्षक के खिलाफ कोई
कार्रवाई नहीं की।
जिले में सिर्फ 1747 ने किया उपयोग
जिले
में लगभग 9 हजार शिक्षक हैं। इनमें से 8261 शिक्षकों ने मोबाइल अपडेट किए
हैं। एप डाउनलोड केवल 1747 शिक्षकों ने किया है। इसमें से भी मात्र 1004
शिक्षक ही इसका उपयोग कर रहे हैं, जबकि 4503 शिक्षक एेसे हैं जो एसएमएस से
अटेंडेंस लगा रहे हैं। प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग में करीब 4 लाख
कर्मचारी हैं। जिसमें से 1 लाख ने ही एम-शिक्षा मित्र एप को डाउनलोड किया
है।
वाट्सएप पर सक्रिय, एप से परहेज
शिक्षक
वाट्सएप एवं फेसबुक पर दिन-रात सक्रिय हैं, लेकिन वे ई-अटेंडेंस के नाम से
पल्ला झाड़ रहे हैं। शिक्षक संगठनों ने अपने हितों के लिए कई वाट्सएप
ग्रुप बना रखे हैं, लेकिन मोबाइल एप डाउनलोड करने के नाम पर दलीलें दे रहे
हैं। स्कूल चले हम के जिला प्रभारी एसएस शुक्ला ने कहा कि ई-अटेंडेंस
अनिवार्य है। इसमें कतई कोताही बर्दाशत नहीं होगी। जिले के अधिकारियों की
जिम्मेदारी है कि हर शिक्षक को जोडऩे प्रयास करें। इस व्यवस्था को वेतन से
जोड़ा जा रहा है।Sponsored link :
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