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बच्चों से अफसरों ने छीन लिया शिक्षा का अधिकार

कटनी । ईश्वर ने जिन बच्चों को बोलने का अधिकार नहीं दिया, उन दिव्यांग बच्चों को अफसरों ने भी नहीं बख्सा। उनसे शिक्षा का भी अधिकार छीन लिया। शिक्षकों की कमी का बहाना बताकर कक्षा ९वीं व १० की कक्षाएं बंद कर दी। जबकि उस स्कूल के कलेक्टर स्वयं अध्यक्ष हैं।
इधर, अफसरों की इस लापरवाही के कारण मूक-बधिर बच्चों को पढ़ाई के लिए अब जबलपुर, रीवा, सतना सहित अन्य जिलों में जाना पड़ रहा। या फिर बीच में ही पढ़ाई छोडऩी पड़ रही।

कक्षा दसवीं तक पढ़ाई कराई जाती थी
शहर के सिविल लाइन में रेडक्रास सोसायटी व सामाजिक न्याय विभाग के सहयोग से मूक बधिर बच्चों के लिए कई साल से स्कूल का संचालन कराया जा रहा। 50 सीट वाले इस स्कूल में मूकबधिर दिव्यांग बच्चों को कक्षा 10वीं तक पढ़ाई कराई जाती थी। दो साल पहले यानि साल 2016 में सोसायटी ने कक्षा 9वीं व 10वीं की कक्षाएं बंद कर दी। शिक्षकों की कमी बंद होने का कारण बताया, लेकिन इसकीपूर्ति को लेकर कोई प्रयास नहीं किए। दूसरी ओर अचानक स्कूल बंद होने के कारण मूक बधिर बच्चों के सामने हाई स्कूल की पढ़ाई की समस्या खड़ी हो गई।
दिव्यांग बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य सुविधाएं मिले, इसके लिए सरकार द्वारा हर साल तीन दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है। सरकार द्वारा मनाए जा रहे विश्व विकलांग दिवस की मंशा पर जिले के अफसरों ने पानी फेर दिया। दिव्यांग बच्चों से जिले के अधिकारियों ने शिक्षा का अधिकार ही छीन लिया।

कक्षा 9वीं से 12वीं की पढ़ाई के लिए नहीं है स्पेशल स्कूल
कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के लिए मूक-बधिर बच्चों के पास जिले में कोई भी स्पेशल स्कूल नहीं है। कक्षा 8वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद हाईस्कूल व हायर सेकंडरी की पढ़ाई के लिए शहर से बाहर जाना पड़ रहा।

छात्रावास की भी नहीं है सुविधा
कक्षा 9वीं से 12वीं तक मूक बधिर बच्चों के पास ठहरने के लिए छात्रावास की सुविधा नहीं है। जिले में सिर्फ एक ही छात्रावास है, जिसमें कक्षा 8वीं तक विद्यार्थी निवास करते हैं। मूक-बधिर छात्रों के पास रहने के लिए बेहतर छात्रावास व स्कूल की सुविधा हो, इसको लेकर जिले के जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन के लोगों ने कोई बेहतर प्रयास नहीं किए।


कलेक्टर शैलवेंद्रम ने शुरू कराई थी हाईस्कूल की कक्षा
जिले में साल 2004 में रेडक्रास सोसायटी द्वारा मूक-बधिर बच्चों के लिए स्कूल का संचालन शुरू किया गया। इसमें कक्षा 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई शुरू हुई। इसके बाद साल 2009-10 में शैलवेंद्रम कलेक्टर थे। उनके प्रयास से कक्षा 9वीं व 10वीं तक की पढ़ाई शुरू हुई। साल 2016 में स्कूल को बंद कर दिया गया। इस संबंध में रेडक्रास सोसायटी के सचिव डॉ यशवंत वर्मा ने कहा कि रेडक्रास सोसायटी द्वारा कक्षा 9वीं व 10वीं का संचालन किया जा रहा था, लेकिन शिक्षकों की कमीं के कारण कक्षाएं बंद कर दी गई। शिक्षकों की भर्ती को लेकर सरकार के नियम भी शख्त हो गए। जिसके कारण शिक्षक नहीं मिल पाए। पिछले दो साल से योग्य शिक्षकों की तलाश की जा रही है।

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