भोपाल.मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा शुरू की गई असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया के नियमों के खिलाफ उम्मीदवार अब सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी में है। हाईकोर्ट ने बाहरी राज्य के उम्मीदवारों की उम्र पर पाबंदी लगाने के नियम को हटाने के निर्देश दिए हैं।
इसके खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर वापस ले ली है। इससे नाराज मप्र के मूलनिवासी उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के पिछले विज्ञापन में बाहरी राज्य के उम्मीदवार के लिए 28 उम्र तय की गई थी। इस शर्त को हाईकोर्ट के निर्देश पर हटाना पड़ा। बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों और एमपी के उम्मीदवारों के लिए उम्र की एक समान शर्त रखी जाती हैं तो इससे एमपी के सामान्य वर्ग उम्मीदवारों को नुकसान होगा। क्योंकि बाहरी राज्य के उम्मीदवार आरक्षित वर्ग में आवेदन नहीं कर सकते, ऐसे में वे अनारक्षित पदों के अावेदन करेंगे तो इससे सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को नुकसान होगा। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लेने के विरोध में उम्मीदवार 5 मई से विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसमें सरकारी कॉलेजों में लंबे से पढ़ा रहे अतिथि विद्वान शामिल होकर प्रदेश सरकार की नीतियों का विरोध दर्ज कराएंगेे।
साक्षात्कार नहीं लेने का भी विरोध
अतिथि विद्वान महासंघ के अध्यक्ष डाॅ. देवराज सिंह का कहना है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया से साक्षात्कार की व्यवस्था खत्म की जा रही है। इससे भी अयोग्य उम्मीदवारों के चयन होने की संभावना है। डॉ.सिंह का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग जल्दबाजी में निर्णय ले रहा है। इस संबंध में सोच समझकर निर्णय लेना चाहिए। इन्हीं सब बातों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका जल्द ही दायर करेंगे। ताकि एमपी के उम्मीदवारों और अतिथि विद्वानों को लाभ मिल सके।
10,266 उम्मीदवारों के कराने होंगे साक्षात्कार, एक दिन में 45
उच्चशिक्षा विभाग ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 3422 खाली पदों पर भर्ती कराने की जिम्मेदारी आयोग को सौंपी है। आयोग को विज्ञापन जारी कर लिखित परीक्षा में चयनित उम्मीदवारों में से एक पद के लिए तीन उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलावा भेजना होगा। इस लिहाज से करीब 10,266 उम्मीदवारों के लिए साक्षात्कार आयोजित करने पड़ेंगेे। यदि आयोग साक्षात्कार के लिए तीन बोर्ड बनाता है तो एक दिन में 45 उम्मीदवारों के ही साक्षात्कार आयोजित कर सकेगा। क्योंकि हर बोर्ड में एक सदस्य रखना अनिवार्य है। वहीं आयोग के पास तीन सदस्य हैं। हर बोर्ड एक दिन में करीब 15 उम्मीदवारों के साक्षात्कार आयोजित कर सकेगा।
कोशिश... नए सत्र में असिस्टेंट प्रोफेसर कॉलेजों में हो जाएं नियुक्त
उच्च शिक्षा विभाग आयुक्त नीरज मंडलोई का कहना है कि उम्र को लेकर उम्मीदवारों में भेदभाव करने वाली शर्त को हाईकोर्ट ने असंवैधािनक बताया है। इसलिए विभाग इस बात पर आगे नहीं बढ़ सकता। इसके अलावा साक्षात्कार की व्यवस्था भर्ती प्रक्रिया से हटाने के पीछे कई कारण है। इसका मकसद सिर्फ स्पीड से भर्ती कराना है। क्योंकि पिछले दस साल से भर्ती नहीं हो सकी है। अक्टूबर में आचार संहिता लग जाएगी। करीब 10 हजार उम्मीदवारों के साक्षात्कार लेने में एक साल से अधिक समय लगेेगा। कई उम्मीदवार पीएचडी होल्डर समेत अन्य हायर क्वालिफिकेशन के साथ आवेदन करते हैं। इसलिए साक्षात्कार की प्रक्रिया से छूट मांगी गई थी। इसे अप्रूवल मिल गया है। हमारी कोशिश है कि नए सत्र में असिस्टेंट प्रोफेसर कॉलेजों में नियुक्त हो जाएं।
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