मध्य प्रदेश में उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती पर फिर उठे सवाल
मध्य प्रदेश में उच्च माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रदेश के शासकीय स्कूलों में 4500 से अधिक उच्च माध्यमिक शिक्षक पद पिछले 14 वर्षों से खाली पड़े हैं, जिससे न केवल शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है बल्कि हजारों योग्य अभ्यर्थियों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है।
भर्ती निकली, लेकिन नियुक्ति अधूरी
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2022 में उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती के लिए हजारों पदों पर प्रक्रिया शुरू की गई थी। हालांकि, निर्धारित पदों के मुकाबले अब तक केवल लगभग 3000 शिक्षकों की ही नियुक्ति हो पाई, जबकि शेष पद आज भी रिक्त हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भर्ती प्रक्रिया समय पर और पूरी तरह से लागू नहीं हो सकी।
दूसरी काउंसलिंग का इंतजार
भर्ती प्रक्रिया का बड़ा हिस्सा काउंसलिंग पर निर्भर करता है, लेकिन अब तक दूसरी काउंसलिंग आयोजित नहीं की गई। इसके चलते चयन सूची में शामिल कई अभ्यर्थी वर्षों से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। यह स्थिति लगातार असमंजस और निराशा को बढ़ा रही है।
बैकलॉग क्यों बढ़ता गया?
विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय से बैकलॉग बढ़ने के पीछे कई कारण हैं—
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पदों की समय पर समीक्षा न होना
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आरक्षित वर्गों के पदों का पुनर्निर्धारण न किया जाना
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प्रशासनिक स्तर पर निर्णय में देरी
इन कारणों से पद बैकलॉग में जाते रहे और नई भर्तियों के बावजूद स्थिति जस की तस बनी रही।
स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी
उच्च माध्यमिक स्तर पर शिक्षकों की कमी का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। कई स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षक नहीं होने से पढ़ाई बाधित हो रही है और परिणामों पर भी असर देखने को मिल रहा है।
अभ्यर्थियों में आक्रोश
लंबे समय से इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों में अब आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि परीक्षा पास करने और चयन सूची में नाम आने के बावजूद नियुक्ति न मिलना प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है।
आगे क्या?
अब उम्मीद की जा रही है कि सरकार और शिक्षा विभाग इस लंबित भर्ती प्रक्रिया पर जल्द निर्णय लेंगे। यदि समय रहते खाली पदों को भरा गया, तो न केवल स्कूलों को शिक्षक मिलेंगे बल्कि हजारों युवाओं को भी रोजगार का अवसर मिलेगा।
👉 यह मुद्दा आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था और रोजगार दोनों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।