भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में शिक्षा मंत्री द्वारा शिक्षक भर्ती को लेकर किए गए बड़े दावों पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। सदन में हजारों पदों पर भर्ती होने की बात कही गई, लेकिन जब इन दावों की जमीनी हकीकत की जांच हुई तो तस्वीर कुछ और ही निकली।
विधानसभा में क्या कहा गया?
शिक्षा मंत्री ने दावा किया कि राज्य में हजारों शिक्षक पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है और सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बयान में यह संकेत दिया गया कि लंबे समय से खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है।
जांच में क्या सामने आया?
जांच के दौरान पता चला कि जिन भर्तियों का जिक्र किया गया, उनमें से बड़ी संख्या में पद:
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या तो केवल प्रस्ताव स्तर पर हैं
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या फिर पुरानी प्रक्रियाओं को नई भर्ती के रूप में प्रस्तुत किया गया
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कई पदों पर नियुक्ति पत्र तक जारी नहीं हुए
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कुछ भर्तियाँ अदालती अड़चनों में फंसी हुई हैं
14 वर्षों से खाली पदों का मुद्दा
राज्य में उच्च माध्यमिक और माध्यमिक स्कूलों में हजारों पद पिछले एक दशक से अधिक समय से खाली पड़े हैं। इन बैकलॉग पदों पर नियमित भर्ती नहीं होने से स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
शिक्षक संगठनों में नाराजगी
शिक्षक संगठनों का कहना है कि:
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सरकार आंकड़ों के जरिए भ्रम फैला रही है
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वास्तविक भर्ती और जमीनी नियुक्तियों में बड़ा अंतर है
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अतिथि और अस्थायी शिक्षकों के सहारे व्यवस्था चलाई जा रही है
छात्रों पर पड़ रहा असर
भर्ती में देरी का सीधा असर:
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छात्रों की पढ़ाई पर
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विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी पर
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परीक्षा परिणामों की गुणवत्ता पर
विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि:
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विधानसभा को आधे-अधूरे तथ्यों से गुमराह किया गया
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भर्ती के नाम पर केवल घोषणाएं की जा रही हैं
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शिक्षा विभाग वास्तविक स्थिति छिपा रहा है
निष्कर्ष
जांच से यह साफ होता है कि शिक्षक भर्ती को लेकर किए गए बड़े दावे जमीनी सच्चाई से पूरी तरह मेल नहीं खाते। जब तक रिक्त पदों पर पारदर्शी, समयबद्ध और वास्तविक नियुक्तियां नहीं होतीं, तब तक शिक्षा व्यवस्था पर संकट बना रहेगा।