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निजी स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट चेक हो तब सामने आएगी असलियत

जबलपुर। प्रशासन यदि ठान ले तो अभिभावकों को निजी स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस और जीके, मोरल जैसी फिजूल की कॉपी-किताब खरीदने से निजात मिल सकती है। फीस को लेकर आंदोलन कर रहे संगठनों का कहना है कि ये तभी संभव है जब प्रशासन 2009-10 की तर्ज पर स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट सख्ती से चेक कराए और मान्यता के मापदंड पूरे न करने पर मान्यता समाप्त करने की
कार्रवाई करें। ऑडिट रिपोर्ट में स्कूलों की वे सारी असलियत सामने आ जाएंगी जिनके नाम पर स्कूल अभिभावकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं पर खर्च का ब्यौरा नहीं बता रहे। जानकारों का ये भी कहना है कि वर्तमान में स्कूलों की जिस तरीके से जांच कराई जा रही है उससे शायद ही राहत मिले। क्योंकि जांच अधिकारी बनाए गए सरकारी स्कूलों के प्राचार्य स्कूलों में जाकर सिर्फ ये चेक कर रहे है कि स्कूलों ने कॉपी-किताब, यूनिफार्म की रेट लिस्ट चस्पा की है या नहीं?
पहले और अभी जांच में अंतर
2009 में हुई जांच
- 25 से 30 तक बढ़ाई गई फीस को लेकर अभिभावकों के विरोध के बाद तत्कालीन कलेक्टर हरिरंजन राव ने अपर कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव के नेतृत्व में निजी स्कूलों की जांच कराई थी। निधि सिंह राजपूत व दो अन्य एसडीएम, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की टीम तैयार कर स्कूलों में मौजूद स्टॉफ, शिक्षकों की योग्यता, वेतन सहित साल भर का लेखा-जोखा किया गया।
- जांच में अनियमितताएं मिली तब स्कूल संचालकों की बैठक बुलाई गई। जांच रिपोर्ट सामने रखकर सवाल दागे कि अभिभावकों से वसूली जा रही साइंस, कम्प्यूटर, स्पोर्ट्स, मैनेजमेंट, ट्यूशन फीस का कहां क्या इस्तेमाल किया। शिक्षकों का जितना वेतन शो किया गया उतना उन्हें मिल ही नहीं रहा। ऑडिट रिपोर्ट में भी वसूली गई फीस का जिक्र नहीं था।
नतीजा ये रहा
- हुआ ये कि 27 में से 22 स्कूलों ने जहां 10 से 15 फीसदी तक फीस घटा दी वहीं 7 स्कूलों ने पालक शिक्षक संघ की बैठक कर फीस तय करने का निर्णय लिया। असर ये रहा कि 2012-13 तक फीस नहीं बढ़ाई गई।
वर्तमान में ऐसी हो रही जांच
- फीस वृद्धि और स्कूलों की मनमानियों की मिली शिकायत पर कलेक्टर शिवनरायण रूपला ने डीईओ सतीश अग्रवाल से स्कूलों की जांच कराने के निर्देश दिए। 28 मार्च को डीईओ ने 30 सीबीएसई, आईसीएसई स्कूलों की जांच करने 30 स्कूल प्राचार्यों को जिम्मेदारी सौंपी। 4 बिन्दुओं पर जांच कर 5 दिन में रिपोर्ट देने कहा।
- शनिवार तक करीब 5 स्कूल प्राचार्यों ने 5 स्कूलों की जांच की और रिपोर्ट डीईओ कार्यालय भिजवा दी। बाकी आज-कल में जांच कर रिपोर्ट देने की बात कह रहे।
- डगडगा हिनौता हाईस्कूल प्राचार्य ने डीपीएस स्कूल की जांच की। रिपोर्ट में बताया कि स्कूल में फीस, कॉपी, किताब की लिस्ट कीमतों के साथ नोटिस बोर्ड में चस्पा है। अभिभावकों पर चुनिंदा दुकान से किताब, यूनिफार्म खरीदने दबाव नहीं बनाया गया। स्कूल का पोर्टल अपडेट नहीं है। क्राइस्टचर्च ब्वॉयज, गर्ल्स, महर्षि स्कूल में कोई गफलत नहीं मिली। सेन्ट्रल स्कूल में जरूर ये पाया गया कि किताबों की नाम नोटिस बोर्ड पर चस्पा है कीमत नहीं। किताब 2 दुकानों से और यूनिफार्म 3 दुकानों से अभिभावक खरीद सकते हैं। दबाव नहीं।
नतीजा
स्कूलों की जांच पूरी नहीं हो पाई है। जो रिपोर्ट मिल रही है उससे किसी स्कूल पर कार्रवाई होगी कहा नहीं जा सकता। अंतिम निर्णय कलेक्टर लेंगे
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प्रशासन से यही अपेक्षा है कि स्कूलों की जांच का दायरा बढ़ा कर यदि 2009-10 की तर्ज पर ऑडिट रिकार्ड की जांच कराई जाए तो स्कूलों पर जरूर दबाव बनेगा। प्रशासन से अपेक्षा है कि वे बढ़ी फीस और मनमानियों से अभिभावकों को राहत दिलाएं।
-डॉ.पीजी नाजपांडे, प्रांताध्यक्ष, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच
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स्कूलों की जांच कराई जा रही है। यदि गलती सामने आएगी तो नियमानुसार कर्रवाई की जाएगी।
-शिवनारायण रूपला, कलेक्टर

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