भोपाल (नप्र)। शहर भले ही 30 किलोमीटर के दायरे में बसा हो, लेकिन स्कूल संचालक और बस ऑपरेटर्स अधिकतम 110 किमी की दूरी के मुताबिक किराया तय करना चाहते हैं। उनका दावा है कि स्कूल की एक बस बच्चों को लाने-ले-जाने के लिए 110 किमी तक का सफर तय करती है। किराया निर्धारण को लेकर सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक में यह दावे किए गए।
हालांकि इस मुद्दे पर चली बहस के बाद स्कूल बसों के किराए का निर्धारण नहीं हो सका। एडीएम बीएस जामोद ने कहा कि अगले 10 दिन में दोबारा बैठक बुलाकर नए सिरे से किराए का निर्धारण कर लिया जाएगा। बैठक में अभिभावक और पालक शिक्षक महासंघ ने स्कूलों पर उनकी मर्जी के मुताबिक फीस नहीं देने पर बच्चों और अभिभावकों को परेशान करने के आरोप लगाए। बैठक में आरटीओ संजय तिवारी, डीईओ धर्मेंद्र शर्मा सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
प्रशासन ने पिछले साल अगस्त में स्कूलों बसों के लिए किराए का निर्धारण किया था। किराया निर्धारण प्रतिदिन 60 किलो मीटर औसत संचालन और 25 कार्य दिवस के मुताबिक किया था। इसमें न्यूनतम किराया 750 और अधिकतम 1300 रुपए निर्धारित किया गया है। स्कूल संचालक और बस ऑपरेटर्स इस किराए को मानने को तैयार नहीं हैं। बैठक में उपस्थित कुछ स्कूल संचालकों ने किराए निर्धारण के लिए लागू कटनी के मॉडल को भी गलत ठहराया। बस ऑपरेटर्स ने नियमों का हवाला देकर किराए निर्धारण की प्रक्रिया को ही गलत ठहरा दिया।
डीपीएस का दावा
डीपीएस स्कूल के प्राचार्य ने दावा किया है कि बच्चों को लाने-ले-जाने के लिए उनकी एक बस औसतम 110 किमी तक चलती है। ऐसे में 60 किमी की दूरी को बढ़ाया जाए। इस आपत्ति पर एडीएम ने कहा कि किराया निर्धारण हर स्कूल के लिए अलग से नहीं किया जा सकता है। किराया निर्धारण का एक ही रखा जाएगा।
बैरसिया तक चलती हैं बसें
स्कूल-कॉलेज बस एसोसिएशन के सचिव राजेंद्र शर्मा ने दावा कि स्कूलों की बसें बैरसिया तक जाती हैं। ऐसे में आने-जाने का चक्कर 100 किमी तक हो जाता है। इस पर प्रभारी आरटीओ संजय तिवारी ने कहा कि स्कूल बसों को नगर निगम सीमा के बाहर जाने के परमिट कैसे जारी हो गया। इस पर ऑपरेटर्स बोले, उन्हें इसका परमिट मिला हुआ है। आरटीओ ने कहा इसकी जांच होगी।
बच्चे घर आकर बोलते हैं, पापा फीस नहीं भरी क्या
बैठक में पालक शिक्षक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने कहा कि स्कूल सेवाभाव के नाम पर व्यापार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल बच्चों और अभिभावक को इस कदर परेशान करते हैं कि बच्चे भी घर आकर बोलते हैं, पापा फीस नहीं भरी क्या।
स्कूलों के सामने प्रशासन मजबूर
निजी स्कूलों के सामने प्रशासन भी मजबूर है। अभिभावक प्रबोध पंड्या ने यह आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि स्कूल अपने कैंपस के भीतर जिला शिक्षा अधिकारी तक को नहीं घुसने देते।
सिर्फ फीस वसूली से मतलब, सुरक्षा के इंतजाम नहीं
अभिभावक और किराया निर्धारण समिति के सदस्य अतुल दुबे ने कहा कि बस संचालकों को सिर्फ किराया वसूली से मतलब है, बसों में सुरक्षा के इंतजाम तक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर बस ऑपरेर्टस सुरक्षा की पूरी गारंटी लें, तो अधिक फीस देने के लिए भी तैयार हैं।
पहले यह तय हुआ था
दूरी किराया
1 से 5 750
6 से 10 850
11 से 15 950
16 से 20 1,150
21 से 25 1,250
26 से 30 1,300
(दूरी किमी और किराया रुपए में)
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