होलकर साइंस कॉलेज के 1968 बैच के एल्युमिनाई ने साझा की यादें
इंदौर। पहले न कोचिंग संस्थाएं थीं न तकनीकी सुविधाएं... किसी भी विषय को सिर्फ पढ़ने के बजाय पूरी तरह से समझने पर जोर दिया जाता था, शिक्षक कक्षा के बाद भी घंटों तक विद्यार्थियों की जिज्ञासाएं शांत करते थे लेकिन अब पूरा एजुकेशन सिस्टम ही बदल गया है।
अब ज्यादा से ज्यादा अंक हासिल करने की होड़ है।
ये बातें होलकर साइंस कॉलेज के 1968 बैच के एलुमिनाई ने कही। बैच के 50 साल पूरे होने पर 23 एलुमिनाई का समूह शनिवार को शहर में इकट्ठा हुआ। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर वरिष्ठ वैज्ञानिक श्रीनिवास परांजपे ने कहा आजकल विद्यार्थियों को समझाने के बजाय रटने की शिक्षा दी जा रही है। ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों से अंक तो ज्यादा आ जाते हैं लेकिन विद्यार्थी की समझ विकसित नहीं हो पाती। जबकि पुराने समय में विषय को पूरी तरह से समझाने पर शिक्षकों का जोर हुआ करता था।
आज के बच्चों का आईक्यू लेवल ज्यादा
रमेश काकिरडे ने कहा आज के बच्चों का आईक्यू लेवल हमसे ज्यादा है लेकिन एजुकेशन पैटर्न गलत है। चौथी कक्षा के बच्चे के पास 20-22 किताबें हैं। बचपन से ही पालक बच्चों पर डॉक्टर-इंजीनियर बनने का दबाव बनाने लगे हैं। खेलकूद के बजाए बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर लगे रहते हैं। इससे शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
अब भी वैसा ही है हमारा कॉलेज
सभी एलुमिनाई दोपहर में होलकर साइंस कॉलेज पहुंचे ओर लाइब्रेरी व कक्षाएं देखीं। सालों बाद कॉलेज की बिल्डिंग देखकर एलुमिनाई बोले आज भी कॉलेज सालों पहले जैसा ही है। कॉलेज प्राचार्य डॉ. केएन चतुर्वेदी ने सभी से ओल्ड होलकरियन एसोसिएशन का मेंबर बनने की बात भी कही। शाम को गेट दुगेदर के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम कर सभी ने पुरानी यादें ताजा की।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
इंदौर। पहले न कोचिंग संस्थाएं थीं न तकनीकी सुविधाएं... किसी भी विषय को सिर्फ पढ़ने के बजाय पूरी तरह से समझने पर जोर दिया जाता था, शिक्षक कक्षा के बाद भी घंटों तक विद्यार्थियों की जिज्ञासाएं शांत करते थे लेकिन अब पूरा एजुकेशन सिस्टम ही बदल गया है।
अब ज्यादा से ज्यादा अंक हासिल करने की होड़ है।
ये बातें होलकर साइंस कॉलेज के 1968 बैच के एलुमिनाई ने कही। बैच के 50 साल पूरे होने पर 23 एलुमिनाई का समूह शनिवार को शहर में इकट्ठा हुआ। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर वरिष्ठ वैज्ञानिक श्रीनिवास परांजपे ने कहा आजकल विद्यार्थियों को समझाने के बजाय रटने की शिक्षा दी जा रही है। ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों से अंक तो ज्यादा आ जाते हैं लेकिन विद्यार्थी की समझ विकसित नहीं हो पाती। जबकि पुराने समय में विषय को पूरी तरह से समझाने पर शिक्षकों का जोर हुआ करता था।
आज के बच्चों का आईक्यू लेवल ज्यादा
रमेश काकिरडे ने कहा आज के बच्चों का आईक्यू लेवल हमसे ज्यादा है लेकिन एजुकेशन पैटर्न गलत है। चौथी कक्षा के बच्चे के पास 20-22 किताबें हैं। बचपन से ही पालक बच्चों पर डॉक्टर-इंजीनियर बनने का दबाव बनाने लगे हैं। खेलकूद के बजाए बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर लगे रहते हैं। इससे शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
अब भी वैसा ही है हमारा कॉलेज
सभी एलुमिनाई दोपहर में होलकर साइंस कॉलेज पहुंचे ओर लाइब्रेरी व कक्षाएं देखीं। सालों बाद कॉलेज की बिल्डिंग देखकर एलुमिनाई बोले आज भी कॉलेज सालों पहले जैसा ही है। कॉलेज प्राचार्य डॉ. केएन चतुर्वेदी ने सभी से ओल्ड होलकरियन एसोसिएशन का मेंबर बनने की बात भी कही। शाम को गेट दुगेदर के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम कर सभी ने पुरानी यादें ताजा की।
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