भोपाल (ब्यूरो)। असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए विश्वविद्यालय विनियामक आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी के नियमों में संशोधन तो कर दिया है, लेकिन इसका फायदा वर्ष 2009 के पहले के सभी पीएचडी डिग्रीधारी नहीं ले पाएंगे। इसकी वजह नियमों के साथ नई शर्तें भी लागू करना है।
इन शर्तों को वर्ष 2009 के पहले के लगभग 60 फीसदी पीएचडी डिग्रीधारी पूरा नहीं कर पाएंगे।
ज्ञात हो कि असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में वर्ष 2009 के पहले के पीएचडी डिग्रीधारियों को अमान्य कर दिया गया था। इससे करीब 30 हजार उम्मीदवार अयोग्य हो रहे थे। इसको देखते हुए यूजीसी ने नियमों में बदलाव किया है। दरअसल, विश्वविद्यालयों में वर्ष 2009 के पहले दो प्रेजेंटेशन और दो पेपर प्रकाशित करने को लेकर स्पष्ट नियम नहीं थे।
नए नियमों में आईएसबीएन जर्नल में पेपर प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया गया है, अधिकतर पुरानी पीएचडी डिग्रीधारी इसमें फेल हो रहे हैं। इसके अलावा जिस विवि से पीएचडी की है, वहां के कुलपति से लिखित में लेना होगा कि डिग्री पूरे नियम और शर्तों को पूरा कर ली गई है।
इसमें भी पुरानी पीएचडी डिग्री धारी परेशान होंगे। अतिथि विद्वान शिक्षक संघ के अध्यक्ष देवराज सिंह का कहना है कि पीएचडी के इन नियमों से पुरानी पीएचडी वाले 60 फीसदी से अधिक डिग्रीधारी बाहर हो जाएंगे।
ये हैं शर्तें
यूजीसी ने वर्ष 2009 के पहले की पीएचडी के लिए दो वर्कशॉप में दो पेपर प्रेजेंटेशन अनिवार्य कर दिए हैं। - दो पेपर प्रकाशित होना अनिवार्य किया है। इसमें महत्वपूर्ण शर्त यह है कि आपका पेपर आईएसबीएन जर्नल में प्रकाशित होना चाहिए। - आपने नियमित रूप से पीएचडी की हो और ओपन वायवा दिया हो। - आपकी पीएचडी सभी नियम और शर्तों को पूरा कर रही है, यह कुलपति को लिखकर देना होगा। - पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन 11 जुलाई 2009 के पहले का होना जरूरी है।
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इन शर्तों को वर्ष 2009 के पहले के लगभग 60 फीसदी पीएचडी डिग्रीधारी पूरा नहीं कर पाएंगे।
ज्ञात हो कि असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में वर्ष 2009 के पहले के पीएचडी डिग्रीधारियों को अमान्य कर दिया गया था। इससे करीब 30 हजार उम्मीदवार अयोग्य हो रहे थे। इसको देखते हुए यूजीसी ने नियमों में बदलाव किया है। दरअसल, विश्वविद्यालयों में वर्ष 2009 के पहले दो प्रेजेंटेशन और दो पेपर प्रकाशित करने को लेकर स्पष्ट नियम नहीं थे।
नए नियमों में आईएसबीएन जर्नल में पेपर प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया गया है, अधिकतर पुरानी पीएचडी डिग्रीधारी इसमें फेल हो रहे हैं। इसके अलावा जिस विवि से पीएचडी की है, वहां के कुलपति से लिखित में लेना होगा कि डिग्री पूरे नियम और शर्तों को पूरा कर ली गई है।
इसमें भी पुरानी पीएचडी डिग्री धारी परेशान होंगे। अतिथि विद्वान शिक्षक संघ के अध्यक्ष देवराज सिंह का कहना है कि पीएचडी के इन नियमों से पुरानी पीएचडी वाले 60 फीसदी से अधिक डिग्रीधारी बाहर हो जाएंगे।
ये हैं शर्तें
यूजीसी ने वर्ष 2009 के पहले की पीएचडी के लिए दो वर्कशॉप में दो पेपर प्रेजेंटेशन अनिवार्य कर दिए हैं। - दो पेपर प्रकाशित होना अनिवार्य किया है। इसमें महत्वपूर्ण शर्त यह है कि आपका पेपर आईएसबीएन जर्नल में प्रकाशित होना चाहिए। - आपने नियमित रूप से पीएचडी की हो और ओपन वायवा दिया हो। - आपकी पीएचडी सभी नियम और शर्तों को पूरा कर रही है, यह कुलपति को लिखकर देना होगा। - पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन 11 जुलाई 2009 के पहले का होना जरूरी है।
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