भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। अब प्रदेश भर के शिक्षकों, कर्मचारियों की शिकायतों का निराकरण ऑनलाइन होगा। शिक्षकों व कर्मचारियों को आवेदन लेकर विभाग के अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने एक ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया है। जिसका नाम परिवेदना निवारण प्रबंधन प्रणाली है।
यह विभाग के एम शिक्षा मित्र एप पर एक नया ऑप्शन होगा। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने मंगलवार को शिक्षक और विभागीय कर्मचारियों की शिकायत दर्ज करने की ऑनलाइन परिवेदना निवारण प्रबंधन प्रणाली का शुभारंभ किया। मंत्री ने कहा कि सुशासन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारे सभी शिक्षक और कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत और विभागीय शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगें। उन्हें अब ब्लॉक या जिला कार्यालय में च-र नहीं काटने होंगे और ना ही किसी अन्य शिकायत पोर्टल पर जाने की आवश्यकता होगी। मंत्री ने मंत्रालय में ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों शिक्षकों, प्राचार्यो और कर्मचारियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्यालयों को स्वच्छ और आकर्षक बनाए। इससे सरकारी स्कूलों के प्रति विद्यार्थियों में आकर्षण और शिक्षा प्राप्त करने के लिए ललक उत्पन्न् होगी। उन्होंने भोपाल संभाग की विद्यालयों को आकर्षक बनाने की कार्ययोजना और जबलपुर संभाग की पहल मेरी शाला मेरी जिम्मेदारी के तहत किए गए प्रयासों को सराहा। उन्होंने सभी स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्य से इस तरह के नवाचार अपनाने की अपील की। विभाग द्वारा विकसित प्रणाली में कार्यरत और सेवानिवृत्त शिक्षक या कर्मचारी अपनी सेवा संबंधी शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज कर सकेंगे। शिक्षा पोर्टल पर शिकायत दर्ज की जा सकेगी। वेबिनार में प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी, लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त जयश्री कियावत और संचालक केके द्विवेदी सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।एसएमएस के माध्यम से जानकारी मिलेगी
शिकायत का पंजीयन क्रमांक एवं शिकायत दर्ज होने संबंधी जानकारी शिकायतकर्ता के मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से प्राप्त होगी। शिकायतकर्ता के लिए दर्ज शिकायत की ऑनलाइन ट्रैकिंग की सुवधा उपलब्ध कराई गई है। हर स्तर पर शिकायतों के निराकरण और मॉनिटरिंग करने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। निराकरण करने के बाद आदेश को ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा। शिकायतों को समयबद्ध और पारदर्शिता से निराकरण किया जाएगा। इससे समय और शासकीय व्यय की बचत होगी और विभाग के विरुद्ध न्यायालयीन प्रकरणों में भी कमी आएगी।