शिवराज सरकार शासनकाल में वर्ष 2004 से 2013 के बीच सरकारी कॉलेजों में
बिना नेट-स्लेट व पीएचडी किए बिना ही भर्ती हुए सहायक प्राध्यापकों को लेकर
उच्च शिक्षा विभाग ने सख्त रूख अपना लिया है। उच्च शिक्षा विभाग ने
कॉलेज प्राचार्यों से ऐसे सभी असिस्टेंट प्रोफेसर की सूची मांगी है।
जिनके पास यह तीनों योग्यताएं नहीं है और इसके बाद भी वे कॉलेजों में अध्यापन कार्य करा रहे है। विभाग ने प्राचार्यों को आदेश देते हुए बिना नेट-स्लेट वाले शिक्षकों की जानकारी जल्द देने के लिए कहा है। वर्ष 2004 से 2013 के बीच सरकारी कॉलेजों में बिना नेट-स्लेट और पीएचडी करने वालों को दो वर्ष की सेवाअवधि के दौरान नेट-स्लेट व पीएचडी की योग्यता प्राप्त करने की शर्त पर प्रथम नियुक्ति दी गई थी। लेकिन नियुक्ति मिलने के बाद इनमें से कई असिस्टेंट प्रोफेसर ने यह योग्यता अर्जित नहीं की और कॉलेजों में अभी भी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे है। विभाग ने ऐसे शिक्षकों को पूरी जानकारी प्राचार्यों से मांगी है। इसमें कहा है कि ऐसे सहायक प्राध्यापक जिनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं हुई है और जिन्होंने नेट-स्लेट व पीएचडी की योग्यता प्राप्त कर ली है। उनके प्रमाण-पत्रों के सत्यापन के बाद छायाप्रति विभाग को उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही ऐसे सहायक प्राध्यापक जिन्होंने शर्त के मुताबिक अभी तक योग्यता अर्जित नहीं की है। उनकी सूची भी विभाग को भेजी जाए। हालांकि विभाग ऐसे शिक्षकों पर क्या एक्शन लेने वाला है? यह तो अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन विभाग अयोग्य शिक्षकों को लेकर सख्त रुख अपना चुका है।
जिनके पास यह तीनों योग्यताएं नहीं है और इसके बाद भी वे कॉलेजों में अध्यापन कार्य करा रहे है। विभाग ने प्राचार्यों को आदेश देते हुए बिना नेट-स्लेट वाले शिक्षकों की जानकारी जल्द देने के लिए कहा है। वर्ष 2004 से 2013 के बीच सरकारी कॉलेजों में बिना नेट-स्लेट और पीएचडी करने वालों को दो वर्ष की सेवाअवधि के दौरान नेट-स्लेट व पीएचडी की योग्यता प्राप्त करने की शर्त पर प्रथम नियुक्ति दी गई थी। लेकिन नियुक्ति मिलने के बाद इनमें से कई असिस्टेंट प्रोफेसर ने यह योग्यता अर्जित नहीं की और कॉलेजों में अभी भी विद्यार्थियों को पढ़ा रहे है। विभाग ने ऐसे शिक्षकों को पूरी जानकारी प्राचार्यों से मांगी है। इसमें कहा है कि ऐसे सहायक प्राध्यापक जिनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं हुई है और जिन्होंने नेट-स्लेट व पीएचडी की योग्यता प्राप्त कर ली है। उनके प्रमाण-पत्रों के सत्यापन के बाद छायाप्रति विभाग को उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ ही ऐसे सहायक प्राध्यापक जिन्होंने शर्त के मुताबिक अभी तक योग्यता अर्जित नहीं की है। उनकी सूची भी विभाग को भेजी जाए। हालांकि विभाग ऐसे शिक्षकों पर क्या एक्शन लेने वाला है? यह तो अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन विभाग अयोग्य शिक्षकों को लेकर सख्त रुख अपना चुका है।