भोपाल (BHOPALSAMACHAR.COM)। तीन सूत्रीय मांगो को लेकर आमरण अनशन
पर बैठे अतिथि शिक्षक संघ का धरना लगातार सातवे दिन भी जारी रहा। संघ के
अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने बताया कि आज संघ के पदाधिकारियों ने सोमवार को काली
पट्टी बांधकर सांकेतिक विरोध दर्ज कराया। संघ का आरोप है कि मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान ने 10 मार्च को तीन प्रांतीय पदाधिकारियों के प्रतिनिधी
मंडल को बुलाकर तीन मांगो पर चर्चा की थी। जिसमें 12 माह का सेवाकाल, दुगना
मानदेय, और 8-10 साल से जो अतिथी शिक्षक काम कर रहे है वे हटाए नही
जायेंगे।
मिश्रा ने यह भी बताया कि 10 मार्च के बाद मुख्यमंत्री जी ने 18 मार्च को
महापंचायत बुलाने की घोषणा की थी लेकिन मुख्यमंत्री जी उसे भूल चुके है।
उनके झूठे आश्वासन और वादाखिलाफी से संगठन में आक्रोष व्याप्त है इससे
नाराज होकर संगठन अनिश्चितकाल तक अनशन पर रहेगा। इसके बाद भी प्रशासन नही
जागा तो जिलों मे धरने पर बैठे अतिथि शिक्षकों को भोपाल बुलाकर आंदोलन किया
जाएगा। सरकार द्वारा उपेक्षा के कारण संपूर्ण जिलों में अतिथी शिक्षक
निरंतर सरकार के विरोध में आंदोलनरत है।
संघ ने यह भी चेतावनी दी है कि सरकार द्वारा जल्द ही अगर मांगो का निराकरण
नही किया तो अतिथि शिक्षक जिलों से लेकर प्रदेश तक सडकों पर उतरने को बाध्य
होंगे। उनका आरोप है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो वर्तमान आदेश दिया गया
है नियुक्तियों को लेकर उसमें भी आनलाइन की प्रक्रिया अपनाई गई है। जबकि
उच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट स्थगन आदेश यह कहते है कि जब तक सरकार नियमित
भर्ती नही करती तब तक पूर्व से कार्यरत अतिथि शिक्षक यथा स्थान कार्य
करेंगे। सरकार उन्हे हटा नही सकती।
ये बैठे है अनशन पर-
प्रांतीय अध्यक्ष मनोज मिश्रा, मीडिया प्रभारी मनोज सक्सेना, महामंत्री अजय
पाल रठौर, कोषाध्यक्ष सादिक खान, मुकेश रघुवंशी, ब्रजेश आचार्य, रामबाबू
मालवीय, अनिल शर्मा, घासीराम रजक, राजू मीना, नरेन्द्र परिहार, अवधेश
दीक्षित, अजय बुधोलिया, सतीश शर्मा, बीएम खान, धीरज सिंह भदौरिया, पन्नालाल
लोधी, महेश भूरिया, अवधनारायण गुर्जर आदि शामिल है।
ये है मांगे-
1- नियमितीकरण अथवा 12 माह का सेवाकाल और बढा हुआ मानदेय
2- आनलाईन भर्ती प्रक्रिया माननीय उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश अनुसार तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाये।
3- पूर्व से कार्यरत अतिथि शिक्षकों को निरंतर रुप से कार्य करने के अवसर 2918-19 में भी दिये जाये।