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हजारों आवेदक भर्ती प्रक्रिया से हुए बाहर

भोपाल/ग्वालियर मप्र के स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के लिए नियुक्त किए जाने वाले अतिथि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया विवादों में फंस गई है। शासन के नए नियम के अनुसार अतिथि शिक्षक बनने के लिए वही लोग आवेदन कर सकेंगे, जिन्होंने वर्ष 2017 में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है।
ऐसे में वर्ष 2017-18 मंे इंटर, बीएड, डीएड, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले छात्र अतिथि शिक्षक बनने की पात्रता से बाहर हो गए हैं। प्रदेश के स्कूलों में अतिथि शिक्षकों के चयन का अधिकार संबंधित स्कूल के हेड मास्टर या प्राचार्य को दिया गया था। लेकिन वर्ष 2017 से अतिथि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में बदलाव कर दिए गए हैं। पिछले साल रजिस्ट्रेशन कराने वाले आवेदकों को ही इस वर्ष अतिथि शिक्षक बनाने के िनयम से प्रदेशभर के एक लाख से अिधक आवेदक परेशान हैं। कुछ छात्रों की शिकायत पर डीबी स्टार ने इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के राज्यमंत्री दीपक जोशी से बात की तो उनका कहना था कि इस मामले में अफसरों से जानकारी लेकर छात्रहित में निर्णय लिया जाएगा।

प्राइमरी स्कूल: इंटर के साथ डीएड पास आउट आवेदक को प्राथमिकता, बिना डीएड पास वाले भी हैं योग्य।

मिडिल स्कूल: ग्रेजुएट के साथ बीएड किए हुए आवेदकों को प्राथमिकता, बिना बीएड पास आउट भी योग्य।

हाईस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूल: पोस्ट ग्रेजुएट के साथ बीएड पासआउट आवेदक, बिना बीएड पासआउट भी योग्य।

ये है वेतन

प्रदेश में अतिथि शिक्षकाें के लिए शासन ने तीन वर्ग बनाए हैं। वर्ग एक में हायर सेकंडरी एवं हाईस्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक, वर्ग दो में मिडिल स्कूल और वर्ग तीन में प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक शामिल किए गए हैं। वर्ग एक के लिए 4500, वर्ग दो को 3500 तथा वर्ग तीन के लिए 2500 रुपए वेतन निर्धारित किया गया था। इस साल कितना वेतन मिलेगा, इसकी घोषणा शिक्षा विभाग ने अभी नहीं की है।

इस साल उत्तीर्ण छात्रों को नहीं मिल रहा अवसर

बीएड कॉलेज हैं प्रदेश में

डीएड कॉलेज हैं प्रदेश में

कियोस्क सेंटर पर नए रजिस्ट्रेशन न होने के कारण कई आवेदक परेशान हो रहे हैं।

ऑनलाइन प्रक्रिया से पारदर्शिता आई है

 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया से पारदर्शिता आ रही है। जहां तक नए पास आउट छात्रों की बात है तो इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों से जानकारी लेकर आगामी कार्रवाई करेंगे। दीपक जोशी, राज्य मंत्री स्कूल शिक्षा

50 से 100

तक सीटें रहती हैं हर बीएड व डीएड कॉलेज में

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