एम.शिक्षा मित्र को लेकर चल रहे विरोध के बीच दो दिन बाद नए शिक्षण सत्र की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है। विरोध जताने वाले संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि केवल शिक्षा विभाग में ही इसका प्रयोग क्यों किया जा रहा है? अगर यह सभी विभागों में लागू हो तो इसे स्वीकार किया जा सकता है। इसलिए 2 अप्रैल से शुरू हो रहे सत्र में इसका बहिष्कार किया जाएगा।
वहीं अधिकारियों का दो टूक कहना है कि पूरी सख्ती के साथ एप का उपयोग करवाया जाएगा। उपयोग न करने वाले एवं जबरदस्ती एप डिलीट कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी।
एप को लेकर परेशानी आैर फायदे
एप में ई-अटेंडेंस लगाना होगी। विभाग में इसका प्रयोग इसलिए किया जा रहा है ताकि शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचे। संगठनों का विरोध इसको लेकर है कि ग्रामीण इलाकों में मोबाइल नेटवर्क समस्या आती है। जबकि अधिकारियों का कहना है नेटवर्क न होने पर भी उपस्थिति उसी समय की दर्ज होगी, जिस समय इसमें ई-अटेंडेंस लगाई गई है।
शिक्षक व कर्मचारी की लोकेशन ट्रेस होगी। आने आैर जाने, दोनों का समय दर्ज होगा। परेशानी इसको लेकर है एक मिनट भी देरी हुई तो अनुपस्थिति लग जाएगी।
अगर शिक्षक अथवा कर्मचारी मार्ग में हैं आैर एप से उपस्थिति दर्ज कराएंगे तो पांच किलोमीटर दूर होने पर उसकी उपस्थिति नहीं लग पाएगी।
एंड्राइड मोबाइल नहीं होने या बैटरी डिस्चार्ज पर एप से उपस्थिति को लेकर शिक्षक व कर्मचारियों में संशय की स्थिति है। जबकि अधिकारियों का कहना है उसी संस्था के प्रमुख के मोबाइल से भी शिक्षक या कर्मचारी अपने आईडी डालकर एप से एंट्री कर सकेंगे। एप में विभागीय सर्कुलर, वेतन पर्ची सहित सभी जानकारियां प्राप्त की जा सकेंगी।
एप में कई तकनीकी खामियां, उपस्थिति दर्ज नहीं होती
एप में कई तकनीकी खामियां भी हैं। उपस्थिति देने के बाद भी कई बार यह उपस्थिति दर्ज नहीं करता। केवल शिक्षा विभाग के लिए ही ऐसे एप का उपयोग क्यों? इसे सभी विभागों में पहले लागू किया जाए। डॉ. कैलाश बारोड़, जिलाध्यक्ष, अध्यापक संविदा शिक्षक संघ
यह शिक्षकों के स्वाभिमान पर चोट है कि सरकार उनकी कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में रख रही है। केवल शिक्षा विभाग में ही इसका प्रयोग करने की क्या जरूरत है। आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए। जगदीश सिंह केलवा, जिला सचिव, मप्र शिक्षक संघ
डीईओ बोले- एप का उपयोग नहीं तो वेतन नहीं निकलेगा
सभी शिक्षक आैर कर्मचारियों को एप डाउनलोड करवा कर प्रशिक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। शासन के आदेशानुसार इसका पालन करना अनिवार्य है। हर दिन समीक्षा होगी आैर 2 अप्रैल से अनिवार्य प्रयोग करवाया जाएगा। एप को डिलीट करवाने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। शासन के निर्देश हैं कि एप का उपयोग नहीं करने पर संबंधित का वेतन आहरण नहीं किया जाए।
अधिकारियों की दो टूक - सख्ती से करवाएंगे पालन
वापस लेने का विचार नहीं
एप का आदेश वापस लेने का फिलहाल कोई विचार नहीं है। शिक्षकों को इसके फायदे समझने चाहिए। यह बहुत ही कारगर है। इसके विरोध जैसी कोई बात नहीं है। इंदौर में तो यह काफी पहले ही लागू हो चुका है। दीपक जोशी, स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री
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