रतलाम/मलवासा।
एक कक्षा में दरी पर बैठे तीन बच्चे और उनके समीप ही बैठकर पढ़ाते सहायक
शिक्षक रमेशचन्द्र चौहान। आम तौर पर जो भी देखेगा उसे एेसा लगेगा जैसे यह
एक ही कक्षा के बच्चे बैठकर पढ़ रहे हैं, लेकिन यहां जैसे ही चौहान अपना
मुंह घुमाते हैं, वैसे ही कक्षा भी बदल जाती है, बच्चों के साथ भी कुछ एेसा
ही है।
रतलाम जिले के बांगरोद रेलवे स्टेशन के शासकीय प्राथमिक विद्यालय में वैसे तो चार बच्चों का नामांकन है, लेकिन बुधवार को एक विद्यार्थी नहीं आया था, इसलिए केवल तीन ही बच्चे शिक्षक के सम्मुख बैठ पढ़ाई कर रहे हैं। पांच कक्षाओं की इस स्कूल में दूसरी कक्षा में एक भी बच्चा नहीं पढ़ता। यहां बैठी ज्योति कक्षा पांच, सोनू कक्षा चार, अमन कक्षा तीन और आरती पहली में पढ़ती है।
कम होते गए बच्चे और...
यहां तीन कमरे, एक बरामदा, एक पुराना व एक नवीन शौचालय है। यहां की आबादी 400 है। इन घरों के कक्षा 1 से आठ तक के करीब 65 बच्चे पढ़ते हैं, जो बांगरोद के एक निजी स्कूल और कुछ रतलाम पढऩे जाते हैं। यहां लोगों का मानना है कि स्कूल स्टेशन पर होने के कारण इसमें कम बच्चे पढ़ते हैं। यहां हर समय रेल आती-जाती रहती है। रेल की धड़धड़ और हॉर्न की आवाज से हर पांच मिनट में स्कूल गूंजती रहती है। वर्ष 2013 में यहां 24 बच्चे अध्ययनरत थे, जो धीरे-धीरे कम होते गए और हाल एेसे हो गए।
शिक्षक बोले पीने का पानी नहीं इसलिए बच्चे कम
शिक्षक रमेशचंद चौहान ने बताया की स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, इस कारण से भी बच्चों की संख्या कम हुई है। प्राथमिक विद्यालय में पालकों के मुताबिक अपने बच्चों को पढ़ाई नहीं मिलने की वजह से प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की संख्या लगातार गिर रही है।
एक नजऱ बांगरोद स्टेशन की बच्चों की संख्या की वर्षवार
2013.....24
2014....19
2015.....15
2016.....7
2017.....4
होस्टल में प्रवेश कराने पर देंगे जोर
बांगरोद स्टेशन का स्कूल बहुत पुराना है। आरटीआई के नियम अनुसार हर 1 किलोमीटर पर प्राथमिक स्कूल और हर 3 किलोमीटर पर मीडिल स्कूल का नियम है। इस कारण स्कूल बंद नहीं किया जा सकता है, फिर भी पालकों से चर्चा कर बच्चों को होस्टल में प्रवेश कराने पर जोर दिया जाएगा।
राजेंद्र सक्सेना, डीपीसी रतलाम
रतलाम जिले के बांगरोद रेलवे स्टेशन के शासकीय प्राथमिक विद्यालय में वैसे तो चार बच्चों का नामांकन है, लेकिन बुधवार को एक विद्यार्थी नहीं आया था, इसलिए केवल तीन ही बच्चे शिक्षक के सम्मुख बैठ पढ़ाई कर रहे हैं। पांच कक्षाओं की इस स्कूल में दूसरी कक्षा में एक भी बच्चा नहीं पढ़ता। यहां बैठी ज्योति कक्षा पांच, सोनू कक्षा चार, अमन कक्षा तीन और आरती पहली में पढ़ती है।
कम होते गए बच्चे और...
यहां तीन कमरे, एक बरामदा, एक पुराना व एक नवीन शौचालय है। यहां की आबादी 400 है। इन घरों के कक्षा 1 से आठ तक के करीब 65 बच्चे पढ़ते हैं, जो बांगरोद के एक निजी स्कूल और कुछ रतलाम पढऩे जाते हैं। यहां लोगों का मानना है कि स्कूल स्टेशन पर होने के कारण इसमें कम बच्चे पढ़ते हैं। यहां हर समय रेल आती-जाती रहती है। रेल की धड़धड़ और हॉर्न की आवाज से हर पांच मिनट में स्कूल गूंजती रहती है। वर्ष 2013 में यहां 24 बच्चे अध्ययनरत थे, जो धीरे-धीरे कम होते गए और हाल एेसे हो गए।
शिक्षक बोले पीने का पानी नहीं इसलिए बच्चे कम
शिक्षक रमेशचंद चौहान ने बताया की स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, इस कारण से भी बच्चों की संख्या कम हुई है। प्राथमिक विद्यालय में पालकों के मुताबिक अपने बच्चों को पढ़ाई नहीं मिलने की वजह से प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की संख्या लगातार गिर रही है।
एक नजऱ बांगरोद स्टेशन की बच्चों की संख्या की वर्षवार
2013.....24
2014....19
2015.....15
2016.....7
2017.....4
होस्टल में प्रवेश कराने पर देंगे जोर
बांगरोद स्टेशन का स्कूल बहुत पुराना है। आरटीआई के नियम अनुसार हर 1 किलोमीटर पर प्राथमिक स्कूल और हर 3 किलोमीटर पर मीडिल स्कूल का नियम है। इस कारण स्कूल बंद नहीं किया जा सकता है, फिर भी पालकों से चर्चा कर बच्चों को होस्टल में प्रवेश कराने पर जोर दिया जाएगा।
राजेंद्र सक्सेना, डीपीसी रतलाम