भोपाल। मिशन 2018 की सफलता के लिए शिवराज सरकार ने दो बड़ी भर्तियों का पिटारा खोला है। इन भर्तियों में करीब 9 हजार पटवारी के साथ-साथ लगभग 40 हजार संविदा शिक्षकों की भर्ती किया जाना है।
चुनाव के दो साल पहले इन दोनों भर्तियों पर शिवराज कैबिनेट ने मुहर भी लगा दी है और भर्ती के नियम भी तैयार हो गए हैं।
भर्ती नियमों की जानकारी मिलते ही शिवराज सरकार का ये दाव उलटा पड़ता नजर आ रहा है। जहां शिवराज सरकार बड़े पैमाने पर भर्ती कर युवाओं को रिझाना चाह रही है। वहीं इन दोनों भर्ती के नियमों के चलते सामान्य और पिछड़ा वर्ग के छात्र नाराज हो गए हैं और शिवराज सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया में मुहिम चला रहे हैं।
दरअसल, शिवराज सरकार ने इन दोनों भर्ती में एससी और एसटी वर्ग के छात्रों को आरक्षण के अलावा योग्यता के मापदंड में भी राहत दी है। इसी बात को लेकर सामान्य और पिछड़ा वर्ग के छात्र विरोध पर उतर आए हैं और विरोध इस बात पर हो रहा है कि जब आरक्षण की व्यवस्था है तो योग्यता मापदंड सबके लिए एक जैसे क्यों नहीं।
पढ़ेंःव्यापमं घोटाले में कांग्रेस ने मांगा शिवराज का इस्तीफा, 634 छात्रों का दाखिला रद्द
संविदा शिक्षक भर्ती के लिए जहां सामान्य वर्ग और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए बीएड और डीएड अनिवार्य है तो वहीं एससी-एसटी के लिए इस अनिवार्यता से छूट है। वहीं दूसरी तरफ पटवारी भर्ती में सामान्य और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए डीसीए और पीजीडीसीए की अनिवार्यता है, तो आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए इस अनिवार्यता में भी छूट है। इस फैसले को लेकर शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बन रहा है और सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है। फिलहाल इन भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हुआ है। हांलाकि कैबिनेट से भर्ती के लिए मंजूरी मिल चुकी है और जल्द ही भर्ती का विज्ञापन जारी किया जाएगा।
मध्यप्रदेश सामान्य जाति पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा (सपाक्स) के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा का कहना है कि सरकार द्वारा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में जो बीएड -डीएड की व्यवस्था का भेदभाव किया जा रहा है। वह निंदनीय एवं संवैधानिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। लिहाजा मांग करते हैं कि इस भेदभाव को तुरंत समाप्त किया जाए। जब आरक्षण की व्यवस्था है तो आरक्षित वर्ग के लोगों को योग्यता के मापदंडों में शिथिलता क्यों दी जा रही है।
सरकार का ये निर्णय संविधान के विपरीत है। किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता में दोयम दर्जे का व्यवहार परीक्षार्थी या उम्मीदवार के साथ सरकार नहीं कर सकती। किसी भी परीक्षा में चाहे अभ्यर्थी किसी भी वर्ग का हो, उसे परीक्षा के सभी मापदंडों को पूरा करना चाहिए। सरकार वोट की राजनीति में दो प्रकार की परीक्षा लेगी और नौकरी देगी, ये सरकार जनहित या संविधान हित में काम नहीं कर रही है। इस मामले में सपाक्स संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष इस मामले में सीएम शिवराज सिंह को पत्र लिखकर इस निर्णय पर रोक लगाने की मांग करेंगे।
चुनाव के दो साल पहले इन दोनों भर्तियों पर शिवराज कैबिनेट ने मुहर भी लगा दी है और भर्ती के नियम भी तैयार हो गए हैं।
भर्ती नियमों की जानकारी मिलते ही शिवराज सरकार का ये दाव उलटा पड़ता नजर आ रहा है। जहां शिवराज सरकार बड़े पैमाने पर भर्ती कर युवाओं को रिझाना चाह रही है। वहीं इन दोनों भर्ती के नियमों के चलते सामान्य और पिछड़ा वर्ग के छात्र नाराज हो गए हैं और शिवराज सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया में मुहिम चला रहे हैं।
दरअसल, शिवराज सरकार ने इन दोनों भर्ती में एससी और एसटी वर्ग के छात्रों को आरक्षण के अलावा योग्यता के मापदंड में भी राहत दी है। इसी बात को लेकर सामान्य और पिछड़ा वर्ग के छात्र विरोध पर उतर आए हैं और विरोध इस बात पर हो रहा है कि जब आरक्षण की व्यवस्था है तो योग्यता मापदंड सबके लिए एक जैसे क्यों नहीं।
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संविदा शिक्षक भर्ती के लिए जहां सामान्य वर्ग और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए बीएड और डीएड अनिवार्य है तो वहीं एससी-एसटी के लिए इस अनिवार्यता से छूट है। वहीं दूसरी तरफ पटवारी भर्ती में सामान्य और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए डीसीए और पीजीडीसीए की अनिवार्यता है, तो आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए इस अनिवार्यता में भी छूट है। इस फैसले को लेकर शिवराज सरकार के खिलाफ माहौल बन रहा है और सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है। फिलहाल इन भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं हुआ है। हांलाकि कैबिनेट से भर्ती के लिए मंजूरी मिल चुकी है और जल्द ही भर्ती का विज्ञापन जारी किया जाएगा।
मध्यप्रदेश सामान्य जाति पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा (सपाक्स) के महामंत्री लक्ष्मीनारायण शर्मा का कहना है कि सरकार द्वारा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में जो बीएड -डीएड की व्यवस्था का भेदभाव किया जा रहा है। वह निंदनीय एवं संवैधानिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। लिहाजा मांग करते हैं कि इस भेदभाव को तुरंत समाप्त किया जाए। जब आरक्षण की व्यवस्था है तो आरक्षित वर्ग के लोगों को योग्यता के मापदंडों में शिथिलता क्यों दी जा रही है।
सरकार का ये निर्णय संविधान के विपरीत है। किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता में दोयम दर्जे का व्यवहार परीक्षार्थी या उम्मीदवार के साथ सरकार नहीं कर सकती। किसी भी परीक्षा में चाहे अभ्यर्थी किसी भी वर्ग का हो, उसे परीक्षा के सभी मापदंडों को पूरा करना चाहिए। सरकार वोट की राजनीति में दो प्रकार की परीक्षा लेगी और नौकरी देगी, ये सरकार जनहित या संविधान हित में काम नहीं कर रही है। इस मामले में सपाक्स संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष इस मामले में सीएम शिवराज सिंह को पत्र लिखकर इस निर्णय पर रोक लगाने की मांग करेंगे।