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Tuesday 14 February 2017

जानिए... आखिर क्या है व्यापम घोटाला?

- व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) मध्य प्रदेश में उन पदों पर भर्तियां या मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करता है, जिनकी भर्तियां मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग नहीं करता।

- व्यापम के तहत प्री-मेडिकल टेस्ट, प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं संचालित होती हैं। (एआईपीएमटी और जेईई के पहले)
- घोटाले की बात तब सामने आई जब संविदा शिक्षक भर्ती, वन रक्षक भर्ती और पुलिस उप निरीक्षक भर्ती परीक्षाओं के अलावा मेडिकल प्रवेश परीक्षा में ऐसे लोगों को पास किया गया, जिनके पास परीक्षा में बैठने तक की पात्रता नहीं थी।
-सरकारी नौकरियों में करीब एक हजार से ज्यादा भर्तियां और मेडिकल प्रवेश परीक्षा में 500 से ज्यादा एडमिशन शक के घेरे में हैं।
- इस घोटाले की जांच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में एसआईटी ने की। बाद में यह जांच सीबीआई को सौंपी गई।
ऐसे सामने आया था घोटाला

सबसे ज्यादा गड़बड़ी मेडिकल टेस्ट में ही क्यों निकलीं?

सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले में मेडिकल की प्रक्रिया रद करने का फैसला सुनाया है, वह व्यापम के तहत हुआ सबसे बड़ा घोटाला था। व्यापम की ओर से हुई प्री-मेडिकल टेस्ट में गड़बड़ी के सिलसिले में कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी थीं। लेकिन जुलाई 2013 में यह घोटाला बड़े रूप में तब सामने आया जब इंदौर क्राइम ब्रांच ने डॉ. जगदीश सगर की गिरफ्तारी की। उसे मुंबई के पॉश होटल से गिरफ्तार किया गया था।
उसके इंदौर स्थित घर से कई करोड़ रुपए कैश बरामद हुआ था। पुलिस के मुताबिक, एमबीबीएस डिग्री रखने वाले सगर ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 3 साल के दौरान 100 से 150 स्टूडेंट्स को मेडिकल कोर्स में गलत तरीके से एडमिशन दिलाया था।
स्कोरर बैठाए गए थे, इसलिए हुई मेडिकल प्रवेश की जांच

26 अगस्त 2013 को एडिशनल डीजीपी रैंक के पुलिस अफसर की अगुवाई में बनी स्पेशल टास्क फोर्स को इस घोटाले की जांच सौंपी गई। तब तक इस मामले की जांच पीएमटी भर्ती घोटाले के पहलू से ही हो रही थी। अक्टूबर 2013 में इंदौर की एक कोर्ट में पहली चार्जशीट दायर हुई।
एसटीएफ ने बताया कि 438 कैंडिडेट्स ने मेडिकल कॉलेजों में गलत तरीके से एडमिशन की कोशिश की थी। व्यापम के अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने सीट अरेंजमेंट ऐसे कराई कि दूसरे राज्यों से आने वाले "स्कोरर" उन स्टूडेंट्स के पास बैठें, जिन्होंने एडमिशन के लिए पैसे दिए थे।
इस मामले में व्यापम के एग्जामिनेशन कंट्रोलर रहे पंकज त्रिवेदी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। एसटीएफ का मानना है कि 876 स्टूडेंट्स इस घोटाले का हिस्सा रहे हैं।
जांच के दायरे में क्या शामिल था?

पीएमटी के तहत एमबीबीएस, बीडीएस जैसे कोर्स में हुए प्रवेश के अलावा पुलिस, आबकारी, वन और शिक्षा विभाग में 2007 से 2013 के बीच 1 लाख से ज्यादा पदों पर हुई भर्ती इस घोटाले की जांच में शामिल है।
अब तक कितने लोगों की हुई मौत?

कांग्रेस का आरोप है कि व्यापम घोटाले में 40 से ज्यादा मौतें हुई हैं। सरकारी आंकड़ा 27 मौतों का था। इनमें से 14 मौतें संदिग्ध हालात या बीमारी के कारण हुईं। जबकि 10 लोगों की जान सड़क हादसों के कारण हुई। 3 लोगों ने सुसाइड किया। 17 मौतों की जांच सीबीआई भी कर रही है।
2000 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई थीं

जांच का दायरा पीएमटी से आगे जाकर दूसरे एग्जाम्स तक फैल गया। पहले उन स्टूडेंट्स और आरोपियों की तलाश की गई, जिन्होंने परीक्षा में चीटिंग के लिए 25 लाख रुपए तक दिए थे। एसटीएफ ने 2000 से ज्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार किया। 55 एफआईआर दर्ज कीं। 26 से ज्यादा चार्जशीट दाखिल की गईं।
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