साक्षर भारत अभियान के तहत अब ग्रामीणों को न सिर्फ साक्षर बनाने तक ही सीमित रखा जाएगा। वरन उनको शिक्षित बनाने के लिए मुहिम शुरू की जाएगी। इसके लिए गांव के प्रधानाध्यापक और शिक्षक गांवों को गोद लेंगे।
इसमें प्रौढ़ शिक्षा के प्रेरकों के साथ अब प्रधानाध्यापक और शिक्षकों की सेवाएं इस बात के लिए ली जाएंगी कि ग्रामीणों को साक्षर होने के बाद कैसे शिक्षित बनाया जाए जिससे वह शासकीय योजनाओं के लाभ और अपने अधिकारों से वंचित न रहे सकें। इसके लिए बेसिक के बाद अब समतुल्यता परीक्षा आयोजित की जाएगी। जिसमें पास होने वाले ग्रामीणों को स्कूली शिक्षा के समतुल्य कक्षाओं की पात्रता होगी।
जिला प्रौढ़ शिक्षा विभाग के साक्षरता के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अभी सिर्फ जिले में 54 फीसदी लोग ही साक्षर हो सके हैं। जिसमें महिलाओं की साक्षरता का प्रतिशत महज 47 फीसदी है। जिले की साक्षरता दर को बढ़ाने के साथ अब विभाग द्वारा इस बात पर फोकस किया जा रहा है कि साक्षर होने के बाद प्रौढ़ों को शिक्षित भी बनाया जाए। जिससे वे सक्रिय होकर देश के विकास में योगदान दे सकें।
बेसिक के बाद होगी समतुल्यता परीक्षा
साक्षर भारत अभियान के तहत प्रौढ़ और ग्रामीणों को अभी तक बेसिक शिक्षा की जानकारी देकर हस्ताक्षर करना सिखा कर साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अब इस अभियान के तहत बेसिक सिखाने के बाद कक्षा 5 और 8 के लेबल की समतुल्यता परीक्षा की तैयारी ग्रामीणों को कराई जाएगी। इसमें ऐसे 14 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को भी शामिल किया जाएगा जो कि कक्षा 5 व 8 में फेल हो जाने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ चुके थे। समतुल्यता परीक्षा पास करने के बाद ऐसे लोगों को शिक्षा विभाग के कक्षा 5 और कक्षा 8 उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया जाएगा।
हेडमास्टर और शिक्षक गांवों को लेंगे गोद
अभी तक जिले के प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों में प्रेरकों द्वारा ग्रामीणों को बेसिक शिक्षा देकर साक्षर बनाया जा रहा था। लेकिन अब गांव के हेडमास्टर और शिक्षक गांवों को गोद लेंगे और प्रेरकों के साथ ग्रामीणों को बेसिक के बाद समतुल्यता परीक्षा में पास होने के लिए शिक्षा देंगे। आसिफ अफगानी, जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी शिवपुरी
इसमें प्रौढ़ शिक्षा के प्रेरकों के साथ अब प्रधानाध्यापक और शिक्षकों की सेवाएं इस बात के लिए ली जाएंगी कि ग्रामीणों को साक्षर होने के बाद कैसे शिक्षित बनाया जाए जिससे वह शासकीय योजनाओं के लाभ और अपने अधिकारों से वंचित न रहे सकें। इसके लिए बेसिक के बाद अब समतुल्यता परीक्षा आयोजित की जाएगी। जिसमें पास होने वाले ग्रामीणों को स्कूली शिक्षा के समतुल्य कक्षाओं की पात्रता होगी।
जिला प्रौढ़ शिक्षा विभाग के साक्षरता के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अभी सिर्फ जिले में 54 फीसदी लोग ही साक्षर हो सके हैं। जिसमें महिलाओं की साक्षरता का प्रतिशत महज 47 फीसदी है। जिले की साक्षरता दर को बढ़ाने के साथ अब विभाग द्वारा इस बात पर फोकस किया जा रहा है कि साक्षर होने के बाद प्रौढ़ों को शिक्षित भी बनाया जाए। जिससे वे सक्रिय होकर देश के विकास में योगदान दे सकें।
बेसिक के बाद होगी समतुल्यता परीक्षा
साक्षर भारत अभियान के तहत प्रौढ़ और ग्रामीणों को अभी तक बेसिक शिक्षा की जानकारी देकर हस्ताक्षर करना सिखा कर साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन अब इस अभियान के तहत बेसिक सिखाने के बाद कक्षा 5 और 8 के लेबल की समतुल्यता परीक्षा की तैयारी ग्रामीणों को कराई जाएगी। इसमें ऐसे 14 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को भी शामिल किया जाएगा जो कि कक्षा 5 व 8 में फेल हो जाने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ चुके थे। समतुल्यता परीक्षा पास करने के बाद ऐसे लोगों को शिक्षा विभाग के कक्षा 5 और कक्षा 8 उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया जाएगा।
हेडमास्टर और शिक्षक गांवों को लेंगे गोद
अभी तक जिले के प्रौढ़ शिक्षा केंद्रों में प्रेरकों द्वारा ग्रामीणों को बेसिक शिक्षा देकर साक्षर बनाया जा रहा था। लेकिन अब गांव के हेडमास्टर और शिक्षक गांवों को गोद लेंगे और प्रेरकों के साथ ग्रामीणों को बेसिक के बाद समतुल्यता परीक्षा में पास होने के लिए शिक्षा देंगे। आसिफ अफगानी, जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी शिवपुरी