भोपाल. बीयू
के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) के छात्रों ने तो
बदहाली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, लेकिन बीयू के करीब छह विभाग और हैं
जहां बगावत की चिंगारी सुलग रही है। ये सभी विभाग ऐेसे है, जहां न
इंफ्रास्ट्रक्टचर है, न फैकल्टी है। हालत यह है कि उनकी आवाज भी
जिम्मेदारों तक नहीं पहुंच रही है। यूआईटी में तालाबंदी के बाद जिम्मेदारों
का ध्यान सतर्क हुए हैं। क्योंकि अन्य विभागों के भी इसी तरह मोर्चा खोल
लेने से हालात बिगड़ सकते हैं। शिक्षा व्यवस्था से को छात्र संतुष्ट नहीं
हैं।
ये विभाग भी हैं बदहाल
यूआईटी : 91 में से सिर्फ 12 फैकल्टी हैं। उन्हें भी 16 महीने से वेतन नहीं मिल। डायरेक्टर का प्रभार फार्मेसी के एचओडी को दे रखा है ।
फार्मेसी : फैकल्टी के 20 में 19 पद खाली। एचओडी डॉ. एके पाठक हैं।
मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट : पद स्वीकृत नहीं है। यूजीसी की पंचवर्षीय योजना के तहत सात पद मिले थे। लेकिन नियुक्ति नहीं होने पर पद लैप्स हो गए।
लॉ डिपार्टमेंट : फैकल्टी की कमी से बार काउंसिल ऑफ इंडिया मान्यता खत्म करने के लिए लिख चुकी है। 15 फैकल्टी की जरूरत।
एजुकेशन : यहां 23 रेगुलर टीचर की जरूरत है। प्रौढ़ एवं सतत शिक्षा की तीन फैकल्टी इसकी जिम्मेदारी उठा रही है।
एप्लाइड एक्वाकल्चर : इसकी स्थिति अलग है। यहां जेनेटिक्स विभाग के प्रो. अशोक मुंजाल को एचओडी बना रखा है।
जिन
छह विभागों से अधिक राजस्व मिलता है। वहीं क्वालिटी नहीं दी जा रही है।
जबकि यहां विशेष ध्यान देना चाहिए। विवि के पास करोड़ों का फंड है।
-प्रो. एचएस यादव, पूर्व अध्यक्ष बीयू टीचर्स एसोसिएशन
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