दतिया। नईदुनिया प्रतिनिधि
शिक्षा विभाग में 10वीं एवं 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। बताया जाता है कि इस बार वार्षिक मूल्यांकन स्थानीय स्तर पर ही करवाया जाएगा। इस संदर्भ में अभी तक शिक्षा मंत्रालय से कोई भी आदेश मूल्यांकन को लेकर जारी नहीं हुआ है। इस स्थिति में वार्षिक मूल्यांकन केंद्र निर्धारित करने के साथ ही शिक्षकों का चयन भी विषयवार करना अनिवार्य है, जबकि दूसरी ओर जिस समय मूल्यांकन चलेगा उसी दौरान प्रवेश संबंधी कार्य भी शुरू हो जाएंगे। मूल्यांकन भी एक लाख से अधिक उत्तर पुस्तिकाओं का करना है। इसके लिए कवायदें तो विभाग ने शुरू कर दी, किंतु स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में शिक्षा विभाग की कार्य योजना को मूर्तरूप नहीं दे पा रहा है। वैस भी विभाग के पास विषय विशेषतज्ञों के शिक्षकों की कमी है।
कक्षा नौंवी में प्रवेश संबंधी प्रक्रिया भी लंबी-चौड़ी है। इसके लिए विद्यार्थी के पांच प्रकार के प्रमाण पत्र लेना और उनका वेरिफिकेशन करवाना स्कूली शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी होती है। ऐसी स्थिति में मूल्यांकन को लेकर विभाग अभी से अतिरिक्त व्यवस्था की जुगाड़ में लगा हुआ है। माना जा रहा है कि यदि मूल्यांकन को तरजीह दी जाती है, तो प्रवेश प्रक्रिया में विलंब हो सकता है। यदि प्रवेश संबंधी प्रक्रिया को देखते हैं, तो भी मूल्यांकन पिछड़ने का खतरा है। इसके अलावा यदि त्रि-स्तरीय पंचायती निकाय चुनाव भी हो जाते है, तो शिक्षा विभाग की हालात दुबले और दो आषाढ़ जैसी हो जाएगी। मूल्यांकन भी एक लाख से अधिक उत्तर पुस्तिकाओं का करना है।
निजी स्कूलों के शिक्षकों को मूल्यांकन का अवसर
जिले में 10वीं और 12वीं के 49 कुल स्कूल हैं। इसके अलावा लगभग 48 निजी स्कूल है। इनके 14 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी परीक्षा शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा तीन निजी स्कूलों को भी परीक्षा केंद्र बनाया गया है। इन परीक्षार्थियों की एक लाख से ऊपर विषय वार उत्तर पुस्तिका होगी, जिनका समय सीमा में मूल्यांकन करना शिक्षा विभाग के लिए चुनौती है। बताया जाता है कि विषय वार विशेषज्ञ शिक्षकों की जो संख्या है वह मात्र 135 शिक्षक हैं और इसके लिए 200 से अधिक शिक्षकों की जरूरत होगी। ऐसे में निजी स्कूलों के शिक्षकों को मूल्यांकन के लिए बुलाना पड़ सकता है।
मूल्यांकन में तीन तरफ से पेंच
बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के साथ ही कक्षा नवीं में प्रवेश करने वालों की वाले विद्यार्थियों के प्रमाण-पत्र जिनमें आधार कार्ड, मूल निवासी प्रमाण पत्र, अंकसूची तथा बैंक खाता संबंधी जानकारी एकत्र कर उनका वेरिफिकेशन भी किया जाना है। इसके अलावा त्रिस्तरीय पंचायती निकाय चुनाव भी एक बड़ी चुनौती है। बताया जाता है कि इस बार एक जुलाई से नया शिक्षा सत्र प्रारंभ हो जाएगा। उसके पूर्व ही यह सभी का शिक्षा विभाग को निपटाने हैं
इनका कहना है
मूल्यांकन संबंधी कोई आदेश अभी नहीं आया है, फिर भी माना जा रहा है कि स्थानीय स्तर पर ही मूल्यांकन होगा। ऐसी स्थिति में शिक्षकों का का कार्य नियोजन में प्रवेश के साथ करना एक चुनौती तो है। वैसे इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
सीबी सिंह, जिला परियोजना समन्वयक, शिक्षा विभाग दतिया।