भोपाल। प्रदेश में पुरुष अध्यापकों के तबादले पांच साल
की वरिष्ठता के आधार पर किए जाएंगे। वहीं महिला अध्यापकों को तबादलों में
प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए अध्यापक संविलियन (तबादला) नीति को अंतिम
रूप दिया जा रहा है। नीति को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की औपचारिक
सहमति मिल गई है।
प्रदेश में 2 लाख 84 हजार अध्यापक हैं।
इनमें करीब एक लाख 32 हजार पुरुष हैं, जिन्हें 20 साल से तबादलों का इंतजार है। अध्यापकों की सालों पुरानी यह मांग अब पूरी होने जा रही है। राज्य शासन अगले हफ्ते नीति जारी कर सकता है। इसमें पुरुष अध्यापकों को पांच साल की वरिष्ठता के आधार पर तबादले करने की शर्त जोड़ी गई है। यानी एक स्कूल में पांच साल रह चुके अध्यापक को तबादलों में प्राथमिकता दी जाएगी।
प्राइमरी में दो और मिडिल स्कूल में तीन शिक्षकों का सेटअप है। इसके अतिरिक्त अध्यापक या शिक्षक होने पर ही उस स्कूल से तबादले किए जाएंगे। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग की सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी ने बताया कि तबादला नीति तैयार है। जल्द ही जारी कर रहे हैं। तबादलों के दौरान स्कूलों में किसी तरह की असुविधा नहीं होने दी जाएगी।
गांव से गांव में ही होंगे तबादले
अध्यापकों के तबादले गांव से गांव और शहर से शहर में ही होंगे। यानी किसी भी सूरत में गांव में पदस्थ अध्यापक का तबादला शहर में नहीं हो सकेगा। हालांकि शहर का अध्यापक चाहेगा तो वह गांव में आ सकता है।
विकल्प दिए जाएंगे
तबादले के लिए अध्यापकों को विकल्प दिए जाएंगे। वे एक साथ आधा दर्जन स्कूलों को चयन कर सकेंगे। बशर्ते वहां पद खाली हो। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग अपनी सुविधा के मुताबिक उन स्कूलों में से किसी एक स्कूल में पोस्टिंग करेगा।
जहां अतिशेष, वहां नहीं होगी पोस्टिंग
शासन स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित कर्मचारियों की तबादला नीति भी जारी करने जा रहा है। नीति में एक नई शर्त जोड़ दी गई है। संशोधित नीति के तहत नियमित शिक्षकों के तबादले उन स्कूलों में नहीं हो सकेंगे। जिनमें अतिशेष शिक्षक हैं। शासन ने तबादलों से युक्तियुक्तकरण प्रभावित न हो। इसलिए ऐसा किया है।
प्रदेश में 2 लाख 84 हजार अध्यापक हैं।
इनमें करीब एक लाख 32 हजार पुरुष हैं, जिन्हें 20 साल से तबादलों का इंतजार है। अध्यापकों की सालों पुरानी यह मांग अब पूरी होने जा रही है। राज्य शासन अगले हफ्ते नीति जारी कर सकता है। इसमें पुरुष अध्यापकों को पांच साल की वरिष्ठता के आधार पर तबादले करने की शर्त जोड़ी गई है। यानी एक स्कूल में पांच साल रह चुके अध्यापक को तबादलों में प्राथमिकता दी जाएगी।
प्राइमरी में दो और मिडिल स्कूल में तीन शिक्षकों का सेटअप है। इसके अतिरिक्त अध्यापक या शिक्षक होने पर ही उस स्कूल से तबादले किए जाएंगे। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग की सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी ने बताया कि तबादला नीति तैयार है। जल्द ही जारी कर रहे हैं। तबादलों के दौरान स्कूलों में किसी तरह की असुविधा नहीं होने दी जाएगी।
गांव से गांव में ही होंगे तबादले
अध्यापकों के तबादले गांव से गांव और शहर से शहर में ही होंगे। यानी किसी भी सूरत में गांव में पदस्थ अध्यापक का तबादला शहर में नहीं हो सकेगा। हालांकि शहर का अध्यापक चाहेगा तो वह गांव में आ सकता है।
विकल्प दिए जाएंगे
तबादले के लिए अध्यापकों को विकल्प दिए जाएंगे। वे एक साथ आधा दर्जन स्कूलों को चयन कर सकेंगे। बशर्ते वहां पद खाली हो। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग अपनी सुविधा के मुताबिक उन स्कूलों में से किसी एक स्कूल में पोस्टिंग करेगा।
जहां अतिशेष, वहां नहीं होगी पोस्टिंग
शासन स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित कर्मचारियों की तबादला नीति भी जारी करने जा रहा है। नीति में एक नई शर्त जोड़ दी गई है। संशोधित नीति के तहत नियमित शिक्षकों के तबादले उन स्कूलों में नहीं हो सकेंगे। जिनमें अतिशेष शिक्षक हैं। शासन ने तबादलों से युक्तियुक्तकरण प्रभावित न हो। इसलिए ऐसा किया है।