शिक्षक संवर्ग में भर्ती के नियमों में शिथिलता
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून भले ही शिक्षकों की भर्ती में डीएड और बीएड की पात्रता तय करता हो, लेकिन राज्य सरकार इन पात्रता शर्तों से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को छूट देने जा रही है। आरटीई कानून में पात्रता की ये शर्तें तय करने की वजह शिक्षा के स्तर में सुधार लाना है।
प्रदेश के विधानसभा के बीते सत्र में इस संबंध में सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने इस बारे में घोषणा की थी। इसके बाद इस व्यवस्था को लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है। हालांकि शिक्षाविद सरकार के इस कदम को ठीक नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब केंद्र का कानून बना हुआ है तो उसमें संशोधन की क्या जरूरत है। फिलहाल प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती में उम्मीदवार को डीएड और बीएड किया जाना आवश्यक है।
संशोधन की होगी जरूरत
संशोधन की क्या जरूरत
जब आरटीई कानून संसद द्वारा पारित है और उसमें शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षकों की भर्ती में डीएड और बीएड की पात्रता जरूरी है तो इसमें संशोधन की क्या जरूरत है। इस कानून के बनने के बाद कम से कम तय योग्यता वाले शिक्षक भर्ती हो रहे हैं। राज्य सरकार को अधिकार प्राप्त हैं कि वह कानून में संशोधन कर सकती है। रमेश दवे, शिक्षाविद
यदि सरकार बगैर डीएड और बीएड के शिक्षकों को भर्ती करना चाहती है तो उसे इस एक्ट में संशोधन के लिए विधानसभा में बिल लाने की जरूरत होगी। लेकिन अभी सरकार ने आरटीई कानून में संशोधन करने की कोई व्यवस्था नहीं की है। इस बारे में सरकार ने कोई पहल नहीं की है। प्रदेश में शिक्षकों की करीब चालीस हजार भर्तियां की जाना है। इसमें अजा-जजा के उम्मीदवारों को आरक्षित पद पर यह व्यवस्था रहेगी।
नियमों में शिथिलता बरत रहे हैं
विशेष परिस्थितियां निर्मित होने पर ही यह कदम उठाना पड़ रहा है। वह भी जजा के भाषाई शिक्षकों के मामले में। इसके लिए नियमों में शिथिलता बरत रहे हैं जिसके अधिकार हैं। अजा उम्मीदवारों को भी यह छूट देने पर विचार कर रहे हैं। उन्हें डीएड व बीएड बाद में करवाया जाएगा। लाल सिंह आर्य, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री
शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून भले ही शिक्षकों की भर्ती में डीएड और बीएड की पात्रता तय करता हो, लेकिन राज्य सरकार इन पात्रता शर्तों से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को छूट देने जा रही है। आरटीई कानून में पात्रता की ये शर्तें तय करने की वजह शिक्षा के स्तर में सुधार लाना है।
प्रदेश के विधानसभा के बीते सत्र में इस संबंध में सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने इस बारे में घोषणा की थी। इसके बाद इस व्यवस्था को लागू किए जाने की तैयारी की जा रही है। हालांकि शिक्षाविद सरकार के इस कदम को ठीक नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब केंद्र का कानून बना हुआ है तो उसमें संशोधन की क्या जरूरत है। फिलहाल प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती में उम्मीदवार को डीएड और बीएड किया जाना आवश्यक है।
संशोधन की होगी जरूरत
संशोधन की क्या जरूरत
जब आरटीई कानून संसद द्वारा पारित है और उसमें शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षकों की भर्ती में डीएड और बीएड की पात्रता जरूरी है तो इसमें संशोधन की क्या जरूरत है। इस कानून के बनने के बाद कम से कम तय योग्यता वाले शिक्षक भर्ती हो रहे हैं। राज्य सरकार को अधिकार प्राप्त हैं कि वह कानून में संशोधन कर सकती है। रमेश दवे, शिक्षाविद
यदि सरकार बगैर डीएड और बीएड के शिक्षकों को भर्ती करना चाहती है तो उसे इस एक्ट में संशोधन के लिए विधानसभा में बिल लाने की जरूरत होगी। लेकिन अभी सरकार ने आरटीई कानून में संशोधन करने की कोई व्यवस्था नहीं की है। इस बारे में सरकार ने कोई पहल नहीं की है। प्रदेश में शिक्षकों की करीब चालीस हजार भर्तियां की जाना है। इसमें अजा-जजा के उम्मीदवारों को आरक्षित पद पर यह व्यवस्था रहेगी।
नियमों में शिथिलता बरत रहे हैं
विशेष परिस्थितियां निर्मित होने पर ही यह कदम उठाना पड़ रहा है। वह भी जजा के भाषाई शिक्षकों के मामले में। इसके लिए नियमों में शिथिलता बरत रहे हैं जिसके अधिकार हैं। अजा उम्मीदवारों को भी यह छूट देने पर विचार कर रहे हैं। उन्हें डीएड व बीएड बाद में करवाया जाएगा। लाल सिंह आर्य, सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री