डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ईसी के आदेश पर बर्खास्त किए
गए असिस्टेंट प्रोफेसर के मामले में प्रशासन ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रख
दिया है। ईसी के निर्देश पर पिछले माह 11 असिस्टेंट प्रोफेसर को विवि
प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया था। इसके विरुद्ध इन शिक्षकों ने आपत्ति दर्ज
कराई थी।
पहले दो महिला शिक्षकों को कोर्ट से स्थगन आदेश मिला तो बाद में अन्य कुछ शिक्षक भी कोर्ट चले गए थे। उन्हें भी स्टे मिल गया था। इसमें याचिकाकर्ताओं ने वजह बताई थी कि उनका पक्ष प्रशासन ने नहीं सुना। हाईकोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर विवि प्रशासन को जवाब देने को कहा था। मामले में विवि प्रशासन ने शपथ-पत्र जमा कर दिया है।
इसमें स्पष्ट लिखा है कि जिनको हटाया गया है, उनके पास योग्यता नहीं थी। कुछ में प्रक्रिया ही गलत थी। कमेटी ने कुछ बिंदु तय कर सभी असिस्टेंट प्रोफेसरों से लिखित में जवाब मांगे थे। इन्हीं बिंदुवार जवाब पर कमेटी ने सभी का पक्ष सुना था। एक-एक केस की स्टडी हुई। अंत में कमेटी ने जो अनुशंसा की उसे ईसी के माध्यम से एमएचआरडी और विवि के विजिटर यानी राष्ट्रपति के पास भेजा गया। वहां से मिले निर्देश पर ईसी ने 11 असिस्टेंट प्रोफेसर की बर्खास्तगी के आदेश दिए थे। विवि ने असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा दिए गए लिखित जवाब सहित तमाम ऐसे दस्तावेज कोर्ट में दिए हैं, इसमें यह बताने की कोशिश है कि सभी को पर्याप्त समय दिया गया और सभी की बात सुनी गई। मामले में सुनवाई रंगपंचमी के बाद होना है।
पहले दो महिला शिक्षकों को कोर्ट से स्थगन आदेश मिला तो बाद में अन्य कुछ शिक्षक भी कोर्ट चले गए थे। उन्हें भी स्टे मिल गया था। इसमें याचिकाकर्ताओं ने वजह बताई थी कि उनका पक्ष प्रशासन ने नहीं सुना। हाईकोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर विवि प्रशासन को जवाब देने को कहा था। मामले में विवि प्रशासन ने शपथ-पत्र जमा कर दिया है।
इसमें स्पष्ट लिखा है कि जिनको हटाया गया है, उनके पास योग्यता नहीं थी। कुछ में प्रक्रिया ही गलत थी। कमेटी ने कुछ बिंदु तय कर सभी असिस्टेंट प्रोफेसरों से लिखित में जवाब मांगे थे। इन्हीं बिंदुवार जवाब पर कमेटी ने सभी का पक्ष सुना था। एक-एक केस की स्टडी हुई। अंत में कमेटी ने जो अनुशंसा की उसे ईसी के माध्यम से एमएचआरडी और विवि के विजिटर यानी राष्ट्रपति के पास भेजा गया। वहां से मिले निर्देश पर ईसी ने 11 असिस्टेंट प्रोफेसर की बर्खास्तगी के आदेश दिए थे। विवि ने असिस्टेंट प्रोफेसर द्वारा दिए गए लिखित जवाब सहित तमाम ऐसे दस्तावेज कोर्ट में दिए हैं, इसमें यह बताने की कोशिश है कि सभी को पर्याप्त समय दिया गया और सभी की बात सुनी गई। मामले में सुनवाई रंगपंचमी के बाद होना है।